लखनऊ पहुंचे गुलाम अली, सीएम अखिलेश से मिले
Oct 10, 2015, 18:30 IST
शिवसेना के विरोध के बाद भारत में लगातार दो कार्यक्रम स्थगित होने के बाद पाकिस्तानी गायक गुलाम अली अमर उजाला के विशेष मेहमान बनकर शनिवार को लखनऊ पहुंचे। एयरपोर्ट पर आने के बाद गुलाम अली सबसे पहले सीएम अखिलेश से मिलने पहुंचे। सीएम अखिलेश ने उनका शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उनका आना लखनऊ के लिए गौरव का विषय है। लखनऊ के लिए उन्होंने कहा कि लखनऊ में उर्दू अदब को समझने वाले लोग हैं। यहां गाते हुए यह ध्यान रखना पड़ता है कि लफ्ज के मेयार को कैसे पेश किया जाए। अपने कार्यक्रम की शुरूआत कतील शिफाई की गजल ‘मेरी नजर से ना हो दूर एक पल के लिए’ सुनाने से पहले उन्होंने अहमद फराज की गजल के शेर भी सुनाए-‘तेरी बातें ही सुनाने आए, दोस्त भी दिल ही दुखाने आए’। शनिवार के कार्यक्रम में गायी गजलों में भी यह खूबी खूब दिखी। हालांकि उनके कुछ प्रशंसकों को यह शिकायत हो सकती है कि इस दिसम्बर में 75 वर्ष के हो जाने वाले गुलाम अली का गला अब पहले की तरह बहुत साथ नहीं देता लेकिन उनका अन्दाज आज भी लोगों को मुग्ध करता रहता है।
वह कहते भी रहे हैं कि मैं अपने चाहने वालों के लिए गाता रहूंगा। उन्होंने कहा कि मैं जब तक जिंदा हूं, अपने चाहने वालों से मिलता रहूंगा, वे मुझसे मिलेंगे। विख्यात गजल गायक ने श्रोताओं की फरमाइश पर अपनी लोकप्रिय गजलों का सिलसिला भी शुरू किया। उनकी ‘चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है’ गजल हसरत मोहानी की है जिनका लम्बा वक्त लखनऊ में बीता और निधन भी यहीं हुआ। उनकी एक और गजल ‘हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह, सिर्फ एक बार मुलाकात का मौका दे दे’ कैसर उल जाफरी की गजल थी।
वह कहते भी रहे हैं कि मैं अपने चाहने वालों के लिए गाता रहूंगा। उन्होंने कहा कि मैं जब तक जिंदा हूं, अपने चाहने वालों से मिलता रहूंगा, वे मुझसे मिलेंगे। विख्यात गजल गायक ने श्रोताओं की फरमाइश पर अपनी लोकप्रिय गजलों का सिलसिला भी शुरू किया। उनकी ‘चुपके चुपके रात दिन आंसू बहाना याद है’ गजल हसरत मोहानी की है जिनका लम्बा वक्त लखनऊ में बीता और निधन भी यहीं हुआ। उनकी एक और गजल ‘हम तेरे शहर में आए हैं मुसाफिर की तरह, सिर्फ एक बार मुलाकात का मौका दे दे’ कैसर उल जाफरी की गजल थी।