जिस स्कूल में टाटपट्टी पर बैठ कर की थी पढाई उसी में बने प्रिंसिपल और बदल दी अपने पैसे से तस्वीर

जिस स्कूल में टाटपट्टी पर बैठ कर की थी पढाई उसी में बने प्रिंसिपल और बदल दी अपने पैसे से तस्वीर


लखनऊ-एक तरफ जहाँ शिक्षकों के स्कूल न जाने की समस्या पूरे प्रदेश में बनी हुई है वहीँ कुछ ऐसे भी शिक्षक हैं जिन्होंने न केवल अपने स्कूल की तस्वीर बदल दी है बल्कि सरकारी स्कूलों के बारे में लोगों का जो नजरिया है उसे बदल दिया है | राज्य मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर गोंडा जनपद में एक सरकारी स्कूल का शिक्षक न केवल एजूकेशन क्वालिटी को बढ़ा रहा है बल्कि कान्वेंट स्कूलों को भी टक्कर दे रहा है | ब्रज श्याम सिंह नाम के इस प्रधानाध्यापक ने शिक्षकों के प्रति समाज के रवैये को भी बदल दिया इन्होने न केवल अपने पैसे से ही स्कूल की तस्वीर बदली साथ ही लोग जो स्कूल के आसपास कब्ज़ा करने में लगे थे उनके सोच को भी बदल दिया और लोग खुद ही अतिक्रमण को हटाने लगे |

बचपन के सपनो को पूरा किया

1885 में स्थापना के समय यह स्कूल ब्लॉक का चौथा स्कूल था। स्कूल के प्रधानाध्यापक बृजश्याम सिंह बताते हैं कि पढ़ाई के शुरुआती दिनों से ही इस स्कूल को जिले का सबसे अच्छा स्कूल बनाने का सपना मन में था। इलाहाबाद के ईसीसी से स्नातक करने और अवध विश्वविद्यालय से पीजी करने के बाद फरवरी 2015 में मेरी नियुक्ति यहां हुई। मैंने बिना किसी सरकारी मदद के सवा दो लाख रुपये अपनी तनख्वाह से लगा दिया। इसके बाद स्कूल का रंग-रोगन हुआ और उसमें फूल-पौधे लगाए गए। बच्चों को बैठने के लिए कुर्सी-मेज के साथ ही महापुरुषों की तस्वीर लगी है।

अपना ही पैसा लगा दिया स्कूल में

नए लुक में आने के बाद से स्कूल में बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है। अभी स्कूल में कुल 126 छात्र हैं, जबकि 2015 में इनकी संख्या 100 थी। कई बच्चों ने तो कॉन्वेंट स्कूल छोड़कर इस स्कूल में दाखिला लिया है।जिस स्कूल में कभी बृजश्याम सिंह ने टाट-पट्टी पर बैठकर पढ़ाई की थी, आज उसी स्कूल को उन्होंने कॉन्वेंट की टक्कर का बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। गोंडा जिला मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर सरयू नदी के मुहाने पर बने सिधौटी गांव के प्राथमिक विद्यालय को संवारने के लिए बृजश्याम सिंह ने अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा लगा दिया है, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में उनकी मिसाल दी जा रही है। वह खुद इस स्कूल में प्रधानाध्यापक हैं।

बीएसए ने की खुल कर तारीफ

गोंडा जनपद के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अजय सिंह ने कहा कि जनपद में कई ऐसे शिक्षक है जो आदर्शों का मानदंड स्थापित कर रहे हैं | जिले में कई ऐसे शिक्षक है जिन्होंने शिक्षा विभाग की तस्वीर बदल दी है साथ ही जो लोग स्कूल आने से कतराते थे अब वह स्कूल आने लगे हैं और जो शिक्षक पहले स्कूल से नदारद रहते थे अब वह या तो अपने आदतों में सुधार कर रहे हैं या फिर काम न करने के नए नए बहाने ढूंढ रहे हैं | बीसए ने यह भी कहा कि जो लोग काम नहीं करना चाहते हैं वह कई तरह से अधिकारियों पर दबाव बनाने का प्रयास करते हैं लेकिन उनका प्रयास है कि जिले में शिक्षकों की उपस्थिति शत प्रतिशत होनी चाहिए और जिन्हें काम नहीं करना है वे यहाँ न रहें | सरकार का जो निर्देश है उसका पालन पूरी तरह से कराया जाएगा |


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