सूर्य प्रताप सिंह ने रैली फ्लाप बताये जाने पर मीडिया और नेताओं पर निकाली भड़ास

सूर्य प्रताप सिंह ने रैली फ्लाप बताये जाने पर मीडिया और नेताओं पर निकाली भड़ास
लखनऊ -राजनीति एक दलदल है और इसमें कूटनीति आनी बहुत जरुरी है आरोप प्रत्यारोप लग्न और कालिख भी पुत सकती है इस बात का एहसास प्रतीक्षारत आई ए इस सूर्य प्रताप सिंह को अपने राजनितिक कैरियर के शुरुआत में होना शुरू हो गया है सच है कि राजनीति और अफसरशाही बिलकुल अलग चीज है उन्होंने अपने फेसबुक वाल से कई सवाल उठाये हैं साथ ही यह भी सोचने कि जरुरत है कि अगर कोई राजनीती में कदम रख रहा है तो हमें क्या उसे उसी नजरिये से देखना चाहेंगे जिस दशा में राजनीती है या उससे अलग आएं देखें सूर्य प्रताप सिंह ने क्या लिखा ।.......... २८ अक्टूबर की युवा आंकल्प सभा को 'फ्लॉप-शो' या 'बेपटरी' कहना कितना उचित ! क्या इस सभा में कुछ 'नक्काल' नेताओं की पोल खुली ? !! मीडिया के सभी दोस्तों ने अच्छा लिखा...हमें आगाह किया ...धन्यवाद.. !!! मैं भी एक पत्रकार रहा हूँ...सब जानते हैं कि ऊपरी स्तर पर शासन-सत्ता का दबाब तो रहता ही है...आज के प्रतिस्पर्धा के युग में बिना सरकारी मदद के अखबार व चैनल चलाना मुश्किल है ...फिर भी सामाजिक मुद्दों पर सभी मदद भी करतें हैं..इसके लिए हमें धन्यवाद भी ज्ञापित करना चाहिए...उनकी प्रशंसा के साथ आलोचना को भी स्वीकार कर सबक लेना चाहिए !!! गंगा प्रसाद मेमोरियल हॉल की क्षमता ४५० व्यक्तियों की है ...प्रोग्राम सुबह १० बजे से सांय ५.०० बजे तक लम्बे समय तक चलना था | दोपहर ११.३० बजे से हॉल पूरा भर गया था और लोग आते जाते रहे..यह कोई public मीटिंग नहीं थी और न ही एक समय में ४५० से ज्यादा लोगो को बुलाने/उपस्थिति की अपेक्षा थी.. ...'वास्ट' संस्था ने वालंटियर्स को बुलाया जरूर था और प्रचार भी किया गया था ..'वास्ट' के ५०० से ज्यादा वालंटियर्स प्रदेश के हर हिस्से से आये भी थे.. हाँ हमारी यह अपेक्षा जरूर थी कि मंच पर विराजमान 'नेतागण' व आयोजक भी कुछ अपने-अपने वालंटियर्स को जरूर लायेंगे और लोगो की उपस्थिति से 'overflow' हो जायेगा ...परन्तु कुछ छदम नेतागण २-४ लोगो को नारे लगाते हुए लाये और अपने भाषण के बाद वंहा से नदारत हो गए ...यह सब देखकर मैंने आयोजको से उनको पोल खोलने के उदेश्य से मेरा अपना 'उद्बोधन' कुछ Advance करने को कहा ...मुझे आभास था कि मंच पर बैठे ज्यादा तर नेतागण 'फुस-मसाला' (Finished Force) हैं और बड़े 'अहंकारी' भी हैं..और वे अपनी रोटी सेकने आये हैं... मुझे यह भी आभास था कि यदि मैं इनसे कोई प्रश्न करूँगा तो सभा 'फ्लॉप' भी हो सकती है ...परन्तु मैं अपने 'वालंटियर्स' के विश्वास को कैसे तोड़ देता...अतः मैंने हाथ उठवाकर पूछा तो उपस्थित लोगो में ९०% 'वास्ट' के वालंटियर्स ही निकले ...फिर क्या था मंच पर उपस्थित so called 'नेतागण' अपनी बगल झाँकने लगे क्योंकि वे तो केवल मंच पर अपनी भड़ास निकालने व युवाओं को अपने 'ऊबाऊ' भाषण सुननाने आये थे...करना कुछ था नहीं | वे युवाओं का नेतृत्व कैसे प्रदान कर सकते हैं ..जिनमे युवाओं को विश्वास ही न हो ...युवा चाहता है कि वह खुद नेतृत्व करे और यह 'वास्ट' का मंतव्य भी है | 'वास्ट' संस्था इस सभा का आयोजक भी नहीं थी .....हम ऐसा आयोजकों को discredit करने या अपनी किसी असफलता को छुपाने के उद्देश्य से नहीं कह रहे..यह सच था और कई अखबारों ने इसे लिखा भी है | 'वास्ट' के वालंटियर्स को यह आभास जरूर हुआ था कि शायद यह 'वास्ट' का ही कार्यक्रम है ...जब उन्होंने इस 'अराजनैतिक' मंच पर इतने राजनैतिक 'नेताओं' का जमावड़ा देखा तो वे हतप्रद रह गए...जब यह 'युवा संकल्प सभा' है तो मंच से युवा क्यों गायब हैं..बाद में इस बात का मैंने उद्बोधन में समर्थन भी किया | मैं हैरान हूँ कि आयोजकों ने 'वास्ट' के एक वालंटियर्स से खाने का रु.११,००० भुगतान भी करा लिया..जबकि 'वास्ट' ने अब तक किसी वालंटियर से एक पैसा भी चंदा नहीं लिया है | हमें मिला सबक और कुछ 'नक्कल' नेताओं की खुली पोल..... 'वास्ट' का जन-जागरण अभियान एक अराजनैतिक प्रयास है ..जो 'सुशासन व व्यवस्था परिवर्तन' के लिए है ..यह अभियान में तथाकथित 'नक्काल' नेताओं के स्वार्थ सिद्धि का मंच नहीं हो सकता ...जिस 'विकृत' राजनीति या दलदल से युवा छुटकारा पाना चाहता है ..उसी में कैसे धकेल दे उसे ...कल की सभा का मंच ऐसा ही दिखा ...'जाति,धर्म..बिरादरी..' का मंच ...ऐसी सभाओं व मंच से योग्य ..प्रतिभावान..'युवाओं' के राजनीति में प्रवेश का रास्ता नहीं बनाया जा सकता ...'युवा मंच संभाले-युवा नेतृत्व करे'..का नारा बुलंद करना होगा ..जिन नेताओं से हम कुर्सी छोड़ने की बात कर रहे हैं ...'नेताओ कुर्सी छोडो-जनता आती है'...वही मंच संभाले ..यह नहीं हो सकता ..यही सबक हमने सीखा.. कल की सभा से ..हमारी भूल थी वंहा जाना ...कल मुझे यह भी आभास हुआ कि कैसी-२ 'राजनैतिक तिकड़मबाजिओं' से जूझना पड़ सकता है..नए 'राजनैतिक' या 'अराजनैतिक' प्रयोगों को...'दिल्ली के नए' प्रयोग की भी शायद यही व्यथा हो ... अभी आगे-२... क्या-२ देखना होगा...मैं युवाओं से अपील करता हूँ कि निराश न हों...आगे बढते जांयें...अभी तो आक्षेप लगेंगे..कालिख(Mudslinging) पुतेगी....और प्रतारणा होगी.. 'पेड-न्यूज़' के वार होंगे ..मुकदमे-बाज़ी होगी...दंगे फ़साद होंगे... कृतज्ञता नोट: मीडिया के सभी दोस्तों ने अच्छा लिखा...हमें आगाह किया ...धन्यवाद सूर्य प्रताप सिंह के फेसबुक वाल से

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