इस तरह बन जायेंगे आप सबके चहेते

इस तरह बन जायेंगे आप सबके चहेते
डेस्क -(पंडित दयानंद शास्त्री) -अक्सर कभी देखा या किया भी होगा की जब हमारा खाली समय रहता या कोई काम नही होता तो हम अचानक बिना बताये किसी भी मित्र या रिश्तेदार के यंहा पहुच जाते हैं । बिना कोई सूचना दिए और फिर हम ये भी नही सोचते की जिस मित्र या रिश्तेदार के यंहा हम गए वो फ्री हैं या व्यस्त हैं । यदि वो हमे समय नही देता तो हम नाराज हो जाते हैं । अक्सर ऐसे से कई रिश्ते टूट या बिखर जाते हैं। आप फुर्सत में हैं तो ये न सोचे की सामने वाला भी फुर्सत में है, सबकी अपनी लाइफस्टाइल होती है हमें एक हद तक ही उसमे हस्तछेप करना चाहिए नही तो वर्षों पुराने संंबंधों में छोटी सी बात पर खटास आ सकती है। जानिए क्या करे हम जब किसी से मिलने जाए --- ---यदि किसी मित्र के यहां जा रहे हैं तो उसको फोन पर सूचित करें कि हम किस समय आ रहे हैं। ---- यदि किसी के यहां बैठे हैं तो समय का पूरा ध्यान रखिये। ---- ध्यान रखें किसी को अपनी बातों से बोर मत कीजिए। ---किसी से भी मजाक कैसे और किस सीमा तक हो इसका ध्यान रखिएगा। ---यदि खाने का प्रबंध पहले से नहीं है तो उसके बोलने पर तुरंत हां नहीं कीजिए। ----किसी के यहां पर जरूरत से ज्यादा नहीं जाएं। ----अपने बच्चों को समझाये की किसी के घर की वस्तुओ को बेवजह हाथ नही लगाये । ---- मेजबान से बिना वजह फ़ालतू बाते नही छेड़े। ----यदि आपके मित्र का कोई पहले से बना कार्यक्रम हो और आप अचानक पहुच भी गए तो उनको ये मत कहो की हम आपके यंहा के लिए ही आये वरना ये कहकर टाल दीजिये की यंहा से गुजर रहे थे सोचा 5 मिनिट मिलकर निकल जाते हैं । और पानी पीकर निकल जाए। ---जब हम कब किसी मित्र के यंहा जाते हैं और मित्र काफी पुराना भी हो लेकिन बिना कारण उसके फ्रिज या घर की अलमारी से बिना पूछे सामान नही निकाले । एक बार मेरे मित्र ने मेरे घर आकर नई शर्ट निकालकर पहन ली जो मेरी पत्नी ने मेरी शादी की सालगिरह के लिए रखी थी । उस समय तो नही हाँ बाद मै हम दोनों मै काफी मनमुटाव हुआ । प्रिय पाठकों/मित्रों, अक्सर ऑफिसों में देखने में आता है कि महिला या पुरुष वर्ग अपनी टेबल का थोड़ा सा काम करके फुर्सत में बैठे गप्पें लड़ाते रहते हैं, उन्हें उससे कोई सरोकार नहीं कि साथी टेबिल पर काम कर रहे हैं, उन्हें अपनी गप्पों से ही फुर्सत नहीं मिलती। खुद तो काम करते नहीं और जो लोग काम करते हैं उन्हें भी करने नहीं देते। ऐसे लोगों को यदि बॉस डांटे तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता। इस कान से सुना दूसरे से निकाल दिया, लेकिन ऐसे और कुछ नहीं संबंध खराब होते हैं हमेशा समय की उपयोगिता का ध्यान रखें। अपना भी और सामने वालों का भी। अत: हमेशा किसी के घर जाएं तो एक मर्यादा में रहें। कहीं आपको कोई किसी बात को लेकर जलील न करे। ताने न कसे कि रोज-रोज आ जाती है इस लिए हमेशा आपसी संंबंधों में एक दूरी बनाये रखें चाहे वो सहेलियां हो या आफिस के मित्र हों या पास-पड़ोस के या अपने पति के मित्र का घर, हमेशा एक सीमा में रहिए, जिससे संबंध हमेशा मधुर बने रहेंगे। ठीक है आप फुर्सत में है लेकिन सामने वाला फुर्सत में है या नहीं उसका पूरा-पूरा ध्यान रखिए, कहीं ऐसा न हो कि फुर्सत के क्षण मुसीबत में बदल जाएं और आपसी संबंध खराब हो जाएं। समय को सम्पत्ति कहा गया है। यह गलत भी नहीं है। समय का सदुपयोग करके ही लोग धनवान बनते हैं, विद्वान तथा कर्तृत्ववान बनते हैं। कभी किसी प्रकार भी एक क्षण खराब करना अपनी बड़ी हानि करना है। जिस प्रकार समय का सदुपयोग लाभकारी होता है उसी प्रकार समय का दुरुपयोग हानिकारक होता है। खाली हाथ बैठा नहीं जा सकता। मनुष्य यदि कोई शारीरिक कार्य न करता हो तो उसके मानसिक तुरंग दौड़ रहे होंगे। जिन विचारों के पीछे कोई उद्देश्य नहीं होता, जिनके उपयोग की कोई योजना नहीं होती, वे मन मस्तिष्क को विकृत कर देते हैं। फिजूल की कल्पनायें मन में इच्छाओं का जागरण कर देती हैं, ऐसी इच्छायें जिनका कोई स्पष्ट स्वरूप नहीं होता, यों ही मन में उमड़-घुमड़ कर मनुष्य को इधर-उधर लिए घूमती हैं। ऐसी इच्छाओं में काम-वितर्क जैसी विकृत इच्छायें ही अधिक होती हैं। गरीब आदमियों की अपेक्षा अमीर स्त्री-पुरुषों के पास फालतू समय अधिक होता है। एक तो उनके पास विशेष काम नहीं होता, जो होता भी है वह अधिकतर नौकर-चाकर ही किया करते हैं। उन्हें पैसे की इतनी आवश्यकता भी नहीं होती जिसके लिये वे मगज और शरीरमारी करें। तब भी स्वास्थ्य, कार्यक्षमता तथा विविध प्रकार की बुराइयों तथा व्यसनों से बचने के लिए उन्हें अपने फालतू समय में कुछ न कुछ काम करना ही चाहिये। ऐसे लोग अपने मनोरंजन के लिए बागवानी कर सकते हैं। निरक्षरों को निःशुल्क साक्षर बना सकते हैं। समाज सेवा तथा परोपकार के बहुत से काम कर सकते हैं। इस प्रकार शेष समय में पढ़े-लिखे, अपढ़ तथा गरीब अमीर पुरुष सभी कुछ न कुछ अपने योग्य काम कर सकते हैं। फिर वह चाहे आर्थिक हो अथवा अनार्थिक। इस कार्य को करने में जितना महत्व समय के सदुपयोग का है उतना पैसे का नहीं। फालतू समय में काम करते रहने वाले अनेक रोगों तथा बुराईयों से बच सकते हैं। इसलिए ठल्लेनबीसी करने के बजाय कुछ न कुछ काम करना चाहिये। जहाँ तक फालतू समय का प्रश्न है, उसका अनेक प्रकार से सदुपयोग किया जा सकता है। जैसे कोई भी पढ़ा-लिखा व्यक्ति बच्चों की ट्यूशन कर सकता है। किसी नाइट स्कूल में काम कर सकता है। किसी फर्म अथवा संस्थान में पत्र-व्यवहार का काम ले सकता है। अर्जियाँ तथा पत्र टाइप कर सकता है। खाते लिख सकता है, हिसाब-किताब लिखने-पढ़ने का काम कर सकता है। ऐसे एक नहीं बीसियों काम हो सकते हैं जो कोई भी पढ़ा-लिखा व्यक्ति अपने फालतू समय में आसानी से कर सकता और आर्थिक लाभ उठा सकता है। बड़े-बड़े शहरों और विशेष तौर से विदेशों में अपना दैनिक काम करने के बाद अधिकाँश लोग जगह-जगह ‘पार्ट टाइम’ काम किया करते हैं। पढ़े-लिखे लोग अपने बचे हुये समय में कहानी, लेख, निबन्ध, कविता अथवा छोटी-छोटी पुस्तकें लिख सकते हैं। इससे जो कुछ आय हो सकती है वह तो होगी ही साथ ही उनकी साहित्यिक प्रगति होगी, ज्ञान बढ़ेगा, अध्ययन का अवसर मिलेगा और नाम होगा। कदाचित् पढ़े-लिखे लोग परिश्रम कर सकें तो, यह अतिरिक्त काम उनके लिए अधिक उपयोगी, लाभकर तथा रुचिपूर्ण होगा। अंत मै अपनी छवि खुद बनाये ।हम कुछ ऐसा व्यक्तित्व बनाये की सामने वाला खुश हो जाए की आप आये बहार आई ये नही की अतिथि तुम कब जाओगे और अब कभी नही आओगे ।

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