भारत ने जताया अपने ताकत का अहसास अभियान सफल होने पर कमाई होगी 12 करोड़ डालर के पार
Sep 25, 2016, 18:30 IST
नई दिल्ली- मोदी के मेक इन इंडिया को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के छात्रों ने पूरा कर दिखाया | भारत ने अपने उपग्रह तो भेजे ही अमेरिका का एक, कनाडा का एक और अल्जीरिया के उपग्रह भी भेजे |भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान सगंठन (इसरो) ने सोमवार को अब तक के अपने सबसे बड़े प्रक्षेपण अभियान को अंजाम दिया। इसरो अपने इस अभियान के तहत पोलर उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) राकेट से आठ उपग्रहों को प्रक्षेपित किया। श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 26 सितंबर को सुबह 9.12 पर 320 टन का पीएसएलवी-सी35 आठ उपग्रहों को लेकर रवाना हुआ। इसरो ने PSLV की सबसे लंबी फ्लाइट स्कैटसैट-1 (SCATSAT-1) को सागर और मौसम संबंधी जानकारियां प्राप्त करने के लिए लॉन्च किया।सोमवार को किया गया यह प्रक्षेपण अभियान दो घंटे 15 मिनट में पूरा होगा। पीएसएल वीपीएसएलवी से प्रक्षेपित होने वाले आठ उपग्रहों में भारत सहित अन्य दूसरे देशों के उपग्रह भी शामिल हैं। जिसमें भारत के तीन, अमेरिका का एक, कनाडा का एक और अल्जीरिया के तीन उपग्रह हैं। रॉकेट का मुख्य भार 371 किलोग्राम का स्कैटसैट-1 भारतीय उपग्रह होगा, जो समुद्री व मौसम संबंधी अध्ययन से जुड़ा है। इसे उड़ान के 17 मिनट के भीतर 730 किलोमीटर ध्रुवीय सूर्य समकालिक कक्षा में स्थापित किया जाएगा।इस मिशन के सफल होने पर भारत कुल 79 विदेशी उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुंचाने वाला देश बन जाएगा. इसके साथ ही अंतरिक्ष अभियान से भारत को होने वाली कमाई भी 12 करोड़ डॉलर को पार कर जाएगी.दो अन्य भारतीय उपग्रहों में मुंबई की भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) द्वारा तैयार प्रथम (10 किलोग्राम) और पीईएस विश्वविद्यालय, बेंगलुरू का पिसैट शामिल है। इसके आलावा अल्जीरिया, कनाडा और अमेरिका के उपग्रहों को भी इस मिशन के जरिए पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करना है। अल्जीरिया के उपग्रहों के नाम हैं, अल्सैट-1 बी, अल्सैट-2 बी, अल्सैट-1 एन। कनाडा के उपग्रह का नाम ‘एनएलएस-19’ और अमेरिकी उपग्रह का नाम ‘पाथफाइंडर’ है। भारतीय उपग्रहों में से 10 किलोग्राम के ‘प्रथम’ को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) बांबे के छात्रों ने विदेशी विश्वविद्यालय की मदद से तैयार किया है और 5.25 किलोग्राम के ‘पिसैट’ को पीईएस विश्वविद्यालय बेंगलुरु ने तैयार किया है। इसरो ने बताया कि एससीएटीएसएटी-1 को 720 किलोमीटर पोलर एसएसओ में स्थापित किया जाएगा वहीं, दो अकादमिक संस्थानों के उपग्रह और पांच विदेशी उपग्रहों को 670 किलोमीटर पोलर कक्षा में स्थापित किया जाएगा।