कुछ ख्वाब लिए निकल पड़ी नन्ही परी !

कुछ ख्वाब लिए निकल पड़ी नन्ही परी !
-कानपुर के मैस्कर घाट से 570 किमी. तैरकर बनारस तक का करेंगी सफर तय -70 घंटे में तक जलमार्ग के जरिए तय करेंगी सफर, छह स्थानों पर लेगी ठहराव कानपुर।ओलम्पिक में लगातार निराशाजनक प्रदर्शन और हर बार अगले ओलम्पिक के लिए बडे़-बडे़ दावे कर बेहतर करने की बात के बावजूद ओलम्पिक के इतिहास में कभी सुनहरा दौर नहीं दिखा।इसका कारण है देश में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की उपेक्षा। ऐसी ही उपेक्षा का शिकार है कानपुर की श्रद्धा शुक्ला। जलपरी कहलाने वाली श्रद्धा एक बार फिर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के लिए तेज बहाव के बावजूद गंगा में की लहरों में कूद पड़ी है।वह कानपुर से बनारस तक का सफर तय कर अपनी तैराकी का लोहा शहर ही नहीं पूरे देश में मिसाल के रूप में पेश करने जा रही है।  तय करेगी 570 किलोमीटर का सफर- उत्तर प्रदेश के कानपुर में उफनाती गंगा में 570 किमी. की तैराकी के लिए श्रद्धा पानी में उतर चुकी है। मैस्कर घाट से बनारस तक की दूरी वह सत्तर घंटे में तय करेगी।छह स्थानों पर ठहराव के साथ वह यह दूरी तय करेगी। सरकारी मद्द का इंतजार- उत्तर प्रदेश के कानपुर की श्रद्धा चार साल की उम्र से गंगा मे तैराकी कर रही है।इस दौरान उसने कई कीर्तिमान बनाए है।लेकिन आज भी उसे सरकारी मद्द का इंतजार है।श्रद्धा हर साल अपनी क्षमता के आकलन और सरकारी व्यवस्था को आईना दिखाने के लिए गंगा की उफनाती लहरों में छलांग लगाती हैं श्रद्धा के पिता ललित शुक्ला और बाबा गोताखोर रहे हैं।लेकिन उनकी आंखां में श्रद्धा के लिए ओलम्पिक में गोल्ड मेडल जीतते देखने का सपना है। इरादे हैं मजबूत,जीतना है ओलम्पिक - कक्षा नौ में पढ़ने वाली 13 साल की श्रद्धा सालों से गंगा की लहरों को चीर रही है।चार साल की उम्र से गंगा में छलांग लगा रही श्रद्धा ने कई उपलब्धियां हासिल की,लेकिन उनको अभी तक नजर अंदाज किया जा रहा है।इसके बावजूद उसका इरादा मजबूत है।भले ही उसे सरकारी मद्द नहीं मिल रही हो।कानपुर से रवाना होने से पूर्व नन्ही तैराक श्रद्धा ने खास बातचीत में बताया कि उसका सपना ओलम्पिक में मेडल जीतना है।जिसके लिए वह कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है।हर साल उफनाती गंगा में छलांग लगा कर नया कीर्तिमान बनाना उसकी इस जिद का हिस्सा है।

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