अंग प्रत्यारोपण करा चुके लोग ही ले सकते है इस खेल प्रतियोगिता में भाग, इस इंस्पेक्टर ने किया भारत का नाम रोशन

अंग प्रत्यारोपण करा चुके लोग ही ले सकते है इस खेल प्रतियोगिता में भाग, इस इंस्पेक्टर ने किया भारत का नाम रोशन

लखनऊ स्पेशल डेस्क - सौरभ शुक्ल- दिल में कुछ करने का जज्बा हो लगन और पूरी इमानदार से मेहनत की जाए तो कुछ भी हासिल किया जा सकता है दक्षिण अफीका के प्रिस्तोरियस हो या नकली पैर के साहारे माउंट एवरेस्ट फतह करने वाली अरुणिमा सिन्हा हो लखनऊ के धर्मेद्र सोती भी इन बिरले खिलाडियों में शामिल है

क्या है ये गेम

  • जिन खिलाड़ियों को अपने किसी अंग का ट्रान्स्प्लान्ट करना पड़ता है उन्हें वापस खेलों की दुनिया से जोड़ने के लिए 35 साल पहले वर्ल्ड ट्रांसप्लांट गेम फेडरेशन का गठन हुआ ये फेडरेशन हर दो साल पर वर्ल्ड गेम का आयोजन करता है इस गेम में वही खिलाडी भाग लेते है जिनके सरीर के किसी भी ऑर्गन का ट्रांसप्लांट हुआ हो, होनहार बिरवान के होत चीकने पात जैसी कहावत ऐसे लोगों पर चरितार्थ होती है जिन्होंने अपनी शारीरिक अक्षमता को अपनी कमजोरी न बनाकर अपने होसलों की उड़ान के साथ यह कर दिखाया है और देश का नाम रोशन किया आज ये लोग हजारों लोगों के लिए एक मिसाल बन गए है जो अपनी अक्षमता को अपनी ढाल बना कर जीते है जहाँ आज हर देश में खेल और खिलाडियों को प्रोत्साहन दिया जाता है ऐसे में हमारे देश में न जाने कितने प्रतिभावान खिलाडी आर्थिक कमी के चलते ऐसी प्रतीस्पर्धाओं में भाग लेने से वंचित रह जाते है.

एक ऐसी "फोटो" जिसको खीचने के बाद "फोटोग्राफर" ने कर ली थी "आत्महत्या" अन्दर देखें वो फोटो

परिवार व विभाग ने दिया सहयोग

  • सोती ने अपनी उपलब्धि पर कहा की मैं ये साबित करना चाहता हूँ की ट्रांसप्लांट के बाद भी लोग सामान्य रूप से बेहतर जीवन जी सकते है मैंने अपने परिवार और विभाग के सहयोग से इसे कर दिखाया है यही भावना इन गेम्स की भी है खिलाडियों को हालात से लड़ना आना चाहिए जीत के जज्बे से आधी समस्या दूर हो जाती है साथ ही साथ कहते है मेरी जिन्दगी मेरे भाई की है जिनकी बदौलत मैं आज इस मुकाम तक पंहुचा हूँ अगर मेरे भाई ने किडनी नहीं दी होती तो शायद इस दुनिया में मैं स्वर्णिम सफलता नहीं बिखेर पाता.

प्लेट में अनाज छोड़ने से पहले इस तस्वीर को Zoom करके ज़रूर देखें

सरकार का नहीं मिला साथ

  • लखनऊ के धर्मेन्द्र सोती जो की केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो में कार्यरत है इनकी वर्ष 2001 में किडनी बदली गयी शारीरिक परेशानियों के बावजूद लगातार वर्ल्ड गेम से दो बार वो वहां से मेडल लाये लेकिन वो बताते है की खेल विभाग और सरकार केवल खानापूर्ति करता है प्रदेश सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक वो कई पत्र वो लिख चुके है लेकिन इस अंतररास्ट्रीय खिलाड़ी की कोई भी पूछ नहीं है.

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