रेलवे का सिंघम कैसे बना लेखक

रेलवे का सिंघम कैसे बना लेखक

दिल्ली स्पेशल डेस्क - रिपोर्ट-सौरभ शुक्ल - आये दिन अखबारों में हम ख़बरें पढ़ते रहते है की तनाव में किसी महिला या पुरुष ने आत्महत्या कर ली लेकिन आखिर ये तनाव क्या है, बहुत सारे डॉ इस रिसर्च पर लगे हुए है की मनुस्य के दिमाग में आने वाला तनाव कैसे दूर किया जाए जिसपर अरबों डॉलर का खर्चा हो रहा है लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे है जिसने जीवन में आने वाले तनाव को कैसे दूर किया जाए इसका एक नायाब रास्ता निकाल लिया पेशे से सरकारी अधिकारी लेकिन दिली तौर पर एक शानदार लेखक यही है इनकी यह पहचान इनको लाखों की भीड़ में अलग करती है.

जी हाँ हम बात कर रहे है उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में तैनात रेलवे अधिकारी #IndianRaiway "अमिताभ कुमार" की, पेशे से नौकरशाह लेकिन तबियत से लेखक बचपन से लिखने का शौक तो था लेकिन ज़िंदगी में कुछ बनना भी था शायद इसी जद्दो जहद ने रेलवे में बड़ा अधिकारी बना दिया ये अधिकारी अपने काम के प्रति अपने विभाग में सिंघम जैसी छवि भी रखते है अक्सर रेलवे की ट्रेनों में बिना टिकट चलने वाले मुसाफिर इनको दूर से देखते ही थर थर कांपने लगते है चाहे वो किसी भी विभाग के लोग हो अगर उसने गलत किया है तो ये उसको कभी नहीं बख्शते है अपने नौकरी पेशे में ईमानदारी इनके काम करने के तरीके में ही झलकती है और पूरा रेलवे महकमा इनकी काम करने के तरीके को सलाम करता है. लेकिन कुछ नया करने की तमन्ना रखने वाले इस अधिकारी के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था, लखनऊ के चारबाग़ रेलवे स्टेशन पर लाखों की भीड़ के बीच ये अधिकारी कुछ अच्छा करना चाहता था लेकिन नया काम और लोगों को नयी सुविधाएँ देने के लिए यह अधिकारी रात और दिन एक करने लगे, जिसके बाद हम सभी के जीवन में सिर्फ एक ही चीज हाथ आती है और वो है तनाव वही इनके साथ भी हुआ ये दिन रात मेहनत करने के बाद जब घर जाते थे तो इनका दिमाग पर वही काम का तनाव हावी रहता था और इनको रातों रात नींद नहीं आती थी वहीँ से इनको प्रेरणा मिली की अगर मेरे साथ इतना तनाव है तो और लोगों के ऊपर भी कितना तनाव होता होगा तभी से इन्होने कुछ सामाजिक मुद्दों के ऊपर दो दो चार चार पन्ने लिखने शुरू कर दिए

वर्ष 2011 में इन्होने अपनी पहली किताब "Operation Log Out" जो की शोशल मीडिया पर आधारित थी लिखी, इस किताब में उन्होंने शोशल मीडिया के फायदे और नुक्सान युवाओ को लेकर लिखा और इस किताब में सोशल मीडिया में तहलका मचा दिया इसके बाद इन्होने पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक के बाद एक चार किताबें लिख डाली जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के ग्रामीण समाज एवं राजनीति पर आधारित एक उपन्यास "सरपंच" लिख डाला, सरपंच के बाद एक छात्र के संघर्ष की रोचक कहानी "Bloody Merit Scholars" भी लिखी जिसने सभी छात्रों का दिल जीत लिया। अब इनके कदम कहाँ रुकने वाले थे इसके बाद पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक सामान्य बालक के महंत बनने और प्रदेश की राजनीति में दखल देने की कहानी "Mahant The God Father" लिख डाली।

किताबें लिखने के बाद इनकी किताबें समाज ने बहुत पसंद की और फिर शुरू हुआ सम्मान मिलने का दौर जिसमें इनको रेलवे की तरफ से तीन पुरस्कार और महाप्रबंधक रेलवे लखनऊ की तरफ से प्रशस्ति पत्र और सम्मान दिया गया, इतने तनाव के बीच अगर हम अपने तनाव को अपने ऊपर न हावी होने दे तो उसकी जीती जागती मिसाल उत्तर प्रदेश के लखनऊ में तैनात रेलवे अधिकारी "अमिताभ कुमार" ने पेश की, इनके ज़ज़्बे को आप की खबर की तरफ से सलाम और भविस्य के लिए शुभकामनाएं।


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