*जानिए आपकी जन्म कुण्डली के उन अशुभ योगों को, जिनकी शान्ति आवश्यक होती हैं

*जानिए आपकी जन्म कुण्डली के उन अशुभ योगों को, जिनकी शान्ति आवश्यक होती हैं

*जानिए आपकी जन्म कुण्डली के उन अशुभ योगों को, जिनकी शान्ति आवश्यक होती हैं*---1).चांडाल योग= पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार जब जन्म कुंडली मैं गुरु के साथ राहु या केतु हो तो जातक को चांडाल दोष होता है।।

2).सूर्य ग्रहण योग=सूर्य के साथ राहु या केतु हो तो

3). चंद्र ग्रहण योग=चंद्र के साथ राहु या केतु हो तो

4).श्रापित योग -शनि के साथ राहु हो तो दरिद्री योग होता है

5).पितृदोष- पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यदि जातक की जन्म कुण्डली के 2,5,9 भाव में राहु केतु या शनि है तो वह जातक पितृदोष से पीड़ित होता है ।

6).नागदोष - यदि जातक को 5 भाव में राहु बिराजमान है तो जातक पितृदोष के साथ साथ नागदोष भी है ।।

7).ज्वलन योग- सूर्य के साथ मंगल की युति होने पर जातक ज्वलन योग(अंगारक योग) से पीड़ित होता है ।।

8).अंगारक योग- जब जन्म कुंडली में मंगल के साथ राहु या केतु बिराजमान हो तो जातक अंगारक योग से पीड़ित होता है ।।

9).जब कुंडली में सूर्य के साथ चंद्र हो तो जातक का जन्म अमावस्या को हुआ, ऐसा वैदिक सिद्धांत है ।।

10).जब शनि के साथ बुध हो तो प्रेत दोष की सम्भवना होती हैं।।

11).शनि के साथ केतु होने पर पिशाच योग बनता हैं ।।

12).केमद्रुम योग- ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि जब जन्म कुंडली में चंद्र के साथ कोई ग्रह ना हो एवम् आगे पीछे के भाव में भी कोई ग्रह न हो तथा किसी भी ग्रह की दृष्टि चंद्र पर ना हो तब वह जातक केमद्रुम योग से पीड़ित होता है तथा जीवन में बहुत ज्यादा परिश्रम अकेले ही करना पड़ता है ।।पूरा लाभ नहीं मिलता।। परिश्रम का फल कोई दूसरा ही ले जाता हैं।।

13).शनि + चंद्र होने पर विषयोग की शान्ति अवश्य करें।।

14).एक नक्षत्र जनन शान्ति -घर के किसी दो व्यक्तियों का एक ही नक्षत्र हो तो उसकी शान्ति करें ।।

15).त्रिक प्रसव शान्ति- तीन लड़की के बाद लड़का या तीन लड़कों के बाद लड़की का जनम हो तो वह जातक सभी पर भारी होता है ।।

16).कुम्भ विवाह= लड़की के विवाह में मंगल के कारण अड़चन या वैधव्य योग दूर करने हेतु अवश्य करवाना चाहिए।।

17).अर्क विवाह = मंगल के कारण लड़के के विवाह में अड़चन या वैधव्य योग दूर करने हेतु अवश्य करवाना चाहिए ।।

18).अमावस जन्म- ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यदि अमावस के जन्म के अलावा कृष्ण चतुर्दशी या प्रतिपदा युक्त अमावस्या जन्म हो तो भी शान्ति अवश्य करें ।।

19).यमल जनन शान्ति=जुड़वा बच्चों की शान्ति करें.

20).पंचांग के अनुसार 27 योगों में से 9
"अशुभ योग" निम्न होते हैं--

1.विष्कुंभ योग.
2.अतिगंड योग.
3.शुल योग.
4.गंड योग.
5.व्याघात योग.
6.वज्र योग.
7.व्यतीपात योग.
8.परिघ योग.
9.वैधृती योग.

21).पंचांग के 11 करणों में से 5
"अशुभ करण"

1.विष्टी करण.
2.किंस्तुघ्न करण.
3.नाग करण.
4.चतुष्पाद करण.
5.शकुनी करण.

*जानिये उन नक्षत् ओर उनके चरण जिनकी शान्ति करना बहुत जरुरी है*----

1).अश्विनी का- पहला चरण.(1).अशुभ है.

2).भरणी का - तिसरा चरण.(3).अशुभ है.

3).कृतीका का - तीसरा चरण.(3).अशुभ है.

4).रोहीणी का - पहला,दूसरा और तीसरा चरण.(1,2,3).अशुभ है.

5).आर्द्रा का - चौथा चरण.(4).अशुभ है.

6).पुष्य नक्षत्र का - दूसरा और तीसरा चरण.(2,3).अशुभ है.

7).आश्लेषा के-चारों चरण(1,2,3,4).अशुभ है

8).मघा का- पहला और तीसरा
चरण.(1,3).अशुभ है.

9).पूर्वाफाल्गुनी का-चौथा चरण(4).अशुभ है

10).उत्तराफाल्गुनी का- पहला और चौथा चरण.(1,4).अशुभ है

11).हस्त का- तीसरा चरण.(3).अशुभ है.

12).चित्रा के-चारों चरण.(1,2,3,4).अशुभ है

13).विशाखा के -चारों चरण.(1,2,3,4).अशुभ है.

14).ज्येष्ठा के -चारों चरण(1,2,3,4)अशुभ है

15).मूल के -चारों चरण.(1,2,3,4).अशुभ है.

16).पूर्वषाढा का- तीसरा चरण.(3).अशुभ है.

17).पूर्वभाद्रपदा का-चौथा चरण(4)अशुभ है

18).रेवती का - चौथा चरण.(4).अशुभ है.

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि यह शांती विधान हर 3 वर्ष बाद अवश्य करा लेना चाहीए क्योंकि ग्रह नक्षत्र योगका दोष हमे पीछले जन्मो के श्रापके कारण लगता है और श्राप मे से कभी भी छुटकारा/मुक्ति ही नही मिलती हैं वरन श्राप के खराब प्रभाव को काफी हद तक तीन वर्ष के लिये कम किया जा सकता है।

।।शुभम भवतु।।
।।कल्याण हो।।


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