गोंडा प्रशासन के लिए आफत बने बीएसए के कारनामे

गोंडा प्रशासन के लिए आफत बने बीएसए के कारनामे
लखनऊ- जिस तरह से व्यक्ति के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता घटती है तो कई तरह की बीमारी जन्म ले लेती है उसी तरह से प्रशासन जहाँ भी कमजोर होता है वहां के निचले स्तर के अधिकारी न केवल निरंकुश हो जाते हैं बल्कि नियम कानून की धज्जियाँ उड़ा कर विभाग की स्थिति तो ख़राब करते ही हैं सरकार की साख पर भी बट्टा लगा देते हैं | मामला गोंडा के बेसिक शिक्षा विभाग का है जहाँ अभी समायोजन की प्रक्रिया में फिर से खेल कर दिया गया है | इसके पहले भी अपनी कारगुजारियों के चलते विभाग चर्चा में था | तस्वीर उस समय की है जब बीएसए का घेराव किया गया था लेकिन स्थितियां कमोबेश हमेशा से ही यही रहती हैं |
डीएम को बदनाम कर रहे हैं बीएसए
समायोजन के नाम पर शिक्षकों के लिए तय शासनादेशों की अनदेखी का मामला सामने आया है। बड़ी संख्या में ब्लाक के भीतर हुए फेरबदल में दिव्यांग व महिला शिक्षकों के लिए स्कूल आवंटन के तय मानकों की न सिर्फ अनदेखी की गई, बल्कि जबरन कार्यमुक्त भी कर दिया गया। यह पहला मामला नहीं है जब गोंडा के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय कुमार सिंह पर अनियमितता के आरोप लगे हैं |शायद शिक्षकों के साथ ऐसा व्यवहार इतिहास में भी न हुआ होगा। समायोजन आदेश बीईओ को मिला और उन्होने बीआरसी पर स्कूल के प्रधानाध्यापकों को पत्र व्यवहार पंजिका पर कार्यमुक्त कराकर हस्ताक्षर करा लिए। कार्यमुक्ति के बाद शिक्षकों को समायोजन आदेश मिला, तो सभी की आंखे खुली की खुली रह गईं। स्थानान्तरण व समायोजन में जूनियर हाईस्कूलों से गणित व विज्ञान शिक्षकों को नही हटाया जाता है। यहां तो इन शिक्षकों को हटाकर उन स्कूलों में भेज दिया गया, जहां बच्चों की संख्या 30 से 50 के बीच है और शिक्षक भी हैं।
समायोजन में पेंच ही पेंच
अभी दो माह पहले जिन शिक्षकों को पदोन्नति दी, उन्हे समायोजन में शामिल करना चौंकाने वाला है| गौरतलब है कि जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का कार्यकलाप अभी जांच के घेरे में था ही इसी बीच इनके नए कारनामे ने विभाग की और थू- थू करा दी है अपने कार्यशैली के चलते अभी तक यह अधिकारी दो बार कार्यालय में घेरा जा चुका है और एक बार सरेआम गालियां तक पा चुके हैं लेकिन इनके आदत या यूँ कहें फितरत में कोई बदलाव नहीं है |
प्रशासन क्यों दे रहा है वाकओवर
कुल मिला कर बीएसए अजय कुमार सिंह रोज नए कारनामे कर रहे हैं और प्रशासन उनको मौका दे रहा है | एक समय यह भी था जब बिगडैल बीएसए राघवेन्द्र बाजपेयी को तेजतर्रार डीएम रामबहादुर ने नकेल डाल दी थी और तीन एफआईआर प्रशासन की तरफ से कराने के बाद राघवेन्द्र बाजपेयी को बड़े बेआबरू होकर जिला छोड़ना पड़ा था | लेकिन अभी तक प्रशासन द्वारा इस बेलगाम हो रहे बीएसए के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई न करा पाना अपने आप में सवाल खड़ा कर देता है |

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