और चम्पत हो गया फतेहपुर का हमारा मिशन

और चम्पत हो गया फतेहपुर का हमारा मिशन
फतेहपुर -उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में ऐरायां ब्लॉक के अंतर्गत खजरियापुर गाँव में नवम्बर 2015 से हमारा मिशन नाम की चिट फंड ने लोगों का अरबों रुपया लेकर फरार हो गयी है, वैसे भी चिट फंड कंपनियों का ये कोई पहला घोटाला नहीं है इससे पहले भी देश में कई चिट फंड कंपनियों द्वारा घोटाला किया गया है जिनमें से कुछ के मामले अभीभी जाँच के अंतर्गतविचाराधीन हैं, हाल ही में पूरे देश में शारदा चिट फंड घोटाला खूब चर्चित रहा है जिसको लेकर पश्चिम बंगाल में सरकार और विपक्ष (माकपा) के बीच खूब बयानबाजियां और पोस्टर बाजियां भी होती रहीं हैं । एक का दो और दो का चार बनाने का दावा करने वाली चिट फंड कंपनियां कुछ ही समय में लोगों को लखपती बनाने का दावा करती हैं, इसी लालच में अच्छे अच्छे लोग ऐसी कंपनियों के झाँसे में आ जाते हैं जिसमें भोले -भोले सामान्य व्यक्तियों के अलावा कई बुद्धजीवी वर्ग भी फंस जाते हैं, ऐसी चिट फंड कंपनियों का जाल पूरे देश में फैला है । यूँ शुरू हुआ हमारा मिशन -------------------------------- उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के खजरियापुर गाँव निवासी राजेश मौर्या ने प्रेमनगर कस्बे की खस्ताहाल सड़क को अपने निजी पैसों से सुधार कराकर अपना विश्वास लोगों में जमाने लगा पहले तो लोग ये समझने लगे की शायद आगामी होने वाले 2017 के विधान सभा की तैयारी के चलते ये सब हो रहा है पर सच तो कुछ और ही था, इसी के चलते क्षेत्रीय लोगो का विश्वास और साथ भी राजेश मौर्या को मिलने लगा और लोगों ने राजेश को समाजसेवी मानते हुए "सर" की उपाधि तक दे दिया और क्षेत्र में लोग उन्हें सर के नाम से पुकारने लगे इतना ही नहीं इसके बाद राजेश ने अपनी शादी की और बारात कानपुर शहर ले गया जहाँ उसने इंजीनियर पूजा से शादी की, लोगों में और विश्वास जमाने के लिए राजेश ने शादी में दिखावा करते हुए पूरे इलाके के लोगों को आम तौर से निमंत्रण दिया, बारात में 700 लक्जरी चार पहिया वाहन और कई लक्ज़री बसों का भी इंतेजाम किया और एक शानदार भोज भी लोगों को दिया औरउसके बाद काम शुरू किया चिट फंड का और लोगों को लालच देकर निवेश कराना शुरू किया, उसने मिशन ग्रुप्स ऑफ़ कम्पनीज़ के बैनर तले आयुर्वेदिक दवा बनाने के नाम पर पैसा लेना शुरू कर दिया| हमारा मिशन कैसे करती थी काम --------------------------------------------- लोगों से एकमुश्त रूपए 30 हजार लिए जाते थें और उन्हें अगले माह की जमा तारिख से रूपए 10 हजार लगातार 11 महीनों तक दिए जाने का कंपनी ने वादा किया था, (यानि रूपए 30 हजार एकमुश्त देकर प्रत्येक 11 महीने तक रूपए 10 हजार यानि रूपए 1 लाख 10 हजार दिए जाने का वादा था) इसी प्रकार से लोगों का लालच बढ़ता गया और निवेशकों की संख्या दिन क दिन बढ़ती गयी, मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर हमारा मिशन की कमाई 90 करोड़ रूपए से ज्यादा ही हुयी है और ये कंपनी के संचालक राजेश मौर्या, उनके भाई ब्रजेश मौर्या और उनकी पत्नी पूजा मौर्या तथा खजरियपुर गाँव के कुछ अन्य जो राजेश के सहयोगी और पारिवारिक थें तथा मिशन कार्यालय के सक्षम कर्मचारी दिनांक 18 मार्च को लोगों का पैसा लेकर फरार हो गए हैं | कैसे बनाए जाते थें एजेंट्स --------------------------------- सबसे पहले राजेश मौर्या ने अपनी बिरादरी यानि मौर्या बिरादरी के लोगों को एजेंट्स बनाया और लोगों का निवेश कराना शुरू कर दिया था धीरे - धीरे इन्हीं एजेंटों के माध्यम से अन्य लोगों को भी एजेंट बनाना शुरू किया गया, कंपनी द्वारा जमा की कोई रशीद या कागज़ नहीं दिया गया सिर्फ एक डायरी बनायीं जाती थी जिसमें हर एजेंट्स अपने क्लाइंट का डिटेल रखता था धीरे - धीरे आगे चलकर कंपनी द्वारा एक शपथ - पत्र भी निवेशकों द्वारा भरवाया जाने लगा जिसमें लिखा गया की हम कंपनी को दान स्वरुप रूपए 30 हजार दे रहे हैं | एजेंटों का लालच / कमीशन ------------------------------- प्रत्येक एजेंट को कंपनी की तरफ से 10 क्लाइंट देने पर दुपहिया वाहन लेने के लिए रूपए 25 हजार नगद व रूपए 2000 रूपए किश्त लगातार 17 महीने तक दिए जाने को कहा गया था और इतना ही नहीं 30 क्लाइंट्स देने पर चार पहिया वाहन लेने के लिए रूपए 1 लाख नगद व 40 महीनों तक रूपए 5 हजार की किश्त दिए जाने को कहा गया था इतना ही नहीं प्रत्येक एजेंट को उनके क्लाइंटों की प्रत्येक वापसी पर रूपए 1500 भी दिए जानेका वादा किया गया था (यानि एक क्लाइंट को 11 माह तक रूपए 10 हजार वापसी

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