डोंट माइंड प्लीज जब तिकड़म सफल होता है तो गुरुर आ ही जाता है ,गोंडा के सी डी ओ का मामला

डोंट माइंड प्लीज जब तिकड़म सफल होता है तो गुरुर आ ही जाता है ,गोंडा के सी डी ओ का मामला
गोंडा -सी एम्अखिलेश लाख दावे करते रहें और अधिकारीयों को विकास में रोड़ा के लिए जिम्मेदार मानते रहें लेकिन असलियत यह है कि सरकार के सामानांतर एक और सरकार चलती है और यही सामानांतर सरकार कभी कभी सफल भी रहती है |अपने इतिहास में दबंगई गुंडई और पिछड़ेपन का काली छाया समेटे गोंडा जिला यहाँ प्रतिभा नहीं तिकड़म चलता है अब इसे गोंडा की नियति कहें या पिछड़ापन भाग्य में लिखा होने का दंश झेलने भाग्य में लिखा होना कि या तो सही अधिकारी बहुत दिनों तक टिक नहीं पाते या फिर उन्हें आने ही नहीं दिया जाता है हद तो तब हो जाती है जब अधिकारी आकर फिर भी ज्वाइन नहीं करने पाता सरकार भी इस काकस के आगे बेअसर हो जाता है |
यशु रुस्तगी आने के बाद भी नहीं कर पाई थी ज्वाइन
जिस तरह से गोंडा के सी डी ओ जयंत दीक्षित का शासन से स्थानांतरण होता है दूसरी आई ए एस अधिकारी यशु रुस्तगी का गोंडा के लिए स्थानांतरण किया जाता है वो ज्वाइन करने भी आती हैं बताया जाता है सर्किट हाउस में रुकी भी लेकिन तिकड़म तंत्र अपना काम करना शुरू अचानक होता है और यशु रुश्तगी की जॉइनिंग रुक जाती है और फिर अचानक फ़िल्मी हीरो की तरह से जयंत दीक्षित फिर से प्रकट हो जाते हैं यही नहीं सूत्र बताते हैं की तबादला आदेश निरस्त होने से पहले ही उनका फरमान आता है अगले दिन मीटिंग बुलाने के लिए |
विवादस्पद पोस्ट से चर्चा में आये जयंत दीक्षित
एक अधिकारी किस तरह से शासन में भारी पड़ता है और उन्ही के आदेश को पलटवा देता है यह संकेत देता है कि समान्तर सरकार कितना प्रभावी है |अधिकारी का कान्फिडेंस लेवल तो देखिये कि उनके द्वारा सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया जाता है जिसमे अपने को अनुभवी बताया जाता है जिसके बाद ही वे बहस का मुद्दा बन जाते हैं उन्हें अपने मुह मिया मिट्ठू बनने का तमगा भी दिया जाता है हलाकि उनके द्वारा बाद में मीडिया में सफाई भी पेश की जाती है कि गलती से पोस्ट कर दिया गया था |


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