नवरात्र: कैसे करे कलश स्थापना और पूजन
Oct 12, 2015, 18:30 IST
13 अक्टूबर, मंगलवार से शारदीय नवरात्र शुरू हो रहे है। इस वर्ष संयोगवश दुर्गाअष्टमी और दुर्गानवमी एक ही दिनांक यानी 21 अक्टूबर के दिन है। 22 अक्टूबर के दिन दशहरा है। नवरात्रि में इस बार अष्टमी के दिन सूर्य, चंद्र, बुध योग बन रहा है, जोकि कन्या राशि के जातकों के लिए बहुत शुभ है। यह योग कन्या राशि के जातकों के लिए वर्षभर सफलता दिलाएगा। इसके साथ ही इस बार नवरात्रि में दो प्रतिपदा भी हैं।
कलश स्थापना मुहूर्त
इस वर्ष शारदीय नवरात्र में घट स्थापना का शुभ समय 11.51 बजे से 12:37 बजे तक रहेगा। इसके बाद राहुकाल शुरू हो जाएगा। इसलिए इस दौरान कलश स्थपन कार्य नहीं किया जा सकता। जो लोग 12:30 बजे तक घट स्थापन नहीं कर पाते हैं वह 2 बजे से 3:30 बजे तक अभिजित मुहूर्त में घट बैठा सकते हैं।
ऎसे करें पूजा
मां भवानी के इस महापर्व पर कलश पूजन के समय, पूर्व दिशा की ओर ही मूर्ति रख पूजन विधि संपन्न करें। मिटटी का घडे में लाल कप़डा लपेट कर उस पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद कलश के अंदर सुपारी और सिक्का, आम के पत्ते रखें। नजदीक एक कटोरी और दोना रख दें। नारियल में लाल कपडा रखें दें।
उस कलश को मिट्टी के स्वास्तिक के ऊपर स्थापित करें। कलश स्थापना के दिन ही, मां भवानी का ध्वज फहराएं जिसमें हनुमानजी अंकित हों, ध्वजा में हनुमानजी का निवास बहुत ही शुभ माना गया है। जिन घरों में पहले से ज्वारे बोने का विधान हैं वहीं इसें करें। ज्वारे बोने के नियम बहुत कठिन हैं। यदि आप इन्हें पूरी श्रद्धा से कर सकें तभी ज्वारे बोएं अन्यथा नहीं।
कलश स्थापना मुहूर्त
इस वर्ष शारदीय नवरात्र में घट स्थापना का शुभ समय 11.51 बजे से 12:37 बजे तक रहेगा। इसके बाद राहुकाल शुरू हो जाएगा। इसलिए इस दौरान कलश स्थपन कार्य नहीं किया जा सकता। जो लोग 12:30 बजे तक घट स्थापन नहीं कर पाते हैं वह 2 बजे से 3:30 बजे तक अभिजित मुहूर्त में घट बैठा सकते हैं।
ऎसे करें पूजा
मां भवानी के इस महापर्व पर कलश पूजन के समय, पूर्व दिशा की ओर ही मूर्ति रख पूजन विधि संपन्न करें। मिटटी का घडे में लाल कप़डा लपेट कर उस पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद कलश के अंदर सुपारी और सिक्का, आम के पत्ते रखें। नजदीक एक कटोरी और दोना रख दें। नारियल में लाल कपडा रखें दें।
उस कलश को मिट्टी के स्वास्तिक के ऊपर स्थापित करें। कलश स्थापना के दिन ही, मां भवानी का ध्वज फहराएं जिसमें हनुमानजी अंकित हों, ध्वजा में हनुमानजी का निवास बहुत ही शुभ माना गया है। जिन घरों में पहले से ज्वारे बोने का विधान हैं वहीं इसें करें। ज्वारे बोने के नियम बहुत कठिन हैं। यदि आप इन्हें पूरी श्रद्धा से कर सकें तभी ज्वारे बोएं अन्यथा नहीं।