नोटबंदी पर चीन ने खुलकर किया भारत का समर्थन,जानिए क्या कहा चीनी मीडिया ने
Nov 25, 2016, 18:30 IST
डेस्क-नोटबंदी पर जहा एक तरफ नेपाल के भारतीय करेंसी अभी बैन कर रखजे है वही चीनी मीडिया ने इसका खुलकर समर्थन किया।चीन की सरकारी मीडिया ने लिखा है कि मोदी का यह कदम साहसिक है। भ्रस्टाचार पर उठाये गए इस कदम से चीन जरूर सिख लेगा।चाहे यह पूर्ण रूप से सफल हो या न हो।
चीन के समाचार पत्र 'ग्लोबल टाइम्स' में छपे संपादकीय में छपा है कि अगर चीन में 50 या 100 युयान ने नोटेबन्दी कर दिए जाये तो चीन में क्या ह9गया हम इसकी कल्पना भी नही कर सकते है।मोदी ने करेंसी रिफार्म पर फैसला लेकर एक बड़ा गेम खेला है।
समाचार पत्र में लिखा है नोटबंदी को पूरी तरह गुप्त रखा गया ताकि इससे लागु करने में कोई अव्यवस्था न हो,कि भारत में लगभग 90 फीसदी लेनदेन कैश में होता है। और देश में जारी कुल कैश का 85 फीसदी नोट 500,1000 के नोट के रूप में थे। जिससे कालाधन को बढ़ावा मिल रहा था,सरकार के इस फैसले से आम जनता को थोड़ी दिक्कते हुई,लेकिन भ्रस्टाचार को रोकने में कारगर होगी|पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे संगठित लूट तक कह दिया । लेकिन इसको बढ़ावा देने वाले राजनितिक और सामाजिक समाधान मुश्किल है।
अखबार साथ ही लिखता है कि लोकतंत्र में इस तरह के साहसिक कदम की जगह बहुत कम होती है। नोटबंदी चाहे सफल हो या असफल लेकिन यह एक उदाहरण जरूर पेश करेगा।
अखबार लिखता है, 'सुधार हमेशा से मुश्किल रहा है। मोदी का नोटबंदी का फैसला सही सोच के साथ आया है। लेकिन, इसकी सफलता व्यवस्था और समाज के सहयोग पर निर्भर करती है।' अखबार लिखता है कि चीन में भी पिछले 40 सालों से सुधार का क्रम जारी है। इसमें कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। अखबार के मुताबिक ' इसकी सफलता आम जनता के व्यापक समर्थन से ही संभव होती है।
चीन के समाचार पत्र 'ग्लोबल टाइम्स' में छपे संपादकीय में छपा है कि अगर चीन में 50 या 100 युयान ने नोटेबन्दी कर दिए जाये तो चीन में क्या ह9गया हम इसकी कल्पना भी नही कर सकते है।मोदी ने करेंसी रिफार्म पर फैसला लेकर एक बड़ा गेम खेला है।
समाचार पत्र में लिखा है नोटबंदी को पूरी तरह गुप्त रखा गया ताकि इससे लागु करने में कोई अव्यवस्था न हो,कि भारत में लगभग 90 फीसदी लेनदेन कैश में होता है। और देश में जारी कुल कैश का 85 फीसदी नोट 500,1000 के नोट के रूप में थे। जिससे कालाधन को बढ़ावा मिल रहा था,सरकार के इस फैसले से आम जनता को थोड़ी दिक्कते हुई,लेकिन भ्रस्टाचार को रोकने में कारगर होगी|पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसे संगठित लूट तक कह दिया । लेकिन इसको बढ़ावा देने वाले राजनितिक और सामाजिक समाधान मुश्किल है।
अखबार साथ ही लिखता है कि लोकतंत्र में इस तरह के साहसिक कदम की जगह बहुत कम होती है। नोटबंदी चाहे सफल हो या असफल लेकिन यह एक उदाहरण जरूर पेश करेगा।
अखबार लिखता है, 'सुधार हमेशा से मुश्किल रहा है। मोदी का नोटबंदी का फैसला सही सोच के साथ आया है। लेकिन, इसकी सफलता व्यवस्था और समाज के सहयोग पर निर्भर करती है।' अखबार लिखता है कि चीन में भी पिछले 40 सालों से सुधार का क्रम जारी है। इसमें कई उतार-चढ़ाव देखने को मिले हैं। अखबार के मुताबिक ' इसकी सफलता आम जनता के व्यापक समर्थन से ही संभव होती है।