जानिए क्या कहती हैं भावी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की जन्म कुंडली

जानिए क्या कहती हैं भावी राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की जन्म कुंडली
प्रिय पाठकों/मित्रों,एनडीए द्वारा राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद उनका नाम चर्चा में है। अखबार, टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया में उनके बारे में चर्चा हो रही है। देश के राष्ट्रपति पद हेतु 17 जुलाई, 2017 को मतदान होगा तथा 20 जुलाई, 2017 को परिणाम घोषित होगा।
श्री रामनाथ कोविंद की जन्म कुंडली में राष्ट्रपति बनने के प्रबल योग हैं। रामनाथ कोविंद का जन्म उत्तरप्रदेश के कानपुर जिले की (वर्तमान में कानपुर देहात जिला) तहसील डेरापुर के एक छोटे से गांव परौंख में हुआ था। कोविंद का संबंध कोरी या कोली दलित जाति से है, जो उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आती है। वह 1977 से 1979 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे। समाज सेवा में सक्रिय रहने वाले कोविंद भाजपा दलित मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अखिल भारतीय कोली समाज के अध्यक्ष भी रहे हैं। वर्ष 1986 में दलित वर्ग के कानूनी सहायता ब्यूरो के महामंत्री भी रहे हैं। वर्ष 1994 और 2000 में कोविंद उत्तरप्रदेश से राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। वे भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे हैं।
मूल नक्षत्र के चतुर्थ चरण में जन्मे है कोविंद , मीन लग्न व धनु राशि की कुंडली में तृतीय स्थान का राहु व भाग्येश मंगल सप्तम स्थान में स्थित हो अप्रत्याशित राजयोग उत्पन्न करवा रहें हैं। बृहस्पति- शुक्र की युति इनमें सहज, सरल व विद्वान व्यक्तित्व बना रहे हैं।
कोविंद की कुंडली में जनवरी, 1991 में उनकी राहु की महादशा प्रारंभ हुई, जिसमें राजनैतिक सफलता के संकेत हैं। सशक्त स्थान में स्वगृही सूर्य के साथ बुध की युति व अष्टम में बृहस्पति-शुक्र की युति वृहत्पराशर होरा शास्त्र के अनुसार प्रबल राजयोग बना रहे हैं। अगस्त, 2015 में बृहस्पति की महादशा में बुध की अंतर्दशा में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया। वर्तमान में बृहस्पति महादशा में शुक्र अंतर्दशा में सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा चल रही हैं, जो देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान कराएंगे।
बृहस्पति लग्नेश व दशमग हैं। इस कारण अत्यंत शुभ परिणाम प्रदान करा रहे हैं। सितंबर, 2022 तक का समय बेहद अनुकूल है, इस दौरान देशहित में ऐतिहासिक फैसले लेंगे। देश का मान-सम्मान बढ़ाएंगे। ग्रहों की अनुकूलता के अनुसार कोविंद का राष्ट्रपति बनना तय हैं। मतदान के दिन सूर्य की अनुकूलता तथा परिणाम के दिन चंद्रमा की अनुकूलता उन्हें सर्वोच्च पद पर विराजमान कराएगी।
रामनाथ कोविंद की कुंडली में राष्ट्रपति बनने के प्रबल योग हैं। मूल नक्षत्र के चतुर्थ चरण में जन्मे है कोविंद , मीन लग्न व धनु राशि की कुंडली में तृतीय स्थान का राहु व भाग्येश मंगल सप्तम स्थान में स्थित हो अप्रत्याशित राजयोग उत्पन्न करवा रहें हैं। बृहस्पति- शुक्र की युति इनमें सहज, सरल व विद्वान व्यक्तित्व बना रहे हैं। कोविंद की कुंडली में जनवरी, 1991 में उनकी राहु की महादशा प्रारंभ हुई, जिसमें राजनैतिक सफलता के संकेत हैं। सशक्त स्थान में स्वगृही सूर्य के साथ बुध की युति व अष्टम में बृहस्पति-शुक्र की युति वृहत्पराशर होरा शास्त्र के अनुसार प्रबल राजयोग बना रहे हैं। अगस्त, 2015 में बृहस्पति की महादशा में बुध की अंतर्दशा में उन्हें बिहार का राज्यपाल बनाया गया।
वर्तमान में बृहस्पति महादशा में शुक्र अंतर्दशा में सूर्य की प्रत्यन्तर्दशा चल रही हैं, जो देश के सर्वोच्च पद पर विराजमान कराएंगे। बृहस्पति लग्नेश व दशमग हैं। इस कारण अत्यंत शुभ परिणाम प्रदान करा रहे हैं। सितंबर, 2022 तक का समय बेहद अनुकूल है, इस दौरान देशहित में ऐतिहासिक फैसले लेंगे। देश का मान-सम्मान बढ़ाएंगे। ग्रहों की अनुकूलता के अनुसार कोविंद का राष्ट्रपति बनना तय हैं। मतदान के दिन सूर्य की अनुकूलता तथा परिणाम के दिन चंद्रमा की अनुकूलता उन्हें सर्वोच्च पद पर विराजमान कराएगी।
ध्यान रखें,जब सूर्य अशुभ स्थिति में हो तो ऐसा जातक निराशा की गर्त में डूबा हुआ और हड्डी आदि के रोगों से ग्रस्त अपना संपूर्ण जीवन गुजारता है। जन्म कुंडली के बारह भावों में सूर्य अनुकूल फल न दे रहा हो तो प्रभावित जातक इन उपायों को करे तो उसके दुष्प्रभावों से बच कर सूर्य की कृपा दृष्टि प्राप्त कर सकता है। सूर्य अपनी किरणों से पृथ्वी को ही आलोकित नहीं करता बल्कि आपकी जन्म कुंडली में वह शुभ होकर बैठा हो तो आपके व्यक्तित्व में भी चार चांद लगा देता है। सूर्य के शुभ प्रभाव से प्रभावित जातक आत्मविश्वासी और समाज को एक नई दिशा देने वाला होता है।
यदि प्रथम भाव में बैठा सूर्य अगर जातक को परेशान कर रहा हो तो उसे जीवन में सत्य का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए। इसके अलावा अगर अपनी कमाई का एक हिस्सा वह दीन-दुखियों की सेवा में लगाए तो अपने जीवन में आए कष्टों को कम कर सकता है। द्वितीय भाव में विराजमान सूर्य जातक को झगड़ालू बना देता है और उसकी तीखी जबान ही उसके पतन का कारण बनती है।
अत: सूर्य का शुभ फल प्राप्त करने के लिए जातक अपनी जीभ पर नियंत्रण करना सीखे, साथ ही धार्मिक स्थानों पर समय-समय पर दिया दान और सदाचार का पालन उसके जीवन को पटरी पर लाने में कारगर सिद्ध होगा। तृतीय भाव का सूर्य जातक की स्वयं की कमाई में ही वृद्धि करता है। अन्याय सहना या अन्याय देख कर चुप रहना जातक के सूर्य को कमजोर करता है। घर में बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद और तीर्थ यात्रा व्यक्ति की कुंडली में सूर्य को अनुकूल बनाती है। चतुर्थ भाव में सूर्य जन्म स्थान से दूर भाग्योदय करवाता है। ऐसा व्यक्ति पारिवारिक व्यवसाय से हट कर कार्य करता है। यहां बैठे सूर्य को अनुकूल बनाने के लिए जातक अंधे व्यक्तियों को 43 दिन तक भोजन कराए और तांबे का सिक्का गले में धारण करे तो सूर्य के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।
पंडित दयानंद शाश्त्री

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