नवरात्रों में नौ दिन नए-नए रूप बदलती है माता की ये मूर्ति

नवरात्रों में नौ दिन नए-नए रूप बदलती है माता की ये मूर्ति
कई किस्से तो ऎसे हैं जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि क्या ऎसा भी हो सकता है। एक ऎसा ही मामला भिवानी के आ रही है आपको आश्चर्य में डाल देंगी। भिवानी के भोजांवाली देवी मंदिर की खासियत ये है कि यहां देवी की प्रतिमा विभिन्न रूप बदलती है। छोटी काशी के नाम से विख्यात भिवानी में छोटे ब़डे यूं तो पांच सौ के करीब मंदिर हैं और हर मंदिर का अपना इतिहास है। भिवानी की एतिहासिक धरोहरों में से एक है भोजांवाली देवी मंदिर।
किंवदंतियों के अनुसार जिस जगह पर सात सौ साल पूर्व ये मंदिर बनाया गया वहां झाड-झंखाड थे। एक मूर्ति राजस्थान ले जाने के लिए कहीं से लाई जा रही थी। रात्रि विश्राम के लिए मूर्ति ले जाने वाले यहां रूके व अगले दिन जब जाने लगे तो मूर्ति अपनी जगह से नहीं हिली। लाख कोशिशों के बावजूद मूर्ति नहीं हिली। थक-हारकर मूर्ति को वहीं स्थापित करना पडा। मंदिर के पुजारी व अन्य की मानें तो मूर्ति की खासियत यह है कि इसकी नाक बिंधी हुई है जो कि शायद ही हिंदुस्तान में कहीं होगी।
वहीं मूर्ति की आंखों से आंसू निकलते हें तो मूर्ति को पसीना भी आता है। इसकी वजह ये बताई जा रही है कि भी़ड को माता महसूस करती है तथा इसी वजह से प्रतिमा को भी पसीने आते हैं। वहीं माता की प्रतिमा नवरात्रों में नौ दिन नए-नए रूप बदलती है ऎसा श्रद्धालुओं का मानना है। यहां न केवल हरियाणा प्रदेश से बल्कि देश-विदेश में बसे भारतीय भी नवरात्रों व आम दिनों में यहां आते हैं।
मंदिर की खासियत व इसके महत्त्व का अंदाजा यहां उम़डेन वाली भी़ड से लगाया जा सकता है। हकीकत तो श्रद्धालु ही जानें मगर यदि उनकी बातों पर विश्वास किया जाए तो निश्चित तौर पर मंदिर चमत्कारी है तथा इसमें होने वाले चमत्कारों का अंदाजा लोगों की श्रद्धा व आस्था से लगाना मुश्किल नहीं है।

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