वैज्ञानिकों ने एक नई विधि की खोज की जिससे पता चलेगा की मीट ख़राब हुआ या नहीं
Nov 19, 2015, 18:30 IST
न्यूयार्क-- मांस खराब हुआ है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए संूघ कर जांच करने की जगह वैज्ञानिकों ने एक नई विधि की खोज की है। इस खोज में नैनोट्यूब के इस्तेमाल कर मांस के स़डने का शीघ्र पता लगाया जा सकता है।
व्यापारियों के सामने मांस और सी-फूड को बाजार में लाने तक इसको ताजा बनाए रखना उच्च प्राथमिकता होती है। इस ताजगी को मापने के लिए जिन तरीकों को अपनाया जाता है, उनसे नुकसान की आशंका अधिक रहती है। इसलिए वैज्ञानिकों ने आसान और सुरक्षित तरीकों की खोज की है। इस परीक्षण द्वारा वैज्ञानिक यांक ची और उनके सहकर्मी शीघ्र परिणाम देने वाली एक साधारण तकनीकको बनाना चाहते थे।
इन्होंने नैनोट्यूब्स के परीक्षण के लिए अलग-अलग बर्तनों को चार दिनों तक एक ग्राम सुअर के मांस, मछली, चिकन और झींगे के मांस से भरकर बंद रखा। उसके बाद इन्होंने नमूनों से निकलने वाले वाष्प को पोर्टेबल सिस्टम से गुजारा, जिसने एक घंटे के अंदर परिणाम दिया। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि अगर नैनोट्यूब्स की चमक 10 प्रतिशत से ज्यादा फीकी प़डती है, तो इसका मतलब है कि यह (मांस) खराब हो चुका है। यह अध्ययन एक नई पत्रिका "एसीएस" में प्रकाशित हुआ है।
व्यापारियों के सामने मांस और सी-फूड को बाजार में लाने तक इसको ताजा बनाए रखना उच्च प्राथमिकता होती है। इस ताजगी को मापने के लिए जिन तरीकों को अपनाया जाता है, उनसे नुकसान की आशंका अधिक रहती है। इसलिए वैज्ञानिकों ने आसान और सुरक्षित तरीकों की खोज की है। इस परीक्षण द्वारा वैज्ञानिक यांक ची और उनके सहकर्मी शीघ्र परिणाम देने वाली एक साधारण तकनीकको बनाना चाहते थे।
इन्होंने नैनोट्यूब्स के परीक्षण के लिए अलग-अलग बर्तनों को चार दिनों तक एक ग्राम सुअर के मांस, मछली, चिकन और झींगे के मांस से भरकर बंद रखा। उसके बाद इन्होंने नमूनों से निकलने वाले वाष्प को पोर्टेबल सिस्टम से गुजारा, जिसने एक घंटे के अंदर परिणाम दिया। इसके साथ ही वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि अगर नैनोट्यूब्स की चमक 10 प्रतिशत से ज्यादा फीकी प़डती है, तो इसका मतलब है कि यह (मांस) खराब हो चुका है। यह अध्ययन एक नई पत्रिका "एसीएस" में प्रकाशित हुआ है।