जाने महिलाये क्यों छेड़ रही है हैप्पी टू ब्लीड अभियान

जाने महिलाये क्यों छेड़ रही है हैप्पी टू ब्लीड अभियान
केरल। प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर के एक विवादित बयान पर सोशल मीडिया में महिलाओं ने तीखी प्रतिक्रिया जारी की है। इस बयान में कहा गया था कि मंदिर में महिलाओं को तब ही प्रवेश दिया जा सकेगा जब "महिलाओं की शुद्धता को जांच करने की मशीन" का अविष्कार हो जाएगा। इस विवादास्पद बयान के विरोध में देश भर की महिलाओं ने फेसबुक पर "हैप्पी टू ब्लीड" अभियान छेड दिया है। जिसमें मंदिर के रूढिवादी विचारों का विरोध किया जा रहा है।

खबरों के अनुसार "हैप्पी टू ब्लीड" पेज पर पोस्ट में कहा गया है, केरल के सबरीमाला मंदिर के प्रमुख देवास्वोम ने लिंग विशेष पर आधारित बयान दिया है। जिसमें कहा है कि एक बार पवित्रता की जांच करने वाली मशीन बन जाए कि यह "सही समय" है या नहीं (यानि महिलाओं का मासिक धर्म चल रहा है या नहीं), तभी वह सोंचेगे कि उन्हें प्रवेश करने दिया जाए या नहीं। इस बयान से उन्होंने स्त्रीद्वेष को बढावा दिया है साथ ही उन मिथकों को भी मजबूत किया है जो महिलाओं से जु़डे हैं। इस बयान के विरोध में अभियान शनिवार को शुरू हुआ। जिसमें महिलाओं से प्लेकार्ड्स/सैनिटरी नैपकिन्स/चार्ट्स आदि लेकर हैप्पी टू ब्लीड कहने के लिए कहा गया है।

साथ ही विरोध से जु़डी तस्वीरों को अपनी प्रोफाइल और कैम्पेन के पेज पर पोस्ट करने के लिए कहा गया है। जिससे युगों से चले आए पित्रसत्तात्मक समाज के शर्मनाक खेल का विरोध किया जा सके। हैप्पी टू ब्लीड अभियान में करीब सौ से ज्यादा यूजर्स जु़ड चुके हैं। जबकि, 500 अन्य को आमंत्रित किया गया है। एक महिला ने इसके पेज पर लिखा, मैं निश्चित ही पूरी की पूरी पित्रसत्ता पर ब्लीड करने में खुश हूं।

समान अधिकारों के सभी अभियानों को और ताकत! रिपोर्ट के मुताबिक, इस महीने की शुरूआत में सबरीमाला मंदिर के अधिकारियों से जब महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने के बारे में पूछा गया। तो उन्होंने कहा कि इसकी मंजूरी तब तक नहीं दी जाएगी। जब तक एक मशीन का आविष्कार नहीं कर लिया जाता जो यह स्कैन कर ले कि कहीं महिला का मासिक समय तो नहीं चल रहा। जिस तरह मशीनें हथियारों को स्कैन कर लेती हैं। हाल ही में देवास्वोम बोर्ड के अध्यक्ष पद का पदभार ग्रहण करने वाले प्रयार गोपालकृष्णन ने कोल्लाम प्रेस क्लब में कहा, एक समय आएगा जब लोग सभी महिलाओं को साल भर मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिए जाने की मांग करेंगे। इन दिनों ऎसी मशीनें आ रही हैं जो शरीर को स्कैन कर लेती हैं और हथियार का पता चल जाता है।

एक दिन ऎसा आएगा जब ऎसी मशीन का आविष्कार होगा जो यह पता कर लेगी कि महिलाओं के लिए यह सही समय है या नहीं। जब ऎसी मशीन का आविष्कार हो जाएगा हम महिलाओं को अंदर आने देने पर बात करेंगे। इस बेहद अजीब बयान के आने के बाद निकिता आजाद नाम की एक युवती ने गोपालाकृष्णन को एक खुली चिटी लिखी। जिसमें गोपालाकृष्णन की लिंग आधारित दुविधा का जिक्र किया। ये चिठ्टी सबसे पहले "यूथ की आवाज" पेज पर आई जो इसके बाद वायरल हो गई थी। 21 नवंबर को हैप्पी टू ब्लीड कैंपेन की शुरूआत हुई। टि्वटर पर भी हैशटैग के साथ "हैप्पी टू ब्लीड" ट्रेंड कर रहा है।

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