मंत्री की पैरवी भी काम न आई ,सीएम ने खुद बीएसए को हटाया

मंत्री की पैरवी भी काम न आई ,सीएम ने खुद बीएसए को हटाया

लखनऊ- पहने तो वो हैं ईमानदारी का चोला लेकिन बेईमानी की शिकायत पर भी दिखा रहें थे दुलार | बात हो रही है प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन की जो अपने आपको ईमानदारी की प्रतिमूर्ति मानते हैं और उनके हिसाब से उनका विभाग पूरी तरह से सही काम कर रहा है | भले ही उनको शिकायतें मिलती रहे अधिकारी उनकी मौन सहमति या करीबी होने का फायदा उठा कर जम कर नियमों की धज्जियाँ उड़ाता रहे लेकिन मंत्री जी को लगता है कि उनके राज में सब कुछ ठीक ठाक चल रहा है | रोज नए-नए भ्रस्टाचार के कीर्तिमान बनाते हुए बेअंदाज काम करना और धन उगाही के लिए बदनाम गोंडा के बीएसए रहे अजय कुमार सिंह के खिलाफ शिकायतें मिलने के बाद भी मंत्री अहमद हसन उन्हें पूरी छूट दिय्रे रखे | लेकिन मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से आखिरकार मंत्री के दुलारे अजय कुमार सिंह को जाना ही पड़ा |
अजय सिंह के खिलाफ वसूली के आरोप लगते रहे लेकिन अपनी पहुच के कारण यह उच्चधिकारियों को भी उनके पत्रों का जवाब नहीं देते थे |
जनचर्चा यहाँ तक है कि अजय कुमार सिंह जो भी वसूली करते थे उसका बड़ा हिस्सा ऊपर तक जाता था | और यही कारण है कि मंत्री तक बात पहुचने के बाद भी वह अनसुना कर देते थे | अजय कुमार सिंह के काले कारनामों से सीएम इतने खफा थे कि उन्होंने इन्हें गोंडा के बीएसए के पद से हटाकर वरिष्ठ प्रवक्ता डायट मौ भेज दिया गया |

मंत्री की साख पर भी लगा बट्टा
शिक्षा मंत्री अहमद हसन अंतिम समय तक अजय कुमार सिंह बीसए गोंडा को बचाने में लगे रहे और कोई भी कसर नहीं छोड़ी लेकिन सीएम के सख्त रवैये के कारण मंत्री की भी नहीं चली | इसके पहले भी स्वास्थ्य विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग के मंत्री रहे अहमद हसन पर लोहिया अस्पताल जैसे एनी जगहों पर अपने चहेते लोगों की नियुक्ति करने पर सवाल उठे थे और अब बेसिक शिक्षा जैसे विभाग में आने के बाद भी इनके राज में जिस तरह से जंगल राज कायम रहा तो यह भी कहा जा रहा है कि अपने चहेते लोगों को पहले इन्होने बीसए जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठाया और उसके बाद लूट की खुली छूट दे दी |

सीएम कार्यालय के आदेश पर चल रही है अजय कुमार सिंह के खिलाफ कई जांच
अजय कुमार सिंह अपने काले कारनामे के चलते जहाँ दो ही महीने के भीतर प्रतापगढ़ से जिलाधिकारी के हस्तक्षेप से हटाये गए थे वहीँ गोंडा में उसी पर बीसए के रूप में इनकी नियुक्ति कर दी गई जो इस बात का साबुत है कि शिक्षा मंत्री के करीबी होने का इन्हें फायदा मिला | गोंडा में अपनी आदत के चलते अपनी काली करतूतों के कारण यह आते ही चर्चा में आगये और समायोजन और सस्पेंशन ट्रान्सफर का खेल कर लाखों का खेल खेल लिए इसकी शिकायत डीएम तक पहुची और डीएम भी कुछ न कर सके | प्रशासन के द्वारा जारी पत्रों का इनके द्वारा कोई भी उत्तर नहीं दिया जाता रहा | सीएम कार्यालय जहाँ इनके दागी होने के बाद भी गोंडा में पुनः स्थापित करने की जांच कर रहा है ,वहीँ समायोजन में भी खेल की जांच कर रहा है |



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