मोदी की किस बात पर तिलमिला उठी मायावती !

मोदी की किस बात पर तिलमिला उठी मायावती !
लखनऊ- बसपा सुप्रीमों मायावती द्वारा अब भाजपा को सीधे निशाने पर ले लिया गया हुई मोदी द्वारा सपा बसपा को मिले हुए कहे जाने पर मायावती ने तीखी प्रतिक्रिया दी है | मायावती ने कहा की स्टेट गेस्ट हाउस काण्ड जो सपा द्वारा किया गया था वह अक्षम्य अपराध है और बसपा ने हमेशा से ही सपा का विरोध किया है |
बीते दिनों में सपा में जिस तरह से घमासान मचा हुआ है उसको देखते हुए एक रणनीति के तहत मायावती ने भाजपा पर हमला बोल दिया है जिससे भाजपा से बसपा ही सीधे लडाई में रहे और सपा पर बोलना कम कर दिया है |
बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती ने उत्तर प्रदेश में यहाँ शीघ्र होने वाले विधानसभा आमचुनाव में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपनी पार्टी की खस्ताहाल स्थिति के मद्देनज़र ‘‘मिथ्या व भ्रामक प्रचार‘‘ की भूमिका में उतर आने के लिये उनकी तीखी आलोचना करते हुये कहा कि वास्तव में श्री मोदी ने यह कहकर अपना मज़ाक खुद उड़ाया है कि सपा-बसपा आपस में मिले हुये हैं।
दिनांक 2 जून सन् 1995 की स्टेट गेस्ट हाऊस काण्ड के ’’अक्षम्य अपराध’’ के बाद बी.एस.पी. ने सपा से कभी भी किसी भी प्रकार का कोई भी मेलजोल या तालमेल नहीं रखा तथा हर स्तर पर सपा द्वारा राजनीति के अपराधीकरण व उसकी सरकार के जंगलराज का डटकर मुकाबला किया।ऽ फिर भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी बी.एस.पी. के ख़िलाफ मिथ्या व भ्रामक प्रचारक की भूमिका में, स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण : बी.एस.पी.। उत्तर प्रदेश में हालाँकि अभी विधानसभा आमचुनाव के लिये तिथि की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अपनी पार्टी भाजपा की तरह ही, मिथ्या व भ्रामक प्रचार में अभी से ही जुट गये हैं, और इस क्रम में ऐसी ग़लतबयानी कर रहे हैं जो उत्तर प्रदेश व देश के लोगों के गले के नीचे कतई भी उतरने वाली नहीं है।दिनांक 24 अक्टूबर 2016 को बुन्देलखण्ड के महोबा रैली के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा अपने भाषण में बसपा का सपा के साथ आपसी मिलीभगत होने के आरोप के जवाब में सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ जारी एक बयान में कहा कि दिनांक 02 जून सन् 1995 को लखनऊ के स्टेट गेस्ट हाऊस में सपा नेतृत्व द्वारा उन पर कराये गये जानलेवा हमले के ‘‘अक्षम्य अपराध‘‘ के बाद बी.एस.पी. ने कभी भी सपा से कोई नाम मात्र का भी सियासी मेल-जोल नहीं रखा है। तब से लेकर आज तक लगभग 21 वर्षों की लम्बी अवधि में बी.एस.पी. हर स्तर पर व हर मोर्चें पर सपा के आपराधिक चाल, चरित्र व चेहरे का लगातार विरोध करती रही है और इस क्रम में कभी भी राजनीतिक व चुनावी लाभ-हानि पर ध्यान नहीं दिया है, जिसका गवाह आज तक का उत्तर प्रदेश व देश का तत्कालीन राजनीतिक इतिहास है। इस मामले में पार्टी के स्तर के साथ-साथ सरकार में रहते हुये भी बी.एस.पी. ने जबर्दस्त तौर पर सपा के भ्रष्टाचार व उसके राजनीति के अपराधीकरण का काफी डटकर विरोध किया है तथा इस सम्बन्ध में अनेकों सख़्त फैसले लेकर सख़्त कानूनी कार्रवाई भी की है। फिर भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी राजनीति करने पर ही अमादा लगते हैं और वे उत्तर प्रदेश विधानसभा आमचुनाव के मद्देनज़र लोगों को वरग़लाने के लिये मिथ्या प्रचार व असत्य आरोप लगा रहे हैं। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है तथा उनको बसपा-सपा की मिलीभगत का आरोप उस कहावत को ही चरितार्थ करता है कि ’उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे’। इस बारे में जैसाकि सर्वविदित है कि भारतीय जनसंघ व इसके वर्तमान स्वरुप में भाजपा ने सपा नेता श्री मुलायम सिंह यादव से सन् 1967 से ही सीधे सम्पर्क में रही और ख़ासकर सन् 1967, 1977 व सन् 1989 में मिलकर चुनाव भी लड़ा है। इसके अलावा अभी हाल ही में भाजपा व सपा ने एक-दूसरे से खुले तौर पर मिलकर बिहार में धर्मनिरपेक्ष गठबन्धन के खिलाफ विधानसभा आमचुनाव लड़ा था और बुरी तरह से परास्त भी हुये। जहाँ तक उत्तर प्रदेश का सवाल है तो यह स्पष्ट तौर पर लोगों ने बार-बार बल्कि अनेकों बार देखा है कि किस प्रकार सपा-भाजपा यहाँ एक-दूसरे पर नरम रहते है और आपसी साँठ-गाँठ करके प्रदेश को साम्प्रदायिक तनाव व दंगे की राजनीति करके दोनों एक-दूसरे की मदद करते रहते हैं। इतना ही नहीं बल्कि सपा सरकार के पिछले लगभग साढ़े चार वर्षों के कार्यकाल के दौरान इन दोनों पार्टियों की जबर्दस्त आपसी मिलीभगत के कारण ही प्रदेश की लगभग 22 करोड़ आमजनता किस प्रकार से जातीय, साम्प्रदायिक व जंगलराज के अभिशाप से परेशान रही हैं, इसको पूरे देश के लोगों ने महसूस किया है। प्रदेश में ख़ासकर सन् 2013 के साम्प्रदायिक दंगे में भाजपा-सपा की मिलीभगत खुलकर लोगों के सामने आयी और इसका परिणाम यह हुआ कि काफी बड़ी संख्या में लोग मारे गये व लाखों लोग बेघर हुये। फिर भी मुख्य दोषी लोगां के खिलाफ सपा सरकार ने सख़्ती से कार्रवाई नहीं की, जिस कारण मुख्य दोषी लोग अब भी खुलेआम घूम रहे हैं तथा अपनी घोर साम्प्रदायिक गतिविधियां जारी रखे हुये हैं। इसके बदले में केन्द्र में भाजपा की सरकार ने यहाँ प्रदेश में सपा के हर स्तर पर व्याप्त जंगलराज के ख़िलाफ संविधान की धाराओं के तहत एक भी रिपोर्ट राज्यपाल महोदय से नहीं माँगी और ना ही कोई नोटिस ही सरकार को अब तक जारी की है। इसी प्रकार अयोध्या प्रकरण में भी सपा व भाजपा आपस में मिलकर घिनौनी राजनीति करते रहे है।
इसी प्रकार के अनेकों उदाहरणों से आमजनता में यह आम धारणा बन गयी है कि उत्तर प्रदेश में सपा-भाजपा मिले हुये हैं और आने वाले विधानसभा के आमचुनाव के लिये भी यह दोनों पार्टियाँ ख़ासकर बी.एस.पी. व उसके नेतृत्व के ख़िलाफ मिलकर काम कर रही है। इसलिए यह बात कोई सपने में भी नहीं सोच सकता है कि बी.एस.पी. व सपा मिले हुये हैं। फिर भी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अगर ऐसा बयान देते हैं तो यही कहा जायेगा उनका यह बयान राजनीति से प्रेरित है और साथ ही केन्द्र में अपनी सरकार के लगभग ढाई वर्षों में कोई भी देशहित व जनहित का चुनावी वायदा नहीं निभा पाने में विफलता के कारण हो रही अपनी बुरी फ़ज़ीहत से लोगों का ध्यान बाँटने के लिये ही ऐसी आधारहीन व बेबुनियाद बातें की जा रही हैं जिस पर कोई रत्तीभर भी यक़ीन नहीं कर सकता है।


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