योगी ज्यादा दिनों तक नहीं रहेंगे मुख्यमंत्री ! ये है कारण

योगी ज्यादा दिनों तक नहीं रहेंगे मुख्यमंत्री ! ये है कारण

लखनऊ। योगी आदित्यनाथ भले ही मुख्यमंत्री बन गए हैं लेकिन कब तक बने रहते हैं यह कुछ भी नहीं कहा जा सकता है । अगर योगी के आपराधिक रिकार्ड के बारे में देखा जाए तो योगी के लिए सीएम पद पर बने रहना इतना आसान नहीं होगी।
योगी द्वारा दिए गए एफिडेविट के अनुसार योगी के ऊपर कई आपराधिक धाराओं में मुकदमे दर्ज हैं। अगर बात उनके 2014 लोकसभाचुनावों में दाखिल हलफनामे की करें तो इसमें योगी ने अपने ऊपर लगे सभी मामलों के बारे में जानकारी दी है। योगी के खिलाफ कुछ मुकदमें तो इतने गंभीर हैं कि साबित होने पर उनको मौत की सजा भी हो सकती है।

यह है मुक़दमे

  • उत्तर प्रदेश के नए मुख्यमंत्री पर इस सालमहाराजगंज जिले में आईपीसी की धारा 147 (दंगे के लिए दंड),
  • 148 (घातक हथियार से दंगे), 295 (किसी समुदाय के पूजा स्थल का अपमान करना),
  • 297 (कब्रिस्तानों पर अतिक्रमण),
  • 153A (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना),
  • 307 (हत्या का प्रयास) और 506 (आपराधिक धमकी के लिए दंड) के मामले दर्ज हुए थे। पुलिस ने इन मामलों में क्लोजर रिपोर्ट तो साल 2000 में ही दाखिल कर दी थी, लेकिन स्थानीय अदालत का फैसला आना अभी बाकी है।
  • 1999: यहां भी मामला महाराजगंज का ही है, जहां उन पर धारा 302 (मौत की सजा) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
  • इसके अलावा 307 (हत्या का प्रयास) 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 427 (पचास रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाते हुए शरारत) के तहत भी उन पर मामला दर्ज हुआ था। पुलिस ने 2000 में ही क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी थी, लेकिन फैसला आना बाकी है।
  • 1999: इसी साल महाराजगंज में उन पर आईपीसी की धारा 147 (दंगे के लिए दंड), 148 (घातक हथियार से दंगे), 149, 307, 336 (दूसरों के जीवन को खतरे में डालना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और 427 (पचास रुपये की राशि को नुकसान पहुंचाते हुए शरारत) के तहत मामले दर्ज किए गए। एफिडेविट के मुताबिक पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, लेकिन फैसला आना बाकी है।
  • 2006: गोरखपुर में उन पर आईपीसी की धारा 147, 148, 133A (उपद्रव को हटाने के लिए सशर्त आदेश), 285 (आग या दहनशील पदार्थ के संबंध में लापरवाही), 297 (कब्रिस्तानों पर अतिक्रमण) के तहत मामला दर्ज किया गया था। यहां भी पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी थी, लेकिन फैसला अभी नहीं आया।
  • source web


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