अबकी बार इको फ्रेंडली त्यौहार

बेशक, दिवाली खुशियों का त्‍योहार है। लेकिन, खुशी मनाने के चक्‍कर में हम पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचा देते हैं, कभी सोचा है इस बारे में। सजावट के सामान से लेकर, दिवाली में जलाए जाने वाले पटाखे भी कुदरत के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं। तो, चलिए इस बार मनाते हैं असली दीपावली... खुशियों से भरपूर इको फ्रेंडली दिवाली। यानी खुशियों पर न लगे प्रदूषण की नजर- सजावट में भी रखें पर्यावरण का खयाल याद कीजिए अपना घर सजाने के लिए रंगीन कागज और रंगोली का इस्‍तेमाल होता था। हैंड मेड पेपर से बनी कंदील आदि चीजें छतों से टंगी हुयी घर की शोभा बढ़ाती थीं। लेकिन, बीते कुछ सालों में घर सजाने में प्‍लास्टिक के सामान का इस्‍तेमाल बहुत बढ़ गया है। दिवाली पर तो यह घर सजाने के काम आते हैं, लेकिन कुछ‍ दिनों बाद ही ये सड़कों और गलियों में बिखरे देखे जा सकते हैं। ये नालियां तो जाम करते ही हैं साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचाते हैं। क्‍योंकि आप सभी जानते हैं कि प्‍लास्टिक गलता नहीं है। नतीजतन इसके असर दुष्‍प्रभावों के बारे में सोचना चाहिए। न धूम न धमाका, इस बार नो पटाखा पटाखे पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह है। लेकिन, कहते हैं ना कि 'चैरिटी बिगन्‍स एट होम' तो सबसे पहले स्‍वयं पटाखे न जलाने का प्रण लें। अपने बच्‍चों और मित्रों को भी दिवाली पर पटाखे न जलाने के लिए प्रेरित करें। इको फ्रेंडली पटाखे भी हैं बाजार में हालांकि इस बार पटाखा बाजार भी प्रदूषण से निपटने के लिए तैयारी कर मैदान में उतरा है। इस बार आप बाजार जाएं तो आपको इको फ्रेंडली पटाखे मिल जाएंगे। इनसे आवाज और धुआं भी कम निकलता है। समस्‍या यह है कि इन्‍हें ज्‍यादा पसंद नहीं कर रहे हैं, बड़ी तादाद में युवा वर्ग को शोर वाले पटाखे ही पसंद आते हैं। रोशन करें जहां दिवाली रोशनी का त्योहार है। इस मौके पर घरों को रोशन करने के लिए पहले मिट्टी के दीये जलाने का रिवाज था, लेकिन अब इनकी जगह चमचमाती लाइट्स ने ले ली है। इससे बिजली की खपत बढ़ती है। बेहतर होगा कि घरों को मिट्टी से बने दीयों से रोशन किया जाए। और इन लाइटों पर निर्भरता जरा कम की जाये इको फ्रेंडली हों उपहार दिवाली पर परिजनों और शुभचिंतकों को उपहार दिए जाते हैं। इन उपहारों में डिजाइनर दीये, मिठाइयां, कलात्मक कृतियों आदि का शामिल किया जा सकता है।

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