आपकी कुंडली से सीधा सम्बन्ध है स्वप्न दोष का

आपकी कुंडली से सीधा सम्बन्ध है स्वप्न दोष का
व्यर्थ के स्खलन से बचें,शीघ्रपतन और स्वप्नदोष का निदान--- डेस्क- स्वप्न दोष या ‍शीघ्रपतन के कारण अधिकांश युवक इस रोग से परेशान हैं और अधिकांश को मालूम ही नहीं कि ये किस किस्म का रोग है।सपने में सेक्स संबंधी दृश्य देखने पर गुप्तांग में उत्तेजना आती है और शुक्राशय में एकत्रित हुआ वीर्य निकल जाता है, इसे स्वप्नदोष (नाइट फाल) होना कहते हैं दोनों ही रोगों का मूल कारण संभोग की कल्पना और स्नायु दुर्बलता माना गया है। इसके अलावा भी कई कारण हैं। इसका निदान भी बहुत सरल है।

स्वप्नदोष : जैसा कि इसका नाम ही है स्वप्न दोष अर्थात जब व्यक्ति किसी भी प्रकार के संभोग की कल्पना करता है तो अकसर रात में उसे संभोग के सपने सताते हैं। स्वप्नदोष वह रोग है जब वीर्यपात बिना मैथुन क्रिया को अवस्था में हो जाता है! निद्रा में वीर्यपात हो जाए तो उसे 'स्वप्नदोष' कहते है! बहुत से युवक रत भर तथा सोते समय स्त्री के बारे में सोचते है तथा तरह-तरह की सेक्स सम्बन्धी बातें सोचते रहते है! परिणाम यह होता है की लिंग उत्तेजित हो जाता है! जिससे वीर्य निकल जाता है! इसका व्यावहारिक रूप देखने से यह बात सामने आती है की स्वप्न दोष हमेशा रात्रि के पिछले प्रहार में होता है! निद्रा के प्रथम समागम के अनंतर में निद्रा की प्रगाढ़ता अल्प बल होती जाती है! तथा हमेशा 3 से 4 बजे तक हीगहरी नींद रहती है!
नींद में व्यक्ति जब स्वप्न की अवस्था में होता है! तब ठीक यही समय स्वप्नदोष का होता है! स्वप्नदोष की तीव्र और अधिकतम अवस्था में स्वप्नदोष की अधिकता होने पर एक ही रात में व्यक्ति को 3 से 4 बार भी हो सकता है! दरअसल ये रोग एक मानसिक रोग है और इसके होने के कई कारण हो सकते है | ऐसा तब भी होता है जबकि व्यक्ति गर्म वस्तुएँ जैसे अंडा, माँस, मछली, तली-भुनी चीजें, अत्यधिक चाय या कॉफी, सिगरेट या अन्य तरह के व्यसन का सेवन करता है। यदि इस रोग पर ध्यान न दिया ‍गया तो सिरदर्द, चक्कर और मानसिक तथा शारीरिक कमजोरियों के लक्षण उबरने लगते हैं। आगे चलकर स्नाविक दुर्बलता, धातु दुर्बलता और अंततः व्यक्ति नपुसंक रोग से ग्रस्त हो जाता है। पहले स्वप्न के ‍फिर बिना स्वप्न के ही वीर्य स्खलन होने लगता है।जब कोई व्यक्ति किसी सुन्दर युवती या स्त्री के रूप योवन को बार-बार याद करता है और उससे काम वासना के बारे में सोचता है और स्त्री से शारीरिक संबंद बनाने के बारे में हमेशा सोचता है (जो इस बीमारी का मुख्या कारण है!) तो उसका नींद में ही स्वप्न में वीर्यपात हो जाता है!

महर्षि चरक के अनुसार –
स्वपनं मनसः कामासक्तत्वात् शुक्र स्रावमयो दोषाख्यः रोगोरव्यो यः सो हिं स्वपनदोषो भवति।।अर्थात – “स्वपन देखते समय मन के कामासक्त हो जाने पर वीर्य का स्राव हो जाना ही स्वपन दोष नामक व्याधि है।”आयुर्वेदज्ञों ने स्वपन दोष के अनेकों कारण बतलाऐ हैं। सबसे प्रमुख कारण जो बतलाया गया है वह है स्त्री चिन्तन और भोग लालसा की अधिकता का होना। अतः इस रोग की समाप्ति के लिए मन की सुचिता सवसे प्रमुख दवा है। इस रोग के अन्य कारणों में है हस्त मैथुन, गुदा मैथुन, और कौष्ठबद्धता (कब्ज),दूषित विचार, अजीर्ण तथा गुदा कृमि की उपस्थिति आदि बहुत से कारण हो सकते हैं।वैसे यह रोग प्रमेह के अन्तर्गत ही आता है इसे स्वपन मेह भी कहा जाता है।और खास बात यह भी है कि प्रमेह चिकित्सा के ज्यादातर योग स्वपन दोष का सार्थक इलाज करते हैं।
शीघ्रपतन : शीघ्रपतन का अर्थ है स्त्री के यौन सुख प्राप्त करने के पहले ही पुरुष का शीघ्र ही स्खलित हो जाना। दरअसल पुरुष के तुरंत ही उत्तेजित हो जाने के कारण वह तुरंत ही स्खलित हो जाता है।दूसरा कारण स्वप्नदोष, धातु दुर्बलता और स्नायु दुर्बलता है। उक्त रोग के कारण भी शीघ्रपतन की शिकायत बनी रहती है। दरअसल इस रोग में व्यक्ति के भीतर संयम की शक्ति पूरी तरह से क्षीण हो जाती है। स्त्री द्वारा यौन सुख के लिए तैयार होने तक वह स्वयं को संयमित करने के प्रयास अवश्य करता है किंतु असफल रहता है।==========================================================क्या आप जानते हैं की मंगल और शुक्र का हमारे वैवाहिक जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है ??
ज्योतिष अर्थात ज्योति + इश अर्थात इश की ज्योति अर्थात इश के नेत्र जिनसे इश इस श्रृष्टि का संचार व नियंत्रण करते है | ये आज का अध्युनिक विज्ञानं भी मानता है के हर ग्रह की हर जीव की हर प्राणी की हर अणु की (atom) अपनी एक निश्चित नकारात्मक व सकारात्मक उर्जा होती है | अगर हम उस उर्जा का सही संतुलन अपने जीवन में बना ले तो वही ईश्वर की प्राप्ति का सच्चा साधन है | यहाँ हम चर्चा करेंगे ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव की और उससे कैसे दूर कर के हम अपने जीवन को सफल व सुफल कर सकते है |
ये दो ग्रह (मंगल और शुक्र) बहुत महत्त्वपूर्ण है व्यक्तिगत जीवन को मधुर बनाने के लिए. इन दोनों ग्रह की ज्यादा शक्ति व्यक्ति के अन्दर ज्यादा अपेक्षा पैदा करती है, हमेशा असंतुष्ट ही रखती है वहीँ इन ग्रहों का कमजोर होना भी व्यक्ति को अक्षम बना देती है संतोषप्रद सेक्स जीवन जीने के लिए |
मंगल ग्रह शक्ति, जुनून, अधिकार, आक्रामकता, गहरी भावना का प्रतिनिधित्व करता हैं तो दूसरी तरफ शुक्र प्रेम, झुकाव, सम्मोहन, रोमांस, अच्छे सम्बन्ध आदि का प्रतिनिधित्व करता है. इन दोनों ग्रहों में कोई भी समस्या होतो व्यक्ति को बहुत व्यक्तिगत जीवन में बहुत समस्याओं का सामना करना पडता है | कुंडली में अगर मंगल और शुक्र खराब हो तो कई परकार के गुप्त रोगों का भी भय होता है अतः उन लोगो को सावधानी बरतनी चाहिए जिनके कुंडली में ये दोनों ग्रह ख़राब हो | विशेष तौर पर अगर कुंडली में छठा , सातवां और आठवां घर अगर सही न हो तो व्यक्ति को स्वप्न दोष, असंतोष, शीघ्रपतन,नपुंसकता आदि का शिकार होने की संभावनाए भी बनता है. अतः अगर कोई भी शक हो तो ऐसे में ज्योतिषी की सलाह भी ले लेनी चाहिए जिससे वैवाहिक जीवन को अच्छा बनाया जा सके |
ज्योतिष अनुसार जब शुक्र-राहु की युति हो तो जातक नामर्द या नपुंसक होता है। इसके साथ साथ जब शुक्र-केतु की युति हो तो स्वप्न दोष, पेशाब संबंधी रोग होते हैं। इनके आलावा विभिन्न स्थिति में नेत्र रोग, गुप्तेन्द्रीय रोग,वीर्य दोष से होने वाले रोग, प्रोस्ट्रेट ग्लैंड्स, प्रमेह,मूत्र विकार ,सुजाक , कामान्धता,श्वेत या रक्त प्रदर ,पांडु रोग का कारक गृह शुक्र ही होता हैं |
ज्योतिष अनुसार शुक्र का दान-- सफेद वस्त्र, श्वेत स्फटिक, चावल, सुगंधित वस्तु, कपूर, अथवा पुष्प, घी- शक्कर- मिश्री-दही.--------------------------------------------------------------------------------------सेक्स जीवन को मजबूत करने के कुछ फ्री/मुफ्त/निशुल्क उपाय:---
जानिए किस प्रकार ग्रह प्रभावित करते हैं सेक्स जीवन को----
1. अगर आप अपने जीवन से खुश है तो एक अच्छी कल्पना सुखी जीवन के लिए जरुर करे क्यूंकि हर मंजिल की शुरुआत किसी न किसी सपने से ही होती है. अगर ख्वाहिश होगी तो आप उसे पूरा भी कर पायेंगे. किसी भी हालत में नकारात्मक सोच न रखे.2. सप्ताह में एक बार बॉडी मसाज जरुर ले जीससे की शारीर में रक्त का संचार सही हो, नसे मजबूत हो, शारीरिक शक्ति भी बड़े. 3. ज्योतिषी को कुंडली दिखा के उचित रत्न धारण करे सही समय पर.4. रोज नियमित रूप से प्राणायाम करे जिससे की शारीर में प्राणशक्ति बढ़े जिससे शारीर तेजोमय होता है और शक्तिशाली भी बनता है. 5. अगर आप किसी भी प्रकार के नशे का सेवन करते हैं तो उसे त्याग दे.6. कोल्ड ड्रिंक , सोडा ड्रिंक आदि को पीना भी कर करे, इससे शारीर कमजोर होता है. 7. किसी भी मंत्र का रोज आधा घंटा जरुर जाप करे पूर्ण एकाग्रता से.8. नियमित ध्यान करे.9. गन्दी फिल्मो को जगह न दे जीवन में, अश्लील बातो से बचे.10. रोज दौड़े और नियमित व्यायाम करे.
वास्तु सूत्र सुखी सेक्सुअल जीवन के लिए:----
ये हो सकता है की नकारात्मक ऊर्जा के कारण आपको अपने शयन कक्ष में आराम न मिलता हो तो इसके लिए आपको ये करना चाहिए-1. आपको एक शुक्र यन्त्र सिद्ध करवाके अपने रूम के दरवाजे के ऊपर भर की और लगाना चाहिए. 2. नमक के पानी से एक बार सप्ताह में पोछा जरुर लगाना चाहिए.3. एक अच्छा रोमांटिक फोटो शयन कक्ष में लगाये 4. रात को सोने से पहले कमरे में थोडा अच्छा कपूर का छिडकाव करे जिससे की वातावरण अच्छा हो जाएगा.अगर आप वास्तव में जीवन जीना चाहते हैं तो शर्माए न बस एक कदम उठाये बेझिझक होक अपने जीवन को मधुर बनाने के लिए. याद रखे गया समय कभी वापस नहीं आता है. ==========================================================शादी से पहले पुरुषों में यह समस्या होना आम बात है | शादी से पहले सेक्स नहीं करने के कारण वीर्य का निष्कासन नहीं हो पाता है और यह शरीर में जमा होता रहता है और जब वीर्य निश्चित मात्रा से अधिक जमा हो जाता है तो शरीर इसे नींद में अनैच्छिक क्रिया द्वारा बाहर निकाल देता है जिसे हम स्वप्नदोष कहते हैं |शादी से पहले युवा सेक्स के बारे में विभिन्न प्रकार की कल्पनाएँ किया करते हैं और सेक्स नहीं कर पाते हैं | इसलिए इनका अवचेतन मन इन्हें नींद में सेक्स सुख दे देता है जिसे हम स्वप्नदोष कहते हैं | सेक्स से अपना मन हटा लेने पर यह समस्या स्वतः ठीक हो जाती है |
कई बार रात के समय मूत्राशय में मूत्र भरे होने की अवस्था में भी स्वप्नदोष हो जाता है | पुरुष नींद में आलस्य के कारण मूत्रत्याग के लिए नहीं जागते हैं | वीर्य भी उसी मार्ग से निकलता है जिस मार्ग से मूत्र शरीर से बाहर निकलता है | मूत्रनली पर नियंत्रण करना पुरुष बचपन से ही सीख लेते हैं इसलिए नींद में भी मूत्राशय के दबाव के बावजूद मूत्र तो शरीर से बाहर नहीं निकलता है किन्तु वीर्यत्याग के अनैच्छिक क्रिया होने के कारण पुरुष इस पर नियंत्रण नहीं रख पाते हैं और कई बार मूत्राशय पर दबाव पड़ने पर यह नींद में शरीर से बाहर निकल पड़ता है जिसे स्वप्नदोष कहते हैं | रात में सोने से पहले मूत्रत्याग कर लेने से यह समस्या नहीं होती है | साथ ही सोने से पहले अधिक मात्रा में पानी नहीं पीने की सलाह दी जाती है |
अगर आप अविवाहित हैं और हस्तमैथुन नहीं करते हैं तो सप्ताह में एक से दो बार तक स्वप्नदोष होना सामान्य है और इसे किसी समस्या के रूप में ना लें | आपको किसी इलाज़ की जरूरत नहीं है | नीम हकीमों के चक्कर में पड़कर गुमराह न हों |
उपचार :----पहले तो उपरोक्त बताए गए कारणों को समझें और भोजन में परिवर्तन कर दें। अनियमित जीवनशैली को त्याग दें। तेज धूप, धूल और धुएँ से बचें। ब्रह्मचर्य का पालन करें। इस दौरान नियमित योगासनों का अभ्यास और प्रतिदिन आधे घंटे के लिए योग-निद्रा करें, तब पाँच मिनट का ध्यान करें। खुली और ताजी हवा में प्राणायाम करें। गहरी श्वास लेने और छोड़ने से रक्त प्रवाह बढ़ेगा और वायुदोष मिटेगा।दूसरा कारण होता है कब्ज होने से मलाशय में मल सड़ना। स्वप्नदोष के रोगी को दो बातों का खयाल रखना चाहिए, एक तो दिमाग साफ रखना और दूसरा पेट साफ रखना। दिमाग में यौन विषय का विचार तक न आने दें, कामुक चिंतन-मनन करना तो बहुत दूर की बात है। हमेशा दिमाग को अच्छे कामों और विचारों में उलझाए रखें, ताकि गंदे और यौन संबंधी कोई भी विचार आ ही न सकें, यही दिमाग साफ रखना कहलाता है।
कब्ज से बचने के लिए अपच से बचें। ये दोनों उपाय करते रहें तो बिना दवा सेवन किए भी स्वप्नदोष होना सदा के लिए बंद हो जाएगा, यह तो हुआ बगैर दवा का इलाज।
विशेष आहार :----शहद तथा भीगे हुए बादाम या किशमिश को दूध में मिलाकर प्रतिदिन सुबह पीएँ। 8-10 बादाम, 25 दाने किशमिश तथा 7-8 मनुक्के भिगोकर नाश्ते में ले सकते हैं। हरी सब्जी और छिलकों वाली दाल का उपयोग पतली चपाती के साथ करें। चपाती मक्खन या मलाई के साथ लें। भोजन में सलाद का भरपूर उपयोग और प्याज, लहसुन तथा अदरक का संतुलित सेवन करें।
योग पैकेज :---नियमित योगासनों का अभ्यास और प्रतिदिन आधे घंटे योग-निद्रा करना इसकी मुख्य चिकित्सा है। योगासनों में प्रारंभ में कमर चक्रासन, जानुशिरासन, सुप्तवज्रासन, भुजंगासन, हलासन, हस्तपादोत्तनासन, योगमुद्रा, पवनमुक्तासन तथा मकरासन करें। फिर धीरे-धीरे खुली और स्वच्छ हवा में नाड़ी शोधन प्राणायम का अभ्यास करें। तब कपालभाँति तथा भ्रामरी का अभ्यास करें। बंधों में उड्डियान बंध लगाएँ। सप्ताह में एक बार तेल मालिश अवश्य कराएँ। यह सब करें किसी योग्य योग चिकित्सक की सलाह पर
नपुंसकता, शिश्न शिथिलता या यौन दौर्बल्यता ----जो पुरुष जन्मजात नपुंसक होता है, उसे सहज क्लैब्य कहते हैं। आयुर्वेद ने मुख्य रूप से नपुंसकता के ये सात कारण बताए हैं। सहज और शिराच्छेदजन्य क्लैब्यता असाध्य यानी लाइलाज और बाकी पांचों प्रकार की नपुंसकता साध्य यानी इलाज द्वारा ठीक की जा सकने वाली है।
इस प्रकार की हास्यास्पद स्थिति से बचने व बीमारी का इलाज करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचार यहां दिए जा रहे हैं-(1) नपुंसकता नष्ट करने के लिए जायफल, लौंग, कपूर और काली मिर्च 40-40 ग्राम, मकरध्वज 5 ग्राम, केसर 1 ग्राम सबको बारीक कूट-पीसकर खरल करके पान के रस के साथ घुटाई करें और आधा-आध ग्राम की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। रात को सोते समय दो चम्मच या एक चम्मच मक्खन के साथ एक गोली खाकर ऊपर से एक गिलास मीठा कुनकुना गर्म दूध पिएं, जब शाम का भोजन किए हुए दो-ढाई घंटे हो चुके हों। यह बहुत हीबलवीर्यवर्द्धक नुस्खा है।(2) असगन्ध 100 ग्राम, गिलोय 50 ग्राम और गिलोयसत 10 ग्राम तीनों को कूट-पीसकर मिला लें। आधा चम्मच चूर्ण, आधा चम्मच शुद्ध घी और दो चम्मच शहद मिलाकर चाट लें और ऊपर से मिश्री मिला ठंडा किया हुआ दूध पिएं। शीतकाल के दिनों में कम से कम 60 दिन सुबह-शाम यह नुस्खा सेवन करना चाहिए।(3) सफेद मुसली, गोखरू बड़ा, तालमखाना और तावरी 50-50 ग्राम सबको कूट-पीसकर महीन चूर्ण कर लें और पिसी हुई मिश्री 100 ग्राम लेकर सबको मिला लें। सुबह-शाम इस चूर्ण को 1-1 चम्मच मात्रा में मीठे कुनकुने गर्म दूध के साथ सेवन करें। यह नुस्खा नपुंसकता, ध्वजभंग, शुक्रमेह, शुक्र की उष्णता व पतलापन, पेशाब की रुकावट और जलन आदि व्याधियां नष्ट कर शरीर को सशक्त बनाने और पौरुष बल की वृद्धि करने मेंसफल सिद्ध हुआ है।(4) बड़े गोखरू, तालमखाना, शतावरी, कौंच के छिलकेरहित बीज, नागबला और अतिबला सब 50-50 ग्राम और मिश्री 150 ग्राम, सभी को कूट-पीसकर अच्छा महीन चूर्ण कर लें। सुबह-शाम 1-1 चम्मच चूर्ण फांककर ऊपर से कुनकुना मीठा दूध पिएं। यह नुस्खा बिना कोई हानि किए नपुंसकता को नष्ट करने वाला और पर्याप्त यौन शक्ति प्रदान करने वाला आयुर्वेदिक टॉनिक है। नियमों का पालन कर कम से कम 60 दिन इस नुस्खे का नियमित रूपसे सेवन करें और स्वयं परिणाम देख लें। यह परीक्षित और सफल सिद्ध नुस्खा है।---पालक के पत्ते लगभग 250 ग्राम पानी से खूब धोकर सिल पर बिना पानी के पीस लें। एक मोटे साफ धुले हुए कपड़े को पानी में भिगोकर खूब अच्छी तरह निचोड़ लें, ताकि कपड़े में पानी न रहे। अब इसमें पिसी हुई पालक रखकर कपड़े को दबा-दबाकर पालक का रस एक कप में टपकाएं। सुबह खाली पेट यह रस, दन्त मंजन करने के बाद पी लें और आधा घंटे तक कुछ खाएं-पिएं नहीं। यह प्रयोग रोजाना 6-7 दिन तक करने से स्वप्नदोष होना बंद हो जाता है। यह एक आयुर्वेदिक परीक्षित नुस्खा है |व्यक्ति को सुबह जल्दी उठकर ताजी हवा में घूमना चाहिए। अगर घर के अंदर घास उगा हुआ खुला बाग हो या घर के आस-पास कोई पार्क हो तो वहां पर जाकर सुबह के समय में नंगे पांव ही घूमने की कोशिश करें। इस तरह से करने से आपका शरीर स्वस्थ रहेगा और मन के अंदर भी शांति बनी रहेगी तथा शरीर में ताकत भी आ जाएगी।---व्यक्ति को कभी भी तेज मिर्च-मसालों वाला भोजन नहीं करना चाहिए, नशीली चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा तली हुई चीजें कम ही खायें या हो सके तो कम ही कर दें।प्राणायाम 5 से 10 या 15 से 20 मिनट तक अपनी शक्ति के अनुसार करना।- प्राणायाम के बाद क्षमता के अनुसार व्यायाम करना, जिम न जा सकें तो घर पर ही नियमित व्यायाम करना।- समय मिले तो धूप में कुछ देर नंगे बदन रहना यानी सूर्य स्नान करना। इससे शरीर में विटामिन-डी की कमी दूर होती है।- सप्ताह में एक बार तेल मालिश करें।- भोजन के पहले हाथ धोएं।- भोजन भूख से कम करना। =============================================वीर्य स्तंभन वटीयुवा अथवा प्रौढ़ आयु के विवाहित पुरुष जो यौन शक्ति में कमी का अनुभव करते हैं, स्तंभन शक्ति न रखते हों, यौनांग में शिथिलता व उत्साहहीनता का अनुभव करते हों, ऐसे पुरुष मानसिक व शारीरिक रूप से स्थिर रहकर नीचे दिए जा रहे नुस्खे का प्रयोग करें।यह नुस्खा महंगा है और धन संपन्न व्यक्ति ही इसको तैयार कर सकता है या बना बनाया बाजार से खरीद सकता है।द्रव्य : कस्तूरी व सोने के वर्क 1-1 ग्राम, चाँदी के वर्क, इलायची, जुन्देबेदस्तर 10-10 ग्राम, नरकचूर, दरूनज अकबरी, बहमन लाल, बहमन सफेद, जटामांसी, लौंग, तेजपान 6-6 ग्राम, पीपल और सौंठ 3-3 ग्राम।विधि : जुन्देबेदस्तर को शहद में घोंट लें फिर क्रमशः तीनों वर्क और शेष द्रव्यों का कुटा-पिसा महीन चूर्ण मिला लें तथा शहद मिलाते हुए तीन घंटे तक खरल में घुटाई करें, फिर आधा-आधा ग्राम की गोलियाँ बनाकर छाया में सुखा लें। सुबह-शाम 2-2 गोली शहद के साथ लें व ऊपर से दूध पी लें।लाभ : यह वटी वाजीकारक नुस्खों में अति उत्तम और संतोषप्रद लाभ करने वाली निरापद औषधि है।* यह पाचन क्रिया को बलवान बनाकर जहाँ शरीर को रस रक्त आदि सातों धातुओं को पुष्ट करने की क्षमता प्रदान कर शरीर को पुष्ट व शक्तिशाली बनाती है, वहीं यौनांग को भी शक्ति, स्फूर्ति व कठोरता प्रदान कर शीघ्रपतन, शिथिलता व निर्बलता को नष्ट कर यौन शक्ति व सामर्थ्य प्रदान करती है।* विवाहित पुरुषों को अपनी असमर्थता दूर कर उचित पौरुष बल प्राप्त करने के लिए उचित आहार-विहार और संयम का पालन कर कम से कम 40 दिन तक वीर्यशोधन वटी 1-1 गोली के साथ इस वीर्य स्तंभन वटी का सेवन करना चाहिए। ये दोनों दवाएँ बाजार में बनी बनाई मिलती है===============================================हस्‍तमैथुन से लिंग का टेढा होना आदि -कई लोगों के मन में यह भ्रम पैदा हो जाता है कि अधिक मात्रा में हस्तमैथुन करने से लिंग का आकार टेढा हो जाता है। लेकिन सेक्स के ज्ञाताओं का कहना है कि हस्तमैथुन करने से लिंग के आकार में किसी भी तरह का कोई बदलाव नहीं आता है क्योंकि लिंग ऊतकों से बना हुआ होता है। लिंग के अंदर किसी प्रकार की कोई हड्डी नहीं होती है। इसकी बनावट स्पंज के जैसी ही होती है। इसलिए लिंग सामान्य अवस्था में लटका हुआ तथा मुलायम होता है। लिंग के अंदर जब तनाव पैदा होता है तो वह बहुत अधिक सख्त हो जाता है और इसकी वजह से वह एक तरफ झुक जाता है। लिंग की इस अवस्था को देखकर अधिकतर लोग अपने मन में लिंग के टेढ़ा होने का भ्रम पैदा कर लेते हैं। लिंग के अंदर तनाव पैदा हो जाने के समय में लिंग की नसों में खून भर जाने से लिंग का एक तरफ झुक जाना यह एक आम बात है। तनाव की अवस्था में भी किसी पुरुष का लिंग ठीक स्थिति में खड़ा नहीं हो सकता है।================================================= श्रीमान जी, धन्यवाद..
Thank you very much .


पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,

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