जानिए इन नक्षत्रों द्वारा आपके शरीर पर चोंट का स्थान

जानिए इन नक्षत्रों द्वारा आपके शरीर पर चोंट का स्थान
डेस्क -नक्षत्रों को शरीर पर विभाजित करने का वर्गीकरण उस वक़्त बहुत उपयोगी होता है जब किसी जातक की कुंडली का सही पता नहीं होता है यह देखने हो की प्रस्तुत कुंडली उसी जातक की है या नहीं ;अलग अलग ग्रह विभिन्न नक्षत्रों पर अपना एक अलग प्रकार का चिन्ह अथवा निशान देते है !

इतना ही नहीं चिकित्सा ज्योतिष में भी पीड़ित नक्षत्रों के द्वारा यह ज्ञात किया जाता है की जातक को किस स्थान पर रोग की सम्भावना ज्यादा है और कहा बिलकुल नहीं है ! यह हमेशा से शोध का विषय रहा है !
नक्षत्रों को शरीरांगो पर विभाजित करने में विद्वानों में एक से अधिक मत रहे है !
१.शास्त्रीय मत से नक्षत्र पुरुष का विचार : ---
शरीर के अंगो पर सभी नक्षत्रों का कोई क्रम नहीं है !"वामनपुराणानुसार " इनका विभाजन निम्नलिखित है !
क्रम. नक्षत्र - शरीरांग१. अश्विनी - दोनों घुटने २. भरणी - सिर ३. कृतिका - कटिप्रदेश ४. रोहिणी - दोनों टांगे ५. मृगशिरा - दोनों नेत्र ६. आर्द्रा - बाल ७. पुनर्वसु - अंगुलियाँ ८. पुष्य - मुख ९. आश्लेषा - नख १०. मघा - नाक११. पूर्वा फाल्गुनी - गुप्तांग १२. उत्तरा फाल्गुनी- गुप्तांग १३. हस्त - दोनों हाथ १४. चित्रा - मस्तक १५. स्वाति - दांत १६. विशाखा - दोनों भुजाएं १७. अनुराधा - ह्रदय, वक्षस्थल १८. ज्येष्ठा - जिव्हा १९. मूल - दोनों पैर २०. पूर्वा षाढा - दोनों जांघें २१. उत्तरा षाढा - दोनों जांघें २२. श्रवण - दोनों कान २३. धनिष्ठा - पीठ २४. शतभिषा - ठोड़ी के दोनों पार्श्व २५. पूर्वा भाद्रपद - बगल २६. उत्तरा भाद्रपद - बगल २७. रेवती - दोनों कांख
नोट : -
i. शरीर में निशान और चोट का निश्चय करने में इसका उपयोग होता है ! क्रूर का बुरे ग्रह कुंडली में जिस नक्षत्र में गये हो उसी अंग पर घाव या निशान पैदा कर देते है !
ii. सूर्य चन्द्रमा के नक्षत्रानुसार उस अंग में चिन्ह आदि जन्मजात होता है या बना देता है !
iii. दशा-अन्तर्दशा में भी लग्ने वाली चोट का निर्धारण इसी से किया जाता है !
iv. जो नक्षत्र पापयुक्त हो, निर्बल ग्रह से युक्त हो वही अंग पीड़ित, शिथिल या दोषयुक्त होता है !
२. जन्म नक्षत्र से नक्षत्र पुरुष विचार : -----
जातक के जन्म नक्षत्र से प्रारम्भ करके १,१,३,१,१,४,३,५,१,४,३ नक्षत्रों को सारणी के अनुसार स्थापित कर लें ! जिन नक्षत्रों पर पाप प्रभाव, क्रूर दृष्टि, नीच-शत्रु ग्रह होगा उन्ही नक्षत्रों के अंगो पर चोट व अन्य निशान उस ग्रह की दशा अन्तर्दशा में मिलेंगे ! यह विचार महर्षि पराशर ने बताया है !
अंग - नक्षत्र
मुख - जन्म नक्षत्र
वाम नेत्र - १
माथा - ३
छाती (दायीं) - १
गला (दक्षिण भाग) - १
दायाँ हाथ - ४
दायाँ पैर - ३
छाती (बायीं) - ५
गला (वाम bhag) - १
बांया हाथ - ४
दायाँ पैर - ३
३. पाराशरीय मत :
पराशर ने प्रश्न विचार हेतु अलग नक्षत्र पुरुष का वर्णन किया है !
क्रम. नक्षत्र - शरीरांग१. अश्विनी - सर २. भरणी - माथा ३. कृतिका - भौंहें
४. रोहिणी - आँखें ५. मृगशिरा - नाक ६. आर्द्रा - कान ७. पुनर्वसु - गाल ८. पुष्य - होंठ ९. आश्लेषा - ठुड्डी १०. मघा - गला ११. पूर्वा फाल्गुनी - कंधे १२. उत्तरा फाल्गुनी- ह्रदय १३. हस्त - बगलें १४. चित्रा - छाती १५. स्वाति - पेट १६. विशाखा - नाभि १७. अनुराधा - कमर १८. ज्येष्ठा - जांघ १९. मूल - नितम्ब २०. पूर्वा षाढा - लिंग २१. उत्तरा षाढा - अंडकोष २२. श्रवण - पेडू २३. धनिष्ठा - जंघा २४. शतभिषा - घुटने २५. पूर्वा भाद्रपद - पिंडली २६. उत्तरा भाद्रपद - टखने २७. रेवती - पैर
* ज्येष्ठा को जांघों के उपरी हिस्से अर्थात कमर के नीचे के आधे भाग में व धनिष्ठा को शेष जांघें समझे !
नोट : -
रोगी, पलायित, विपत्ति ग्रस्त के विषय में व्यक्ति प्रश्न करे और प्रश्न करते समय पैर, कमर पिंडली, घुटना, नाभि, टखना, कान, माथा, आँखें, मुख, गला इनको छुए या प्रश्न समय प्रश्नगत व्यक्ति के जन्म नक्षत्र से विपत, वध, प्रत्यारी, वैनाशिक नक्षत्रों के अंगो को छुए या ये नक्षत्र प्रश्न समय विद्यमान हो तो प्रश्न पूछने वाले व्यक्ति को अशुभ फल मिलेगा श्रीमान जी, धन्यवाद..
Thank you very much .

पंडित "विशाल" दयानन्द शास्त्री,(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार) राष्ट्रीय महासचिव-भगवान परशुराम राष्ट्रीय पंडित परिषद् मोब. 09669290067 (मध्य प्रदेश) वॉटसअप नंबर ---09039390067....

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