देखो कहीं मंत्री जी को धूल न पड़ जाये

देखो कहीं मंत्री जी को धूल न पड़ जाये
राय बरेली-एक तरफ जहाँ लोग पीने के पानी की समस्या से जूझ रहे हैं सैकड़ों गाँव ऐसे हैं जहाँ प्रदूषित पानी है और उसे पी कर लोग अपंग हो रहे हैं उन्हें साफ़ पानी पीने को नहीं मिल रहा है वहीँ मंत्री जी ने सैकड़ों लीटर पानी इस लिए बहा दिया कि उनके यहाँ मंदिर में आने वाले लोगों पर धूल न पड़े सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री विरोधियों के निसाने पर हैं कारण है पानी की बर्बादी बुंदेलखंड में पानी की एक-एक बूंद के लिए जद्दोजहद हो रही है। लगातार सूखे की वजह से पहले फसलें बर्बाद हुई और अब तालाबों, कुंओं और नलकूपों ने पानी देने से भी जवाब दे दिया है। बुंदेलखंड के ज्यादातर हिस्सों में लोग पानी के लिए कई किलोमीटर का चक्कर लगा रहे हैं। वही सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री व् ऊंचाहार विधायक मनोज कुमार पांडेय अपने विधान सभा छेत्र के धुता ग्राम सभा में धुतेस्वर मंदिर में स्वयं के द्वारा एक आयोजिक एक भंडारे में को जाने वाले रस्ते में टैंकर द्वारा पानी का बेतरतीब तरीके से पानी का दरुपयोग किया वही ग्रामीनो माने तो सूखे की वजह से बुंदेल खण्ड सहित कई राज्य में रहने वाली जनता व पशु पक्षी जहां पानी के लिए व्याकुल है वही मंत्री जी ने एक भंडारे का आयोजन करवाया और रास्ते में उड़ने वाली धूल मंत्री जी को न लगे इसलिए मंत्री जी ने रास्ते में पानी की वयवस्था करवाई ये पूरी तरह से निंदनीय है बी जे पी ने भी की निंदा वही बीजेपी नेता बृजेश सिंह की माने तो पानी की इतनी किल्लत है की बुंदेल खण्ड सहित महाराष्ट और भी कई प्रदेशों की तरह उत्तर प्रदेश भी सूखे की चपेट में है और मंत्री जी ने आने जाने के रास्ते में हजारो टैंकर पानी फेंकवा दिया सिर्फ इसलिए की मंत्री जी के ऊपर धूल न पड़े सपा के कबीना मंत्री ने ये जो कार्य किया है वो बहुत ही निंदनीय है हम लोग इसका विरोध करते है और सपा सरकार के मुखिया से ऐसे मंत्री को पार्टी से बाहर व जेल भेजने की बात तक कह दी पीने के काम आता है टैंकर का पानी टैंकर द्वारा मंगवाया गया पानी पीने के काम आता है अगर यही पानी क्षेत्र की जनता को मिलता तो वे प्रदूषित पानी पिने को मजबूर न होते । वही टैंकर से पानी डाल रहे ड्राइवर की माने तो पानी इसलिए डाल रहे है ताकि आने जाने वाले लोगो के ऊपर धूल न पड़े भारत में सूखा पड़ना कोई नई बात नहीं है, लेकिन क्या इसके लिए पहले से तैयार नहीं रहा जा सकता है? अगर बात करें सूखा पड़ने के कारण की, तो इसके लिए सबसे अधिक जिम्मेदार है सरकार की पॉलिसी। भारत में हर साल किसी न किसी क्षेत्र में सूखा जरूर पड़ता है और कई ऐसी जगहें भी हैं, जहां साल दर साल कमोबेश सूखे की स्थिति पैदा हो ही जाती है। बावजूद इसके सराकार की तरफ से कोई कड़े कदम नहीं उठाए जा रहे।इस ओर न तो राज्य सरकार ध्यान देती है, न ही केन्द्र सरकार उस सूखी जमीन को हरा भरा करने की सोचती है। आलम ये है कि सूखे से परेशान होकर किसान आत्महत्या कर रहा है और नौजवान गांव छोड़कर शहरों की ओर रोजी रोटी की तलाश में निकल जा रहे हैं। गांव में बच रही हैं तो सिर्फ महिलाएं और लड़कियां। सार्वजानिक जीवन में नेताओं की मुश्किलें अगर यही काम किसी और ने किया होता तो शायद इसकी चर्चा भी नहीं होती लेकिन मामला मंत्री का था तो विरोधियों ने इस मामले को लपक लिया भले ही इस मामले में उनके द्वारा कोई प्रयास कभी ही किये गए हों लेकिन मंत्री की प्रतिक्रिया इस मामले पर नहीं मिल सकी ।

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