अयोध्या में रामलीला को वनवास

अयोध्या में रामलीला को वनवास
अयोध्या -दशहरे के मौके पर वैसे तो पूरे देश में अलग अलग भाषा,अलग अलग रूप रंग में रामलीला के रंग बिखरे होते है भगवान् राम की लीला अयोध्या से शुरू होकर लंका विजय पर समाप्त होती है लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा की जहां देश की राजधानी दिल्ली में रामलीला का मंचन देखने के लिए हाई प्रोफाइल पढ़े लिखे नौकरी पेशा दिल्लीवासियों की भीड़ जमा होती है वही दुर्गापूजा की धूम में राम की नगरी अयोध्या में रामलीला को वनवास झेलना पड़ रहा है आलम ये है की शाम ढले लीला स्थल पर लोगो की वो तादात नज़र नहीं आती जो दशको पहले हुआ करती थी।
रामनगरी अयोध्या में दशहरे के दौरान रामलीला कराने वाली सिर्फ दो कमेटियां काम कर रही है जिसमे स्वामी भगवदाचार्य तुलसी स्मारक सदन में संत श्री तुलसी दास रामलीला समिति द्वारा महंथ नृत्यगोपाल दास और बाबा शिवशंकर दास के संरक्षण में और राजेन्द्र निवास स्वर्गद्वार मोहल्ले में अयोध्यास्थ रामलीला महोत्सव समिति द्वारा महंत वैदेही वल्लभ शरण और व्रीरेन्द्र पांडे पुत्तीलाल के संयोजन में परम्परागत रूप से रामलीला का आयोजन किया जा रहा है,दोनों ही समितियों के संचालन और आयोजन का ज़िम्मा अयोध्या के सम्मानित संतो और स्थानीय नागरिको के कंधो पर है और चंदा लगाकर इस आयोजन को निरन्तरता प्रदान की जा रही है लेकिन इस आयोजन का एक दुखद पहलू यह है की जहां आयोजन समितिया जी जान लगाकर रामलीला के प्रचार प्रसार में जुटी है वही आम जनमानस में इस परम्परागत आयोजन को लेकर वो उत्साह और वो रूचि नहीं दिख रही जो किसी जमाने में हुआ करती थी,आज का युवा इस तरह के आयोजनों से विमुख हो रहा है।जिस तरह दुर्गा पूजा के आयोजन विस्तार लेते जा रहे है उसी तरह से रामलीला के प्रति रूचि कम होती जा रही है जिस तरह राम की नगरी अयोध्या में ही रामलीला के प्रति लोगो जुड़ाव ख़त्म हो रहा है वह चिंता का विषय है और इसके लिए केंद्रीय दुर्गा पूजा समिति एवं रामलीला समन्वय समिति इस आयोजन के प्रचार और प्रसार में जी जान लगा रही है जिस से अयोध्या की रामलीला वापस अपने स्वरूप को पा सके।


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