10 करोड़ की घूस से मिली थी गायत्री प्रजापति को बेल

10 करोड़ की घूस से मिली थी गायत्री प्रजापति को बेल

लखनऊ -गायत्री प्रजापति ने अपने भ्रस्ट्राचार की काली परछाई के लपेटे में ले लिए गन्दगी यहाँ तक की जहाँ से आम लोगों को अंतिम आशा होती है और यहाँ से भी निराशा मिली अब जब हाईकोर्ट की जांच में यह मामला सामने आता है | अब जो खुलासा हुआ है उसमे कहा गया है कि रेप केस में फंसे समाजवादी पार्टी के पूर्व नेता गायत्री प्रजापति को जमानत दिए जाने के लिए कथित तौर पर करीब 10 करोड़ रुपये की रिश्वत की लेन-देन हुई है। बताया जा रहा है कि करोड़ों रुपये की हुई इस घूसखौरी में कई पॉस्को कोर्ट के जज ओपी मिश्रा को और तीन वकील शामिल हैं।मीडिया में जो ख़बरें आ रही है उसके अनुसार इलाहाबाद कोर्ट की ओर से मामले की जांच के आदेश दिए जाने के बाद ये जज दिलीप बी भोसले की रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ है।

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज दिलीप बी बोसले की रिपोर्ट में बताया गया कि अपनी रिटायरमेंट से ठीक तीन हफ्ते पहले उन्हें 7 अप्रैल को पॉस्को कोर्ट का जज नियुक्त किया गया। इसके बाद प्रजापति की ओर से 24 अप्रैल को याचिका डाली गई और उन्हें 25 अप्रैल को जमानत मिल गई।
  • 10 करोड़ की डील में तीन वकीलों को 5 और ओपी मिश्रा को 5 करोड़ रुपये कथित तौर पर दिए गए हैं।
  • मामले में जज और तीनों वकीलों की मीटिंग भी कई बार हुई, जिसके बाद प्रजापति को जमानत दे दी गई।
  • मामले में रिश्वत का शक और बढ़ गया जब मामले की लंबे समय से सुनवाई कर रहे जज को हटाकर ओपी मिश्रा को उस जगह लाया गया।
  • रिपोर्ट की माने तो लक्ष्मी कांत राठौड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे, लेकिन उनकी जगह 7 अप्रैल को ओपी मिश्रा को मामले की सुनवाई के लिए लाया गया, जबकि वो कुछ समय बाद रिटायर होने वाले थे।
  • सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद प्रजापति के खिलाफ यूपी पुलिस ने 17 फरवरी को एफआईआर दर्ज की। प्रजापति ने गिरफ्तार होने के बाद 15 मार्च को बेल की अपील की और उन्हें 24 अप्रैल को पॉस्को कोर्ट ने जमानत दे दी।
  • मामले में रिश्वत का शक और बढ़ गया जब मामले की लंबे समय से सुनवाई कर रहे जज को हटाकर ओपी मिश्रा को उस जगह लाया गया। रिपोर्ट की माने तो लक्ष्मी कांत राठौड़ मामले की सुनवाई कर रहे थे, लेकिन उनकी जगह 7 अप्रैल को ओपी मिश्रा को मामले की सुनवाई के लिए लाया गया, जबकि वो कुछ समय बाद रिटायर होने वाले थे।
  • सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद प्रजापति के खिलाफ यूपी पुलिस ने 17 फरवरी को एफआईआर दर्ज की।
  • प्रजापति ने गिरफ्तार होने के बाद 15 मार्च को बेल की अपील की और उन्हें 24 अप्रैल को पॉस्को कोर्ट ने जमानत दे दी।

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