छापों से परेशान लालू का महागठबंधन मायावती को भेजेंगे राज्यसभा !

छापों से परेशान लालू का महागठबंधन मायावती को भेजेंगे राज्यसभा !

नई दिल्ली -मायावती और लालू का गठजोड़ होने जा रहा है और लालू ने मायावती को पटना आने का न्योता दिया है यही नहीं लालू ने मायावती को राज्यसभा में भी भेजने की तैयारे बना ली है | उत्तर प्रदेश में जिस तरह से भाजपा ने जबरदस्त बहुमत पाया है उससे धुर विरोधी समाजवादी पार्टी और बसपा के भी सुर बदले नजर आ रहे हैं और कई मामलों में सुर में सुर मिलाकर बोल रहे हैं | लालू ने इसके लिए बाकायदा मायावती को फोन कर 27 अगस्त को पटना में होने वाली रैली में शामिल होने का भी आमंत्रण दिया है |

यह सारी कवायद इस लिए रची जा रही है क्योंकि दो अप्रैल 2018 को मायावती सहित यूपी के 10 राज्यसभा सदस्यों की सदस्यता खत्म होगी. इनमें मायावती के साथ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी, एसपी नेता जया बच्चन, किरणमय नंदा, नरेश अग्रवाल और बीजेपी नेता विनय कटियार शामिल हैं. जबकि, 18 मई 2018 को यूपी विधान परिषद की 13 सीटें खाली हो रही हैं. इनमें एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव और राजेंद्र चौधरी प्रमुख नाम हैं.

नई नहीं है कोशिश

  • वैसे लालू शुरू से ही मायावती को महागठबंधन में शामिल कराने के पक्ष में रहे हैं.
  • बिहार चुनाव में जीत के बाद वह सपा से बसपा के साथ जुड़कर महागठबंधन बनाने की बात कह चुके हैं.
  • लेकिन इस कोशिश को मायावती ने उस समय सिरे से नकार दिया था.सपा भी अब दिखा रही है बसपा के प्रति नरमी
  • इधर यूपी चुनाव के बाद बदले माहौल में समाजवादी पार्टी का रुख भी बसपा के प्रति नरम दिखाई दे रहा है.
  • पार्टी के विधानमंडल दल के नेता रामगोविंद चौधरी लगातार विधानसभा के अंदर बसपा के साथ मिलकर योगी सरकार के खिलाफ लड़ने की बात कह रहे हैं.
  • बसपा की भी है मजबूरी
    यूपी चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद बसपा सुप्रीमो के लिए राज्यसभा या विधानपरिषद की राहें बेहद मुश्किल हो गई हैं.
  • बिना समर्थन लिए उनका इन सदनों तक पहुंचना नामुमकिन हो गया है.
  • अगर वह समर्थन नहीं लेती हैं ​तो अप्रैल, 2018 के बाद उनके लिए राज्यसभा का रास्ता लगभग बंद होने जा रहा है.
  • अगले वर्ष उनकी राज्यसभा सदस्यता समाप्त हो रही है. ऐसे में उन्हें दोबारा निर्वाचित होने के लिए 37 विधायकों की जरूरत होगी, लेकिन यूपी चुनाव में उनकी पार्टी को सिर्फ 19 सीटें ही मिली हैं.
  • विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी के प्रदर्शन ने उनके लिए राज्यसभा के साथ ही विधान परिषद का रास्ता भी बंद कर दिया है. विधान परिषद सदस्य चुने जाने के लिए उन्हें कम से कम 29 विधायकों का समर्थन चाहिए होगा.


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