क्या कहते हैं ज्योतिषी सीएम अखिलेश यादव के भविष्य के बारे में

क्या कहते हैं ज्योतिषी सीएम अखिलेश यादव के भविष्य के बारे में
अखिलेश यादव की कुंडली -- उज्जैन के पं. दयानन्द शास्त्री के अनुसार अखिलेश यादव की गूगल पर उपलब्ध जन्म पत्रिका के अनुसर अखिलेश यादव का जन्म 1 जुलाई 1973 को वृश्चिक लग्न कर्क राशि में हुआ। वृश्चिक राशि स्थिर राशि होकर लग्नस्थ भी है। मंगल पृथ्वी पुत्र है। पराक्रम का प्रतीक है। यही वजह है कि अखिलेश ने जमीन से जुड़ कर शानदार सफलता हासिल की। अखिलेश यादव की पत्रिका में विशेष बात यह है कि नवांश में बुध उच्च का है और शुक्र नीच का, जो‍ कि नीच-भंग योग का निर्माण कर रहा है। शनि उच्च का है, मंगल स्वराशि वृश्चिक का है। चन्द्र कर्क स्वराशि का है। पाठकों, उत्तरप्रदेश के कद्दावर नेता व पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के इंजीनियर पुत्र अखिलेश यादव उत्तरप्रदेश के किंग मेकर के रूप में उभरे। उज्जैन के पं. दयानन्द शास्त्री के अनुसार अखिलेश यादव की गूगल पर उपलब्ध जन्म पत्रिका में लग्न व षष्टम (शत्रु भाव) का स्वामी मंगल पंचम भाव में है। वहीं पंचमेश गुरु वक्री होकर तृतीय भाव में है। वहीं से भाग्य के स्वामी चन्द्रमा पर पूर्ण सप्तम दृष्टि पड़ रही है, यह गजकेसरी नामक राजयोग बना रहा है। अखिलेश को राजसुख तो मिलना ही है लेकिन सफलता के मार्ग सहज नहीं है।दशम भाव राजनीति व पिता का है। वैसे पिता की स्थिति का अंदाजा नवम भाव से भी लगाया जाता है। यहां यानी भाग्य भाव नवम में अखिलेश की कुंडली में बुध, शुक्र व चन्द्र है। इसी वजह से पिता का भरपूर सहयोग रहा। सूर्य की स्थिति अष्टम भाव में होकर मित्र राशि मिथुन में है। अष्टम भाव ठीक नहीं, दशम राजनीति भाव का स्वामी अष्टम में आ जाने से थोड़ी कठिनाई आएगी। यहां शनि केतु के साथ है। वैसे शनि मित्र राशि मिथुन का है लेकिन केतु नीच का है। दो ग्रह मित्र राशि में है, एक शत्रु का। बहुमत के आधार पर अष्टम भाव में केतु नगण्य-सा है।फिर भी अखिलेश को दुर्घटना से बचना होगा। अखिलेश यादव की कुंडली में 11 अगस्त के बाद से जब से गुरु ने राशि बदली है, इसके बाद मिथुन राशि से गुरु चतुर्थ हो गया है और अखिलेश की परेशानियां बढ़ गई हैं। उज्जैन के पं. दयानन्द शास्त्री के अनुसार अखिलेश यादव की कुंडली में बुध की महादशा चल रही है। इसी कारण उन्हें पिता की वजह से राजगद्दी की प्राप्ति हुई है। अब बुध में गुरु का अंतर चल रहा है। गुरु उनकी कुंडली में नीच का है। इसी कारण जब से यह समय शुरु हुआ है, उनके लिए स्थितियां विपरीत बनी हुई हैं। आगे भी यह सब जारी रहेगा। गोचर में गुरु चतुर्थ होने से भी परेशानी बढ़ने वाली हैं। आने वाले चुनाव में भी इन्हें बाहरी समस्याओं के साथ ही आंतरिक विरोध का सामना करना पड़ सकता है। उज्जैन के पं. दयानन्द शास्त्री ने यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए यह बताया कि इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को नुकसान का सामना करना पड़ सकता है | उज्जैन के पं. दयानन्द शास्त्री के अनुसार अखिलेश की कुंडली से यह जाहिर हो रहा है कि कई ग्रह और नक्षत्र उनके हो गए हैं. जो चुनाव में उन्हें भारी पड़ सकता हैं. अखिलेश यादव की कुंडली के अनुसार मार्च 2017 में उनकी बुध की महादशा समाप्त हो रही है. उनकी जन्म कुंडली में बुध का बहुत ही महत्व है. यह उनके कर्म भाव तथा लग्न का स्वामी है तथा कुंडली में जो राजयोग है वह भी बुध और चन्द्रमा के स्थान परिवर्तन के कारण ही निर्मित हुआ था| जब सन् 2000 में बुध की महादशा प्रारम्भ हुई थी उसी समय अखिलेश ने पहली बार राजनीतिक सुख का उपभोग किया था परन्तु अब वह अपनी पूर्णता की ओर है. इसके साथ ही उनके राजयोग का यह चरण मार्च 2017 में समाप्त होगा | जिस चंद्रमा और बुध के स्थान परिवर्तन के कारण अखिलेश के राजयोग का निर्माण हुआ था उसी चंद्रमा के अस्त होने के कारण जब भी उनके हाथ सत्ता की बागडोर आएगी तो साथ में मानसिक उलझने भी साथ लाएगी. सपा सरकार और पार्टी के अन्दर चल रही यह उलझने उसी का परिणाम हैं. 15 नवंबर के बाद यह खुद ब खुद यह उठापटक शांत होने लगेंगी. सत्ता पर अखिलेश की पकड़ मजबूत हो जाएगी | उज्जैन के पं. दयानन्द शास्त्री के अनुसार अखिलेश यादव की गूगल पर उपलब्ध जन्म पत्रिका में भले ही उनकी कुंडली में ग्रह और नक्षत्र विपरीत चल रहे हैं लेकिन इससे उन्हें कोई निजी नुकसान नहीं होगा बल्कि उनकी पार्टी को इससे फर्क पड़ सकता है |

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