पीके का कांग्रेस से काम ख़त्म ,पैसा हजम

पीके का कांग्रेस से काम ख़त्म ,पैसा हजम
लखनऊ (नरेश दीक्षित )-बीते लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के रणनीतिकार रहे प्रशांत किशोर "पीके" को कांग्रेस करोड़ों रूपये के पैकेज पर उत्तर प्रदेश में पार्टी की माली हालत सुधारने के लिए जिस जोश खरोश के साथ लाई थी| सूबे के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के विरोध व सपा से गठबंधन न करा पाने के वजह से पार्टी ने पीके से दूरियां बढ़ा ली हैं | कांग्रेस की ओर से पीके की फंडिंग रोक दी गई है जिसकी वजह से पीके ने भी अब कांग्रेस के लिए काम करना बंद कर दिया है |
बिहार में सफलता के बाद यूपी में पीके को आजमाना चाहती थी कांग्रेस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए रणनीति बनाने में सफल रहे प्रशांत किशोर का दूसरा टेस्ट बिहार में हुआ जिसमे वह जदयू के नितीश कुमार ,आरजेडी के लालू प्रसाद यादव व कांग्रेसी नेताओं के बीच महागठबंधन बनवाने में न सिर्फ कामयाब रहे ,बल्कि नितीश कुमार को मुख्यमंत्री बनवाने में भी सफल रहे | इससे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से उनकी नजदीकियां बढीं और उन्हें उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से कांग्रेस के गठबंधन की जिम्मेदारी सौंप दी गई | सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से उनकी मुलाकातों को खासी प्राथमिकता मिली और कांग्रेसी नेताओं को लगा कि यूपी में भी सपा कांग्रेस गठबंधन भाजपा को विधानसभा चुनाव में जबरदस्त पटखनी दे देगा |लेकिन एकायक मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पीके की रणनीति पर संदेह हो गया और उन्होंने दो घंटे इन्तजार के बाद भी पीके से मिलने से इनकार कर दिया | बाद में मुलायम सिंह के फोन पर अखिलेश ने पीके से मुलाकात तो की लेकिन सपा कांग्रेस गठबंधन से साफ़ मना कर दिया |
कांग्रेसी नेताओं की नाराजगी व सपा से गठबंधन न करा पाना महंगा पड़ा
उधर यूपी की राजनीति में पीके की धमाकेदार इंट्री से पार्टी के वरिष्ठ नेता इसलिए नाराज हो गए कि उनकी दशकों की निष्ठा पर नेतृत्व ने संदेह किया और प्रोफ्रेशनल पीके पर ज्यादा भरोसा दिखाया गया | कई नेताओं ने तो राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी व उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलकर पीके को यूपी में ज्यादा तरजीह देने पर नाराजगी भी जताई थी |एक तरफ पार्टी के बड़े नेताओं की नाराजगी और दूसरी तरफ सपा से कांग्रेस का गठबंधन न करा पाने के वजह से पार्टी की चौतरफा हुई किरकिरी को कांग्रेस नेतृत्व ने गंभीरता से लिया और धीरे धीरे पीके के पर कतरने की रणनीति बनायीं जाने लगी | सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के रणनीतिकार पीके को कई महीने से पार्टी ने मेहनताना नहीं दिया है जिससे वह अन्दर अन्दर खफा हैं और अब वह कांग्रेस के लिए तबतक किसी नई रणनीति पर काम नहीं करेंगे जब तक उनका बकाया पैकेज नहीं मिल जाता है |

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