आज़म खान एक व्यक्ति हैं, कोई संप्रदाय नहीं-नूतन ठाकुर

आज़म खान एक व्यक्ति हैं, कोई संप्रदाय नहीं-नूतन ठाकुर
लखनऊ -बन रहा है आज संवर रहा है कल लेकिन कुछ इस तरह कि पुलिस की विवेचना कानून पर न आधारित होकर निजी कंपनी की तर्ज पर चल रही है विवेचना का अर्थ जहाँ गुण दोष पर आधारित तत्थ्यों की जांच के परिक्षण के आधार पर विवेचना करना होता है लेकिन उत्तर प्रदेश की पुलिस जिस मामले को चाहती है उसे तुरंत ख़त्म करती है और जहाँ चाहती है उसे लंबे समय तक लंबित रखती है । ऐसा ही कुछ अमिताभ ठाकुर के मामले में हो रहा है आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर और एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने डीजीपी जावीद अहमद से उन दोनों के खिलाफ रामपुर के कोतवाली थाने में धारा 153ए आईपीसी में दर्ज मुकदमे के शीघ्र निस्तारण के लिए कहा है. डीजीपी को भेजे अपने पत्र उन्होंने कहा है कि 14 मार्च 2016 को उनके खिलाफ मंत्री आज़म खान के खिलाफ भड़काने के संबंध में दर्ज एफआईआर प्राथमिक स्तर पर ही दोषपूर्ण है जिसमे उन पर वाल्मीकि बस्ती के लोगों को आज़म खान के खिलाफ कहने का आरोप लगाया गया है और आज़म खान एक व्यक्ति हैं, कोई संप्रदाय नहीं जबकि धारा 153ए आईपीसी किसी संप्रदाय के खिलाफ भड़काने से सम्बंधित है. अमिताभ और नूतन ने कहा कि यह मुक़दमा पूरी तरह झूठा है क्योंकि उन लोगों ने मात्र वाल्मीकि बस्ती वालों को जबरदस्ती खाली कराये जाने के सम्बन्ध में एकजुट रहने की बात कही लेकिन लेकिन इसके बाद भी एसपी रामपुर से शीघ्र विवेचना के सही निस्तारण के अनुरोध के बाद भी मंत्री आज़म के दवाब में स्थानीय पुलिस इसे लंबित रखे हुए है.

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