क्यों रहे नाराज अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना अंतिम समय तक अपने पिता स्वर्गीय विनोद खन्ना से---

क्यों रहे नाराज अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना अंतिम समय तक अपने पिता स्वर्गीय विनोद खन्ना से---
आइये जाने और समझने का ज्योतिषीय प्रयास करें,उन सभी की उपलब्ध जन्म कुंडलियों के आधार पर |
प्रिय पाठकों/मित्रों,आपका आपके पुत्र से संबंध कैसा रहेगा? कभी-कभी पिता और पुत्र में झगड़ा भी होता है। देखें कि किन-किन ग्रहों से पिता एवं पुत्र का संबंध है। पिता के लग्न से दशम राशि में यदि पुत्र का जन्म लग्न में हो तो पुत्र-पिता तुल्य गुणवान होता है। यदि पिता के द्वितीय, तृतीय, नवम व एकादश भावस्थ राशि में पुत्र का जन्म लग्न हो तो पुत्र पिता के अधीन रहता है।यदि पिता के षष्ठम व अष्टम भाव में जो राशि हो, वही पुत्र का जन्म लग्न हो तो पुत्र, पिता का शत्रु होता है और यदि पिता के द्वादश भाव गत राशि में पुत्र का जन्म हो तो भी पिता-पुत्र में उत्तम स्नेह नहीं रहता।
यदि पिता की कुंडली का षष्ठेश अथवा अष्टमेश पुत्र की कुंडली के लग्न में बैठा हो तो पिता से पुत्र विशेष गुणी होता है। यदि लग्नेश की दृष्टि पंचमेश पर पड़ती हो और पंचमेश की दृष्टि लग्नेश पर पड़ती हो अथवा लग्नेश पंचमेश के गृह में हो और पंचमेश नवमेश के गृह में हो अथवा पंचमेश नवमेश के नवांश में हो तो पुत्र आज्ञाकारी और सेवक होता है। यदि पंचम स्थान में लग्नाधिपति और त्रिकोणाधिपति साथ होकर बैठे हों और उन पर शुभग्रह की दृष्टि भी पड़ती हो तो जातक के लिए केवल राज योग ही नहीं होता वरन् उसके पुत्रादि सुशील, सुखी, उन्नतिशील और पिता को सुखी रखने वाले होते हैं परंतु यदि षष्ठेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश पाप ग्रह और दुर्बल होकर पंचम स्थान में बैठे हों तो ऐसा जातक अपनी संतान के रोग ग्रस्त रहने के कारण उससे शत्रुता के कारण, संतान से असभ्य व्यवहार के कारण अथवा संतान-मृत्यु के कारण पीड़ित रहता है।
यदि पंचमेश पंचमगत हो अथवा लग्न पर दृष्टि रखता हो अथवा लग्नेश पंचमस्थ हो तो पुत्र आज्ञाकारी और प्रिय होता है।स्मरण रहे कि जितना ही पंचम स्थान का लग्न से शुभ संबंध होगा, उतना ही पिता-पुत्र का संबंध उत्तम और घनिष्ठ होगा। यदि पंचमेश 6, 8 व 12 स्थान में हो और उस पर लग्नेश की दृष्टि न पड़ती हो तो पिता-पुत्र का संबंध उत्तम होता है। यदि पंचमेश 6, 8 व 12 स्थानगत हो तो उस पर लग्नेश, मंगल और राहू की दृष्टि भी पड़ती हो तो पुत्र-पिता से घृणा करेगा और पिता को गाली-गलौच तक करने में बाज नहीं आएगा। पद लग्न से पुत्र और पिता का भी विचार किया जाता है।पद लग्न से केंद्र अथवा त्रिकोण में अथवा उपचय स्थान में यदि पंचम राशि पड़ती हो तो पिता-पुत्र में परस्पर मित्रता होती है, परंतु लग्न से पंचमेश 6, 8, 12 स्थान में पड़े तो पिता-पुत्र में बैर होता है।
वास्तुशास्त्र के नियमों के अनुसार सूर्य पिता का कारक ग्रह होता है सूर्योदय की दिशा पूरब होती है जिस घर में पूर्व दिशा दोषपूर्ण होती है उस घर में पिता और पुत्र के संबंध में दूरियां आती हैं।
जो प्लॉट उत्तर व दक्षिण में संकरा तथा पूर्व व पश्चिम में लंबा हो तो ऐसे भवन को सूर्यभेदी कहते हैं। ऐसे भवन में पिता-पुत्र साथ रहें तो एक दूसरे से अक्सर विवाद होते रहते हैं और रिश्तों में दूरियां बढ़ जाती हैं।
पूरब दिशा में बड़े-बड़े वृक्ष, ऊंची दीवार एवं कटी हुई जमीन हो तो पूर्व दिशा दोषपूर्ण हो जाती है। पिता पुत्र के मधुर संबंध के लिए उत्तर पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में शौचालय अथवा रसोई घर नहीं होना चाहिए। यह पिता एवं पुत्र दोनों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।उत्तर पूर्वी भागों में इलेक्ट्रिक उपकरण रखने से पुत्र और पिता के स्वभाव में उग्रता आ जाती है जिससे कलह की सम्भावना बड़ जाती है
ईशान कोण में कूड़ादान रखते हों तो इससे पिता और पुत्र के बीच वैमनस्य बढ़ता है और गंभीर विवाद हो सकता है।
पिता-पुत्र के मध्य लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं। कुछ उपायों का प्रयोग करके इन समस्याअों से मुक्ति पाई जा सकती है।
* घर के ईशान कोण अर्थात उत्तर-पूर्वी भाग का टूटा होने से पिता-पुत्र में आपसी मुद्दों को लेकर लड़ाईयां होती रहती हैं। इसलिए इन कोनों को ठीक रखें।
* ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) कोने में भंडार कक्ष अौर पर्वत की तरह आकृति बनाने से भी बेटे एवं पिता के संबंधों में चिंताएं होने के कारण इनका एक-दूसरे पर विश्वास नहीं रहता। इन भागों में इनका निर्माण न करें।
* रसोई घर या शौचालय उत्तर-पूर्व दिशा में बनाने से पारिवारिक सदस्यों के संबंध प्रभावित होते हैं अौर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का आगमन होता है।
* वास्तु अनुसार घर के उत्तर-पूर्व दिशा को साफ-सुथरा रखने से घर में होने वाले झगड़ों से छुटकारा मिलता है अौर सुख-शांति में बढ़ौतरी होती है।
* इलेक्ट्रॉनिक, गर्मी पैदा करने वाले अन्य उपकरणों को ईशान अर्थात उत्तर-पूर्व दिशा में रखने से पुत्र-पिता के आदेशों को नहीं मानता अौर परिवार के अन्य सदस्यों को भी अपमान करता है। ऐसे सामान को इस दिशा में न रखें।
* कूड़ेदान अौर कूड़ा-कर्कट को घर की उत्तर-पूर्व दिशा में रखने से पारिवारिक सदस्यों के मध्य जलन एवं ईर्ष्या की भावना पैदा होती है।
* प्लाट उत्तर व दक्षिण में तंग तथा पूर्व व पश्चिम में लंबा हो तो ऐसे स्थान को सूर्यभेदी कहते हैं। ऐसे स्थानों पर रहने से बेटे अौर पिता के मध्य लड़ाई-झगड़े होते रहते हैं। ऐसे स्थानों पर घर न बनाएं।
* कांच या शीशे को शयन कक्ष में न रखें। आईने में बेड के दिखाई देने से रोगों अौर नकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है।
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विनोद खन्ना की जन्म कुंडली-- स्वर्गीय वनोद खन्ना जी का जन्म 6 अक्टूबर 1946 (आयु 70 वर्ष)
जन्म स्थान--पेशावर (1901–55), ब्रितानी भारत (अभी, पाकिस्तान)
जीवनसाथी गीताजंलि (1971–1985 तलाक)
कविता (1990–2017 (निधन तक))
बच्चे राहुल खन्ना (पुत्र)
अक्षय खन्ना (पुत्र)
साक्षी खन्ना (पुत्र)
श्रद्धा खन्ना (पुत्री)
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राहुल खन्ना की जन्म कुंडली ---राहुल का कम जन्म 20 जून 1972 (आयु 46) को मुंबई हुआ था |राहुल खन्ना ने 1994 में एमटीवी एशिया के साथ एक वीजे (वीडियो जॉकी) के रूप में अपने कैरियर शुरू किया| अपने 4 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होने भारी लोकप्रियता हासिल की, एशिया भर में उनके बहुत प्रशंसक है|
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अक्षय खन्ना की जन्म कुंडली -----अक्षय खन्ना का जन्म 28 मार्च 1975 में मुंबई में हुआ था। वह सत्तर – अस्सी के दशक के मशहूर अभिनेता विनोद खन्ना के पुत्र है और इनके बड़े भाई राहुल खन्ना एक प्रसिद्ध वी जे एवं उभरते हुए अभिनेता हैं।
पढ़ाई ----
अक्षय खन्ना ने अपनी शुरुआती पढ़ाई मुंबई से संपन्न की है। अभिनेता पिता होने के कारण वह भी अभिनय में दिलचस्पी लेने लगे। इसके लिए उन्होंने नमित कपूर एक्टिंग स्कूल से अभिनय की बारीकियां भी सीखी। उन्होंने हिंदी सिनेमा में फिल्म हिमालय पुत्र से डेब्यू किया था। इस फिल्म को उनके पिता विनोद खन्ना ने प्रोड्यूस किया था। हालांकि इस फिल्म को बॉक्स-ऑफिस पर ज्यादा अच्छा रेस्पोंस नहीं मिला था। उसके बाद वह मल्टीस्टारर फिल्म बॉर्डर में नजर आये। उनकी एक्टिंग को आलोचकों द्वारा काफी सराहा गया। इस फिल्म में उन्हें उनके बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें उनका पहला फिल्मफेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का नामंकन भी मिला था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में काम किया जो दर्शकों को अपनी और खीचने में खासा कामयाब नहीं हो सकी।
वर्ष 1999 में आई फिल्म आ लौट चले और फिल्म ताल उनके करियर की अच्छी फिल्मों से एक हैं। इन दोनों ही फिल्मों में वह ऐश्वर्या रे बच्चन के अपोजिट नजर आये थे। दोनों ही फिल्मों ने बॉक्स-ऑफिस पर काफी अच्छा व्यापार भी किया था।
इसके बाद वह फरहान अख्तर की निर्देशन डेब्यू फिल्म दिल चाहता में नजर आये। यह फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर सेमी-हिट रही थी। इस फिल्म को आलोचकों द्वारा भी काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी। उन्होंने बड़े पर्दे पर सिर्फ पॉज़िटिव ही नहीं नेगटिव किरदार उम्दा तरीके से निभाए हैं। वह फिल्म हमराज में में नजर आये थे। जिसे दर्शकों द्वारा बेहद पसंद भी किया था। इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर में नेगेटिव रोल इन फिल्म के नामंकन भी मिला था।
इसके बाद वह कॉमेडी फिल्म हंगामा और एक्शन-रोमांस फिल्म आये। दोनों ही फिल्मों ने बॉक्स-ऑफिस पर काफी अच्छा व्यापार किया था। इसके बाद वह कई साडी फिल्मों में दिखे जैसे-नो प्रॉब्लम, तीसमार खान,शादी से पहले, मेरे बाप पहले आप लेकिन यह सभी फिल्मे दर्शकों को सिनेमाघरों तक नहीं खींच सकी।
पंडित “विशाल” दयानन्द शास्त्री,
(ज्योतिष-वास्तु सलाहकार)

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