जानिए खरमास के महीने मे कैसे अपना भाग्योदय करें ?

जानिए खरमास के महीने मे कैसे अपना भाग्योदय करें ?
14 मार्च 2017 (मंगलवार) से मल मास शुरू हो चुके हैं -
, जान सामान्य में प्रचलित मान्यता है कि खरमास में विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित है. जैसे विवाह आदि जैसे कार्य नही होते हैं. लोग सिर्फ ईश्वर-भजन, पूजा-पाठ आदि कर सकते हैं | ज्योतिषाचार्य एवम वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की इस अवधि में अनुष्ठान, यज्ञ, पूजा-पाठ, हवन आदि करना अच्छा नहीं माना गया है.
इस वर्ष 14 मार्च 2017 (मंगलवार) से मल मास शुरू हो चुके हैं, जो 13 अप्रैल 2017, गुरुवार तक रहेगा। इस मास में तीर्थों, घरों व मंदिरों में जगह-जगह भगवान की कथा होनी चाहिए एवं गो-ब्राह्मण तथा धर्म की रक्षा हो |
ज्योतिषाचार्य एवम वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की यदि आप मार्च के महीने में नया कार्य, व्यापार या गृह प्रवेश करना चाह‍ते हैं तो सावधानी रखें| कार्य-सिद्धि योग सकारात्मक ऊर्जा से सम्‍पन्न होते हैं। इसी कारण किसी भी नए कार्य को शुरू करने से पहले शुभ योग-संयोग को देख-परख लेना श्रेष्ठ होता हैं। ज्योतिषाचार्य एवम वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की यदि आपको किसी भी कारण से इस माह में नया कार्य आरंभ करना हो तो 17 मार्च, 24 मार्च या 28 मार्च अथवा 30 मार्च को सर्वदोषनाशक रवि योग में भी कर सकते है ||
14 मार्च 2017 से खरमास प्रारंभ हो गया है। इसलिए हिन्दू मान्यता के अनुसार, एक महीने तक शुभ कार्य नहीं होंगे| यह खरमास 13 अप्रैल 2017 तक कायम रहेगा. वैदिक ज्योतिष और हिन्दू पंचांग गणना के अनुसार सूर्य एक राशि में एक महीने तक रहता है. जब सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करते हुए बृहस्पति की राशियो, धनु और मीन, में प्रवेश करता है, तो अगले 30 दिनों यानि एक महीने की अवधि को खरमास कहा जाता हैं. इस साल 14 मार्च को सूर्य कुंभ राशि से निकल कर मीन राशि में प्रवेश कर रहा है. इसे मीन संक्रांति भी कहते हैं|
ज्योतिषाचार्य एवम वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की इस समय में भवन-निर्माण संबंधित कार्य भी नहीं किये जाते हैं| कोई नया निवेश या व्यवसाय आदि भी नहीं शुरू की जाती है| इस अवधि में बच्चे का मुंडन संस्कार भी नहीं होता है| साथ ही लोग नए घर में गृह-प्रवेश भी नहीं करते हैं |
14 मार्च,2017 (मंगलवार) से मल मास शुरू हो रहा है, जो 13 अप्रैल 2017, गुरुवार तक रहेगा। ज्योतिषाचार्य एवम वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की धर्मग्रंथों के अनुसार, खर (मल) मास को भगवान पुरुषोत्तम ने अपना नाम दिया है। इसलिए इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस मास में भगवान की आराधना करने का विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस मास में सुबह सूर्योदय के पहले उठकर शौच, स्नान, संध्या आदि अपने-अपने अधिकार के अनुसार नित्यकर्म करके भगवान का स्मरण करना चाहिए और पुरुषोत्तम मास के नियम ग्रहण करने चाहिए। पुरुषोत्तम मास में श्रीमद्भागवत का पाठ करना महान पुण्यदायक है।
खरमास, यानि खराब महीना | वो महीना जब हर प्रकार के शुभ काम बंद हो जाते हैं. कोई नया काम शुरू नहीं किया जाता, इस मास के साथ आती है कई प्रकार की बंदिशें और साथ ही ये सलाह भी कि ज़रा बच कर रहिएगा, ज़रा सोच समझकर काम कीजिएगा | सूर्य प्रतिकूल हो तो हर कार्य में असफलता नजर आती है. भारतीय पंचांग पद्धति में प्रतिवर्ष पौष मास को खर मास कहते हैं | इसे मलमास काला महीना भी कहा जाता है | लेकिन इस मास में भी कुछ योग होते हैं, जिनमें अति आवश्यक परिस्थितियों में कुछ कार्य किए जा सकते हैं. पंडितों का कहना है कि पौष मास के समय अति आवश्यक परिस्थिति में सर्वार्थ सिद्ध योग, रवि योग, गुरु पुष्य योग अमृत योग में विवाह के कर्मों को छोड़कर अन्य शुभ कार्य किए जा सकते हैं. लेकिन ये शुभ कार्य अति आवश्यक परिस्थिति में ही कर सकते हैं |
वर्ष भर में दो बार खरमास आता है | जब सूर्य गुरु की राशि धनु या मीन में होता है | खरमास के समय पृथ्वी से सूर्य की दूरी अधिक होती है. इस समय सूर्य का रथ घोड़े के स्थान पर गधे का हो जाता है | इन गधों का नाम ही खर है इसलिए इसे खरमास कहा जाता है| जब सूर्य वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश करता है, इस प्रवेश क्रिया को धनु की संक्रांति कहते हैं | यही मलमास है |
ज्योतिषाचार्य एवम वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की इस मास में तीर्थों, घरों व मंदिरों में जगह-जगह भगवान की कथा होनी चाहिए। भगवान की विशेष पूजा होनी चाहिए और भगवान की कृपा से देश तथा विश्व का मंगल हो एवं गो-ब्राह्मण तथा धर्म की रक्षा हो, इसके लिए व्रत-नियम आदि का आचरण करते हुए दान, पुण्य और भगवान की पूजा करना चाहिए।
पुरुषोत्तम मास के संबंध में धर्म ग्रंथों में वर्णित है-
येनाहमर्चितो भक्त्या मासेस्मिन् पुरुषोत्तमे।
धनपुत्रसुखं भुकत्वा पश्चाद् गोलोकवासभाक्।।
अर्थात- पुरुषोत्तम मास में नियम से रहकर भगवान की विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तिपूर्वक उन भगवान की पूजा करने वाला यहां सब प्रकार के सुख भोगकर मृत्यु के बाद भगवान के दिव्य गोलोक में निवास करता है।
धर्म ग्रंथों में ऐसे कई श्लोक भी वर्णित है जिनका जप यदि खर मास में किया जाए तो अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल में श्रीकौण्डिन्य ऋषि ने यह मंत्र बताया था।
मंत्र जाप किस प्रकार करें इसका वर्णन इस प्रकार है-
कौण्डिन्येन पुरा प्रोक्तमिमं मंत्र पुन: पुन:।
जपन्मासं नयेद् भक्त्या पुरुषोत्तममाप्नुयात्।।
ध्यायेन्नवघनश्यामं द्विभुजं मुरलीधरम्।
लसत्पीतपटं रम्यं सराधं पुरुषोत्तम्।।
अर्थात- मंत्र जपते समय नवीन मेघश्याम दोभुजधारी बांसुरी बजाते हुए पीले वस्त्र पहने हुए श्रीराधिकाजी के सहित श्रीपुरुषोत्तम भगवान का ध्यान करना चाहिए।
गोवर्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्।
गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्।।
इस मंत्र का एक महीने तक भक्तिपूर्वक बार-बार जाप करने से पुरुषोत्तम भगवान की प्राप्ति होती है, ऐसा धर्मग्रंथों में लिखा है।
|| शुभम भवतु|| कल्याण हो||
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जानिए भगवान विष्णु ने क्यों दिया इसे अपना नाम?
धर्मग्रंथों के अनुसार, खर (मल) मास को भगवान पुरुषोत्तम ने अपना नाम दिया है। इसलिए इस मास को पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं। इस मास में भगवान की आराधना करने का विशेष महत्व है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस मास में सुबह सूर्योदय के पहले उठकर शौच, स्नान, संध्या आदि अपने-अपने अधिकार के अनुसार नित्यकर्म करके भगवान का स्मरण करना चाहिए और पुरुषोत्तम मास के नियम ग्रहण करने चाहिए। पुरुषोत्तम मास में श्रीमद्भागवत का पाठ करना महान पुण्यदायक है।
शास्त्रों के अनुसार इस मास में सुबह सूर्योदय से पहले उठकर अपने नित्य कामों से निवृत्त हो जाना चाहिए। और दिन भर भगवान विष्णु के नाम का जाप करना चाहिए। इसे विष्णु ने अपना नाम दिया था। इसका दूसरा नाम पुरुषोत्तम मास भी है। इस दिनों पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए साथ ही गो दान, ब्राह्मण की सेवा, दान आदि देने से अधिक फल मिलता है। इस मास में तीर्थों, घरों व मंदिरों में जगह-जगह भगवान की कथा होनी चाहिए। भगवान की विशेष पूजा होनी चाहिए और भगवान की कृपा से देश तथा विश्व का मंगल हो एवं गो-ब्राह्मण तथा धर्म की रक्षा हो, इसके लिए व्रत-नियम आदि का आचरण करते हुए दान, पुण्य और भगवान की पूजा करना चाहिए। पुरुषोत्तम मास के संबंध में धर्म ग्रंथों में वर्णित है-
येनाहमर्चितो भक्त्या मासेस्मिन् पुरुषोत्तमे।
धनपुत्रसुखं भुकत्वा पश्चाद् गोलोकवासभाक्।।
अर्थात- पुरुषोत्तम मास में नियम से रहकर भगवान की विधिपूर्वक पूजा करने से भगवान अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तिपूर्वक उन भगवान की पूजा करने वाला यहां सब प्रकार के सुख भोगकर मृत्यु के बाद भगवान के दिव्य गोलोक में निवास करता है।
ज्योतिषाचार्य एवम वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की इस खर मास में सिर्फ भागवत कथा या रामायण कथा का सामूहिक श्रवण ही किया जाता है | ब्रह्म पुराण के अनुसार खर मास में मृत्यु को प्राप्त व्यक्ति नर्क का भागी होता है. अर्थात चाहे व्यक्ति अल्पायु हो या दीर्घायु अगर वह पौष के अन्तर्गत खर मास यानी मल मास की अवधि में अपने प्राण त्याग रहा है तो निश्चित रूप से उसका इहलोक और परलोक नर्क के द्वार की तरफ खुलता है | इस बात की पुष्टि महाभारत में होती है जब खर मास के अंदर अर्जुन ने भीष्म पितामह को धर्म युद्ध में बाणों से बेध दिया था | सैकड़ों बाणों से घायल हो जाने के बावजूद भी भीष्म पितामह ने अपने प्राण नहीं त्यागे | प्राण नहीं त्यागने का मूल कारण यही था कि अगर वह इस खर मास में प्राण त्याग करते हैं तो उनका अगला जन्म नर्क की ओर जाएगा |
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जानिए खरमास के महीने मे कैसे अपना भाग्योदय करें ??
खर मास ऐसा महीना जब हम ना ही कुछ अच्छे कम की शुरुआत कर सकते हैं और ना ही कुछ खरीद सकतें हैं| ज्योतिषाचार्य एवम वास्तुशास्त्री पंडित दयानंद शास्त्री ने बताया की इस खर मास में क्या करना अच्छा है और क्या आपको नुकसान दे सकता है|
जानिए खर मास में क्या नही करना चाहिए :--
1. कोई भी नई वस्तुएँ जैसे की घर, कार, इत्यादि ना खरीदे |
2. घर के निर्माण का कार्य को शुरू ना करें और ना ही उस से संबंधित कोई भी समान खरीदें |
3. कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, सगाई ना करें |
जानिए क्या करें खर मास में आप अपने भाग्य को अच्छा करने के लिए:--
१)खर मास को पुरषोत्तम मास भी कहा जाता है जो भगवान विष्णु का नाम है, इसलिए इस मास के दोनों एकादशी मे भगवान विष्णु को खीर का भोग लगाएँ और उसमें तुलसी के पत्तों का प्रयोग करें|
२) इस समय पिलें वस्त्र, पीला रंग का अनाज, फल श्री हरी को अर्पण करें और फिर इन चीज़ों को दान कर दें|
३)खर मास मे माँ तुलसी के सामने गाय के घी का दीपक लगाएँ और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जप करते हुए ११ बार परिक्रमा करें| ऐसा करने से घर के सारे संकट और दुख ख़त्म हो जातें हैं और घर मे सुख शांति का वास होता है|
४) ब्रह्म मुहर्त मे उठकर स्नान करके भगवान विष्णु को केसर युक्त दूध का अभिषेक करें और तुलसी के माला से ११ बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जप करें|
६) हमारे .ग्रंथों के अनुसार पीपल के वृक्ष मे भगवान विष्णु का वास माना गया है इसलिए अगर आप पीपल के पेड़ मे जल को अर्पण करके गाय के घी का दीपक जलातें है तो आपके ऊपर भगवान विष्णु का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा|
७) खर मास मे प्रत्येक दिन श्री हरी का ध्यान करें और पीले पुष्प अर्पित करें| इससे आपके सारे मनोकामनाएँ पूरी होंगी|
८) दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करनी चाहिए इस मास मे| कहा जाता है की दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से श्री हरी विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी भ प्रसन्न होती हैं|
९) सुबह उठकर भागवत कथा को पढ़ें|
१०) अगर आपको अपना प्रमोशन या पदोंउन्नति चाहिए तो खर मास के नवमी तिथि को कन्याओं को अपने घर पे बुला के भोजन कर
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)

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