बिजनेस स्कूल सुपर फ्लॉप, बंद होने के कगार पर अधिकतर स्कूल

बिजनेस स्कूल सुपर फ्लॉप, बंद होने के कगार पर अधिकतर स्कूल
लखनऊ- अच्छी नौकरी का सपना पाने के लिए एम बी ए करने वालों के लिए यह रिपोर्ट आँखें खोल देने वाली है कई संस्थानों से निकलने वाले लोग 10 हजार की नौकरी के लिए भी महंगे हैं महँगी फीस लेकर एमबीए ग्रेजुएट तैयार कर रहे देश के ज्यादातर बिजनेस स्कूलों से बेरोजगारों और अर्धबेरोजगार 'पेशेवरों' की फौज निकल रही है। आई आई एम को छोड़कर बाकी संसथान कर रहे बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ आईआईएम को छोड़कर बाकी संस्थानों के महज सात फीसदी छात्र ही नौकरी लायक हैं। उद्योग मंडल एसोचैम ने अपने ताजा अध्ययन में बताया है कि देश के 5,500 बिजनेस स्कूलों में से आईआईएम और शीर्ष 20 संस्थानों को छोड़ दिया जाए तो बाकी से डिग्री लेकर निकलने वाले ज्यादातर छात्र रोजगार पाने लायक नहीं हैं। एमबीए की डिग्री वाले ऐसे छात्रों की मासिक आय भी 10 हजार रुपये से कम है। एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डीएस रावत ने बताया है कि सर्वे में इन बिजनेस स्कूलों के स्तर में गिरावट पर चिंता जाहिर करते हुए कहा गया है कि कई संस्थानों का समुचित नियमन भी नहीं हो रहा है। पिछले दो वर्षो के दौरान दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, अहमदाबाद, लखनऊ, हैदराबाद, देहरादून आदि शहरों के करीब 220 बिजनेस स्कूल बंद हो चुके हैं। यही नहीं, करीब 120 ऐसे संस्थान इस साल बंद होने की कगार पर हैं। कैम्पस सेलेक्शन में आई भारी कमी सर्वे के मुताबिक, शिक्षा की निम्न गुणवत्ता और आर्थिक मंदी के चलते वर्ष 2014 से 2016 के बीच कैंपस रिक्रूटमेंट में भी 45 प्रतिशत तक की भारी गिरावट आई है। वहीं वर्ष 2011-12 में एमबीए पाठ्यक्रम के लिए 3 लाख 60 हजार सीटें थीं जो वर्ष 2015-16 में 5 लाख 20 हजार हो गई। सर्वेक्षण के मुताबिक, एमबीए के दो साल के पाठ्यक्रम के लिए हर छात्र आमतौर पर तीन से पांच लाख रुपये खर्च करता है, लेकिन शीर्ष 20 बिजनेस स्कूलों और संस्थानों को छोड़कर बाकी स्कूलों से निकलने वाले ज्यादातर पेशेवरों को मात्र आठ से 10 हजार रुपये प्रतिमाह के वेतन पर काम करना पड़ रहा है। सर्वे में आईआईएम/आईआईटी से निकलने वाले छात्रों को भी 15 साल पहले के छात्रों के मुकाबले कमतर आंका गया है। इसके लिए स्कूल स्तर पर शिक्षा की गुणवत्ता में कमी को जवाबदेह बताया गया है। एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव रावत ने कहा कि भारत में बिजनेस क्षेत्र की उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बेहद खराब है और वह कॉर्पोरेट जगत की जरूरतों को आम तौर पर पूरा नहीं कर पाती है। सोर्स मीडिया रिपोर्ट

Share this story