करगिल युद्ध में भारत पर परमाणु हमला करने वाला था पाकिस्तान
Dec 2, 2015, 18:30 IST
वॉशिंगटन। 1999 के कारगिल युद्ध में अपने सैनिकों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान भारत पर परमाणु हमला करने की तैयारी में था। यह खुलासा व्हाइट हाउस के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने किया है। व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में उस वक्त रहे ब्रुस रीडेल ने बताया कि सीआईए ने तत्कालीन अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को इसकी जानकारी दी थी। बता दें कि शरीफ ने वाशिंगटन की यात्रा कर युद्ध खत्म करने में क्लिंटन की मदद मांगी थी।
4 जुलाई 1999 की सुबह सीआईए ने अमरीकी राष्ट्रपति को पत्र भेजा कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों की तैनाती करने वाला है। वह इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ करने वाला है। सीआईए का हिस्सा रहे रीडेल ने बताया कि उस वक्त के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सैंडी बर्जर ने क्लिंटन को सलाह दी थी कि वह शरीफ की बात सुनें और कहें कि पाकिस्तान ने ही यह संकट खड़ा किया है और वो ही इसे खत्म करे।
इसके बाद अमरीकी दबाव काम कर गया और शरीफ ने अपनी सेना वापस बुला ली। सीआईए के पूर्व विशेषज्ञ रीडेल ने सेंडी बर्जर के लिए लिखे एक श्रद्धांजलि नोट में इस बात का खुलासा किया है। बर्जर का कैंसर से मंगलवार को निधन हो गया। वह क्लिंटन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे थे। हालांकि नवाज को इसकी कीमत अपने पद के रूप में चुकानी पड़ी। सेना ने एक तख्तापलट में उन्हें अपदस्थ कर दिया और उन्होंने सउदी अरब में एक साल निर्वासन में बिताया, लेकिन दक्षिण एशिया में परमाणु युद्ध का खतरा टल गया।
4 जुलाई 1999 की सुबह सीआईए ने अमरीकी राष्ट्रपति को पत्र भेजा कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों की तैनाती करने वाला है। वह इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ करने वाला है। सीआईए का हिस्सा रहे रीडेल ने बताया कि उस वक्त के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सैंडी बर्जर ने क्लिंटन को सलाह दी थी कि वह शरीफ की बात सुनें और कहें कि पाकिस्तान ने ही यह संकट खड़ा किया है और वो ही इसे खत्म करे।
इसके बाद अमरीकी दबाव काम कर गया और शरीफ ने अपनी सेना वापस बुला ली। सीआईए के पूर्व विशेषज्ञ रीडेल ने सेंडी बर्जर के लिए लिखे एक श्रद्धांजलि नोट में इस बात का खुलासा किया है। बर्जर का कैंसर से मंगलवार को निधन हो गया। वह क्लिंटन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे थे। हालांकि नवाज को इसकी कीमत अपने पद के रूप में चुकानी पड़ी। सेना ने एक तख्तापलट में उन्हें अपदस्थ कर दिया और उन्होंने सउदी अरब में एक साल निर्वासन में बिताया, लेकिन दक्षिण एशिया में परमाणु युद्ध का खतरा टल गया।