शरद ऋतू में क्या खाए और किन चीज़ों से परहेज करे

शरद ऋतू में क्या खाए और किन चीज़ों से परहेज करे
डेस्क-सितंबर महीने से मौसम बदल चुका है। वक्ते आ गया है खानपान में बदलाव लाने का। 16 सितंबर से लेकर 15 नवंबर तक का टाइम शरद ऋतु कहलाता है। इस मौसम में बादल चले जाते हैं और आसमान साफ हो जाता है। चांद की किरणें ज्यामदा इफेक्टिपव हो जाती हैं। सूरज की किरणों में भी तेज बढ़ जाता है। नदियोंए तालाब बगैरा का पानी साफ हो जाता है। इतने सारे बदलाव होने के चलते खाने पीने की चीजों और हमारी बॉडी में भी केमिकल बदलाव होने लगते हैं। आयुर्वेद की भाषा में बात करें तो पित्त बढ़ जाता है। इससे हमारा खून भी पहले के मुकाबले गंदा हो जाता है। इस मौसम में बुखारए फोड़ेए खुजली और स्‍िकन के रोग होने लगते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप मौसम के हिसाब से अपने खानेपीने की आदतें बदल लें।हम आपको बता चुके हैं कि इस मौसम में पित्त बढ़ जाता है इसलिए हमें ऐसी चीजें नहीं खानी चाहिए जिनसे बॉडी में एसिड बने। लहसुनए बैंगनए करेलाए सौंफए काली मिर्चए हींगए सरसों का तेलए उड़द की दालए कढ़ी वगैरा से परहेज करें। इस मौसम में छाछ.मट्ठे भी परहेज करना चाहिए। आपको ज्याएदा गर्म तासीर वालेए कड़वे और चटपटे खाने से थोड़ा बचकर रहना है।शरद ऋतु में क्यास खायेंइस मौसम में तो खाने पीने को बहुत कुछ है। कोशिश करें ऐसी चीजें खाने की जिनसे पित्त शांत रहे। गेहूंए जौए ज्वाहरए मसूर व मूंग की दालए सेमए गाय का दूधए मक्ख नए घीए मलाईए श्रीखंड वगैरा ले सकते हैं। सब्जिएयों में चौलाईए बथुआए लौकीए तोरीए पालकए परवलए सोयाए फूलगोभीए कुंदरू को शौक से बनायें और खायें। इसी तरह से फलों में आप सेबए अनारए केलाए आंवलाए मुनक्काैए सिंघाड़ा वगैरा खा सकते हैं।सुबह के वक्ती खीर खाना अच्छात रहता है। घी भी खाना चाहिए क्योंसकि घी में पित्त को शांत करने की काबलियत होती है। हरड़ का इस्तेंमाल भी इस मौसम में बहुत अच्छा माना जाता है। आप हरड़ को शहद या गुड़ या मिश्री के साथ खा सकते हैं। पुरानी किताबें कहती हैं कि इस मौसम में रात के वक्त चांदनी में रखा गये पानी में अमृत के गुण आ जाते हैं। इस पानी को हंसोदक या अंशदूक कहते हैं। इस पानी को पीने से बहुत फायदा होता है। इस मौसम में रात को हल्का खाना ही खाना चाहिए। नॉन वेज खाने वाले मछलीए भेंड़ए बकराए खरगोशए तीतर वगैरा खा सकते हैं।और किन बातों का ध्यालन रखेंइस मौसम में शरीर बहुत ताकतवर नहीं रहता हालांकि बारिश के मौसम के मुकाबले शरीर में ताकत बढ़ जाती हैए लेकिन फिर भी बहुत मेहनत करने से हो सके तो बचें। दिन में सोना और रात को देर तक जागता गलत है। जब खुलकर भूख लगे तभी खाना खायें। इस मौसम में उगने वाले फूलों को अपने आसपास रखा करें। रात के वक्तऔ चांद की रोशनी में बैठना भी अच्छाख होता है।एक बात का और ध्याेन रखेंए जब इस मौसम का आखिरी सप्ताछह चल रहा हो तो आने वाले मौसम के हिसाब से खाने पीने में थोड़ा थोड़ा बदलाव शुरू कर देना चाहिए।


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