पाकिस्तान को अब मिलने वाली है एक और मात बलूचिस्तान मामले पर लग सकता है प्रतिबन्ध
Sep 23, 2016, 18:30 IST
नई दिल्ली - अंतर राष्ट्रीय मंच पर काश्मीर का मुद्दा उठाकर भारत को घेरने में लगे पाकिस्तान को अब और भी बड़ा झटका लग सकता है | कश्मीर का मुद्दा तो अब अलग ही पड गया | भारत द्वारा बलूचिस्तान के मुद्दे को उठाने के बाद यह मामला अचानक ही सुर्ख़ियों में आ गया | पाकिस्तान द्वारा जबरदस्ती पाकिस्तान अपने बलूचिस्तान प्रांत में मानवाधिकार हनन के मसले पर बुरी तरह से घिर गया है। इस मामले में भारत के खुलकर बलोचों का समर्थन करने के बाद यूरोपीय संघ ने पाकिस्तान को कड़ी फटकार लगाई है। उसने साफ कहा है कि पाकिस्तान बलोचों का दमन बंद करे या फिर प्रतिबंध झेलने के लिए तैयार रहे।
यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष रीस्जार्ड जारनेकी ने कहा कि बलूचिस्तान में अगर पाकिस्तान मानवाधिकारों का हनन बंद नहीं करेगा तो यूरोपीय संघ उस पर आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर हमारे साझेदार देश मानवाधिकार को स्वीकार नहीं करते हैं तो ऐसी स्थिति में उसके खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मंजूरी हासिल की जा सकती है।
समय बयानबाजी का नहीं बल्कि कार्रवाई करने का
जेनेवा में प्रदर्शनकारी बलोचों के दमन को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बलूचिस्तान में मारे गए अपने नेताओं को श्रद्धांजलि भी दी है। इन सभी घटनाओं पर करीबी नजर रखने वाले जारनेकी ने कहा कि यह समय बयानबाजी का नहीं बल्कि कार्रवाई करने का है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ उनके द्विपक्षीय आर्थिक और राजनीतिक संबंध है। अगर पाकिस्तान बलूचिस्तान के प्रति अपनी नीति में बदलाव नहीं करता है तो हम पाक और वहां की सरकार के प्रति अपना नजरिया बदलने पर मजबूर हो जाएंगे। जारनेकी ने कहा कि पाकिस्तान दोहरा रवैया अपना रहा है। एक तरफ वह दुनिया को अपना साफ-सुथरा चेहरा दिखाता है तो दूसरी तरफ वह मानवाधिकार हनन में लिप्त है।
सेना का सरकार पर नियंत्रण
उन्होंने कहा कि 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ के सभी सदस्यों को बलोचों के प्रति पाकिस्तान के दमनकारी रवैये और नीतियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान की समस्या यह है कि वहां सेना का सरकार पर नियंत्रण है। व्यावहारिक रूप में इस्लामाबाद में बैठी सरकार का स्थिति पर कोई नियंत्रण नहीं है। अब समय आ गया है कि ऐसी स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त की जाए। बलूचिस्तान के लोगों के साथ हमें एकजुटता दिखानी होगी। यूरोपीय संघ ने भी माना है कि पाकिस्तान में सरकार कि भुमिका बेहद कमजोर होती है और सेना उन पर हावी रहती है इसलिए वह कोई भी निर्नल ले पाने में पूरी तरह से सक्षम नही रहते हैं |
यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष रीस्जार्ड जारनेकी ने कहा कि बलूचिस्तान में अगर पाकिस्तान मानवाधिकारों का हनन बंद नहीं करेगा तो यूरोपीय संघ उस पर आर्थिक और राजनीतिक प्रतिबंध लगा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर हमारे साझेदार देश मानवाधिकार को स्वीकार नहीं करते हैं तो ऐसी स्थिति में उसके खिलाफ आर्थिक प्रतिबंध लगाने की मंजूरी हासिल की जा सकती है।
समय बयानबाजी का नहीं बल्कि कार्रवाई करने का
जेनेवा में प्रदर्शनकारी बलोचों के दमन को लेकर पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने बलूचिस्तान में मारे गए अपने नेताओं को श्रद्धांजलि भी दी है। इन सभी घटनाओं पर करीबी नजर रखने वाले जारनेकी ने कहा कि यह समय बयानबाजी का नहीं बल्कि कार्रवाई करने का है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ उनके द्विपक्षीय आर्थिक और राजनीतिक संबंध है। अगर पाकिस्तान बलूचिस्तान के प्रति अपनी नीति में बदलाव नहीं करता है तो हम पाक और वहां की सरकार के प्रति अपना नजरिया बदलने पर मजबूर हो जाएंगे। जारनेकी ने कहा कि पाकिस्तान दोहरा रवैया अपना रहा है। एक तरफ वह दुनिया को अपना साफ-सुथरा चेहरा दिखाता है तो दूसरी तरफ वह मानवाधिकार हनन में लिप्त है।
सेना का सरकार पर नियंत्रण
उन्होंने कहा कि 28 सदस्यीय यूरोपीय संघ के सभी सदस्यों को बलोचों के प्रति पाकिस्तान के दमनकारी रवैये और नीतियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पाकिस्तान की समस्या यह है कि वहां सेना का सरकार पर नियंत्रण है। व्यावहारिक रूप में इस्लामाबाद में बैठी सरकार का स्थिति पर कोई नियंत्रण नहीं है। अब समय आ गया है कि ऐसी स्थिति पर प्रतिक्रिया व्यक्त की जाए। बलूचिस्तान के लोगों के साथ हमें एकजुटता दिखानी होगी। यूरोपीय संघ ने भी माना है कि पाकिस्तान में सरकार कि भुमिका बेहद कमजोर होती है और सेना उन पर हावी रहती है इसलिए वह कोई भी निर्नल ले पाने में पूरी तरह से सक्षम नही रहते हैं |