बीफ और मटन में उलझा प्रदेश ,जांच रिपोर्ट ने फिर से गरमाई राजनीति

बीफ और मटन में उलझा प्रदेश ,जांच रिपोर्ट ने फिर से गरमाई राजनीति


लखनऊ-जांच रिपोर्ट के भी जांच होनी चाहिए एक ही मामले की दो तरह से जांच रिपोर्ट आने पर अब सवाल यह उठ खड़ा होता है कि इस तरह से जांच रिपोर्ट आने पर भी सवाल यह उठ खड़ा होता है कि उसी के आधार पर पुलिस की विवेचना आगे बढती है |
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने देश की राजनीति में गुबार पैदा करने वाले बिसाहड़ा कांड मामले में पीड़ित के घर में मिले गोश्त के गोमांस होने सम्बन्धी फोरेंसिक रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं।

गरमाई राजनीति
सी एम ने कहा कि कौन क्या खाता है क्या पहनता है इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए वहीँ भाजपा सांसद आदित्यनाथ ने सरकार और मीडिया को कठघरे में खड़ा करते हुए पीड़ित पक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने और उन्हें दी गई सरकारी सहायता वापस लेने की मांग की है।मुख्यमंत्री ने अम्बेडकरनगर में संवाददाताओं से बातचीत में पिछले साल हुए बिसाहड़ा कांड के बाद पीड़ित पक्ष के रेफ्रिजरेटर से बरामद मांस की मथुरा स्थित फोरेंसिक प्रयोगशाला द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर उस रिपोर्ट पर ही सवाल खड़े कर दिए।उन्होंने कहा कि कि मांस का वह सैम्पल कहां मिला। उसके घर पर कोई चीज ऐसी नहीं थी, जिस पर आपत्ति हो। फ्रिज में नहीं थी, आप आपत्ति नहीं कर सकते। उस मामले पर सबकी नजर है। सब चाहते हैं कि परिवार को न्याय मिले। उस परिवार में हत्या हुई है।अखिलेश ने कहा कि जब हत्या हुई थी तब दुनिया में बहस छिड़ी थी कि कौन क्या खाता है, कौन क्या पहनता है, कौन क्या भाषा बोलता है। मैं समझता हूं कि इन विवादों से दूर रहना चाहिए। दूसरी ओर, गोरक्षपीठाधीश्वर और भाजपा सांसद आदित्यनाथ ने बिसाहड़ा कांड में बीफ खाने की आशंका में पीट-पीटकर मारे गए अखलाक नामक व्यक्ति के परिवार के खिलाफ गोहत्या का मुकदमा दर्ज करने और उसे मिली सरकारी सहायता वापस लेने की मांग की है।आदित्यनाथ ने गोरखपुर में कहा कि यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार, देश के विपक्षी दलों और मीडिया के एक वर्ग को कठघरे में खड़ा करती है। इस पर ये सब मौन रहेंगे लेकिन हम मांग करेंगे कि बिसाहड़ा कांड में जिन निर्दोष हिन्दुओं को जेल में बंद किया गया है, उन्हें छोड़ा जाए।उन्होंने कहा कि देश में गोहत्या कानूनन अपराध है, लिहाजा अखलाक के परिवार के खिलाफ गोहत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए और उसे दी गई सरकारी सहायता वापस ली जाए।



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