इस तरह पूजा से कभी नहीं होगी धन की कमी

इस तरह पूजा से कभी नहीं होगी धन की कमी
सुख संपदा और धन लाभ के लिये करे लक्ष्मी पूजन----
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की भारतीय धर्म और संस्कृति में महादेवी लक्ष्मी की आराधना को विशेष महत्व दिया गया है. कमला, रमा, पद्मा, पदमवासा, विष्णुप्रिया आदि नामो से लोकप्रिय लक्ष्मी जी को सुख, संपदा और धन प्रदान करने वाली माना गया है. कमल पुष्प पर आसीन देवी लक्ष्मी के दो हाथो में कमल सुशोभित हैं, वही बाये हाथ से वो धन वर्षा करती हे तो दाहिने हाथ से अपने भक्तो को शुभ आशीर्वाद प्रदान करती हैं. आगम ग्रंथ में लक्ष्मी जी को दो भुजा वाली दर्शाते हुए स्वर्णिम आभा वाले कमल पुष्प पर विराजमान होना बताया गया है. देवी लक्ष्मी के दोनो नेत्र कमल के समान हैं तथा दोनो कानो में मकर की आकृति के रत्न जडित कुंडल सुशोभित हैं.
  • कुछ प्राचीन धार्मिक ग्रन्थो के अनुसार चार भुजा वाली लक्ष्मी जी के हाथो में श्रीफल,पद्म, अमृतघट और शंख सुशोभित रहते हैं. देवी लक्ष्मी के अलग-अलग स्वरूप होते हुये भी ज्योति पर्व दीपावली पर विधि-विधान से श्रद्धा पूर्वक उनका पूजन विशेष फलदायी माना गया है. वैसे शुक्रवार का दिन भी लक्ष्मी जी की आराधना से जुडा है क्योकि इस दिन खीर और नारियल का प्रसाद लगाकर लक्ष्मी जी की आराधना करने से जीवन मे सुख, शांति और धन लाभ मिलने लगते हैं.
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह की अशुभता होने पर जीवन में धन की कमी, शारीरिक व मानसिक कष्ट, भोग-विलास के प्रति रुझान, तरह-तरह के रोग जैसी बहुत सी समस्याओं का सामना करना पडता है. देवी लक्ष्मी जी की पूजा-अर्चना से शुक्र ग्रह के दोषो का शमन होने लगता है. इसके अलावा जरुरतमंदो, विधवा महिलाओं, बालिकाओं की मदद करने, शुक्रवार के दिन घी, कपूर, मोती, दूध, दही, खीर, नारियल, श्वेत पुष्प, चावल, मिश्री, हीरा, चांदी, श्वेत चंदन श्वेत वस्त्र, धन आदि के दान से भी लक्ष्मी जी की कृपा प्राप्त होती है.
  • ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की जिन राशि के स्वामी ग्रह सातोगुण प्रधान होते हैं, उन राशि के जातको को लक्ष्मी जी की आराधना से आशातीत लाभ मिलने लगता है. कर्क, सिंह, धनु तथा मीन राशि के स्वामी ग्रह क्रमशः चन्द्रमा, सूर्य और गुरु सतोगुणी प्रवृत्ति वाले माने गये हैं, जबकि राहु को प्राकृतिक ग्रह की संज्ञा दी गयी है. राहु की अपनी कोई राशि न होने से यह जिस राशि या भाव में होता है उसी के अनुसार फल प्रदान करता है. लग्न कुंडली के छठे भाव में राहु तथा केंद्र में गुरु स्थित होने पर अष्टलक्ष्मी योग बनता है. इस योग के प्रभाव से राहु पाप ग्रह का स्वभाव त्यागकर गुरु ग्रह के प्रभाव से जातक के जीवन में शान्ति, सम्मान, धन लाभ, सुख, धार्मिक भावना आदि की वृद्धि करता है.
  • वास्तु शास्त्र के अनुसार धन की देवी लक्ष्मी और दूसरे समस्त देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना के लिये भवन का ईशान कोण अर्थात उत्तर-पूर्व दिशा को शुभ माना गया है. इसी प्रकार धन रखने वाली तिजोरी या आलमारी को दक्षिण दिशा में रखा जाता है, परंतु इसका दरवाजा उत्तर दिशा में खुलना चाहिये. वास्तु नियम यह भी है कि धन रखने की तिजोरी को कभी भी शयन कक्ष में नही रखना चाहिये वरना लक्ष्मी जी रूठ जाती हैं.
  • महादेवी लक्ष्मी जी की उपासना के लिये दीपावली के दिन को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. कहते हैं कि दीपावली के दिन शुभ मुहूर्त में पूर्ण श्रद्धा और विधि-विधान के साथ घर, दुकान, कार्य स्थल, औद्योगिक प्रतिष्ठान आदि में पूजा-अर्चना करने से लक्ष्मी जी कृपा होती है तथा जीवन में किसी चीज का कोई अभाव नही रहता है. लक्ष्मी जी के पूजन के समय बुद्धि प्रदाता भगवान गणेश, ज्ञानप्रदायिनी देवी सरस्वती और अंजनी नंदन हनुमान जी की आराधना भी करनी चाहिये, इससे ज्ञान, सुबुद्धि, विवेक, धन, संपदा, सुख, शान्ति और समस्त तरह के लाभो की प्राप्ति होती है.
  • दीपावली की संपूर्ण रात्रि महादेवी लक्ष्मी जी की मानी जाती है. इस रात्रि में तन्त्र-मन्त्र की सिद्धी की जाती है. रात्रि जागरण करते हुए लक्ष्मी जी से धन-धान्य एवं सुख की कामना भी की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि दीपावली की मध्य रात्रि में देवी लक्ष्मी स्वयं धरती लोक में उतरकर आती हैं और घर-घर जाकर भ्रमण करती हैं. जिस घर में उन्हे अपने प्रति सम्मान, श्रद्धा भाव और पवित्रता दिखायी देती है, उस घर को वह अपने शुभ आशीर्वाद रूपी भंडार से भर देती हैं.
  • ज्योतिषाचार्य पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की दीपावली के दिन पूजा-अर्चना के उपरांत पूर्व में सिद्ध किये गये मन्त्र "श्री शुक्ले महाशुक्ले कमल दल निवासे श्रीमहालक्ष्मी नमो नमः. लक्ष्मी माई सबकी सवाई आवो चेतो करो भलाई, ना करो तो सात समुद्रो की दुहाई." का एक सौ आठ मोती की माला के साथ इक्कीस बार जप एक ही बैठक में करना चाहिये.
  • जीवन में आर्थिक उन्नति के लिये " ओम नमो पद्मावती लक्ष्मी दायिनीवाञ्छा भूत प्रेत विन्ध्यवासिनी सर्वशत्रु संहारिणी दुर्जन मोहिनी रिद्धी सिद्धी वृद्धी कुरु कुरु स्वाहा. ओम क्लीं श्रीं पद्मावत्ये नमः" मन्त्र का जप दीपावली की रात्रि में करना चाहिये. शीघ्र लाभ के लिये प्रतिदिन एक माला फेरना आवश्यक है. शुद्ध चित्त भाव, सात्विक जीवन शैली और पूर्ण श्रद्धा और विश्वास बनाये रखते हुए दीपावली पर महादेवी लक्ष्मी जी की आराधना जीवन में सदैव मंगलकारी होती है

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