समाजवादी पेंशन योजना वैध करार, याचिका खारिज

समाजवादी पेंशन योजना वैध करार, याचिका खारिज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बृहस्पतिवार को प्रदेश सरकार को बड़ी राहत देते हुए समाजवादी पेंशन योजना को वैध करार दिया है.

कोर्ट ने इस दलील को दरकिनार कर दिया कि इस योजना का लाभ धर्म विशेष के लोगों दिया जा रहा है. कोर्ट ने कहा कि योजना जीवनयापन करने में असमर्थ आर्थिक व सामाजिक रूप से अति पिछड़ों के उत्थान के लिए लागू की गयी है. संविधान के अनुच्छेद 15 के अन्तर्गत ऐसे लोगों के उत्थान के लिए राज्य सरकार को योजना लागू करने का अधिकार है.

यह आदेश न्यायमूर्ति वीके शुक्ल तथा न्यायमूर्ति वीके श्रीवास्तव की खंडपीठ ने हिन्दू फ्रंट सोशल जस्टिस की तरफ से दाखिल जनहित याचिका पर दिया है. याची का कहना था कि पेंशन योजना में लाभार्थियों में 90 फीसदी अल्पसंख्यक सम्प्रदाय के धर्म विशेष के लोग शामिल हैं.

ऐसे में योजना में धर्म के आधार पर भेदभाव किया जा रहा है. प्रदेश के महाधिवक्ता विजय बहादुर सिंह, उदय प्रताप सिंह व अशोक कुमार लाल ने सरकार का पक्ष रखा. महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि समाजवादी पेंशन योजना के तहत प्रथम चरण में 40 लाख परिवारों को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.

इसमें अल्पसंख्यकों सहित गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे सभी नागरिकों को प्रतिमाह पांच सौ रुपये से सात सौ रुपये तीन वर्ष के लिए दिया जाना है. सरकार ने लाभार्थियों पर शर्त लगायी गयी है कि महिला को प्रसव स्वास्थ्य केंद्र में कराना होगा, बच्चों को सभी टीके लगवाने होंगे तथा बच्चों को स्कूल भेजना अनिवार्य होगा. दो पहिया वाहन रखने वालों को पेंशन से बाहर रखा गया है. योजना गरीबों के लिए है. धार्मिक भेदभाव नहीं किया गया है.

यदि सम्प्रदाय विशेष में गरीब अधिक हैं तो योजना को विभेदकारी नहीं माना जा सकता. योजना अनुच्छेद 15 (3)के प्राविधानों के अनुरूप है. सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को चिह्नित कर योजना का लाभ दिया जा रहा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से योजना को लेकर फैला भ्रम समाप्त हो गया है. प्रदेश सरकार ने यह योजना सात फरवरी 2014 को लागू की थी.

Share this story