एन एस जी मामले पर ड्रैगन को भी मनाने की मोदी की कोशिश

एन एस जी मामले पर ड्रैगन को भी मनाने की मोदी की कोशिश
ताशकंद-पाकिस्तान और चीन के विरोध की ख़बरों के बाद भी मोदी को अन्य देशों का जहाँ समर्थन मिल रहा है वहीँ विरोध करने वाले देश को भी मानाने के लिए नरेंद्र मोदी ने मन बनाया है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए गुरुवार को ताशकंद पहुंचे। मोदी शाम को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत करेंगे। वह परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के प्रवेश के संबंध में चीन के समर्थन के वास्ते जिनपिंग को राजी करने का प्रयास करेंगे। इससे पहले भारत पहली बार वर्ष 2005 में चीन की अगुवाई वाली एससीओ की बैठक में शामिल हुआ था।



वर्ष 2010 में नये सदस्यों को शामिल किए जाने के संदर्भ में चर्चा चली थी और भारत ने 2014 में एससीओ की सदस्यता के लिए औपचारिक आवेदन दिया था। एससीओ शिखर बैठक में भारत संगठन की सदस्यता हासिल करने के लिये दायित्व संबंधी एक करार (मेमोरैण्डम ऑफ ऑब्लिगेशन) पर हस्ताक्षर करेगा जिसमें भारत इस संगठन में अब तक हुए सभी 34 समझौतों पर हस्ताक्षर करने पर सहमति प्रदान करेगा। बाद में एक साल के अंतराल में सभी 34 समझौतों पर दस्तखत किए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार मुख्यत: सुरक्षा संबंधी मुद्दे पर एससीओ में भारत की सदस्यता दीर्घकालिक हितों के अनुरूप होगी। एससीओ को एक ऊर्जा समूह के रूप में भी मान्यता दिये जाने का प्रस्ताव है। ऐसे में भारत की सदस्यता देशहित में काफी अहम होगी।

क्या है पकिस्तान की मुश्किलें

ताशकंद में पाकिस्तान और चीन के राष्ट्रपति ने मुलाकात के दौरान पाकिस्तान ने चीन से NSG में उसके समर्थन को लेकर शुक्रिया कहा, वहीं ममनून हुसैन ने शी जिनपिंग से कहा कि भारत और पाकिस्तान की एनएसजी में एक साथ ही एंट्री होनी चाहिए। हम चाहते हैं कि एनएसजी में भारत और पाकिस्तान की सदस्यता एक साथ हो।'

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