जानिए किन योगों के कारण नहीं मिलता वैवाहिक दाम्पत्य सुख

जानिए किन योगों के कारण नहीं मिलता वैवाहिक दाम्पत्य सुख
डेक्स (प्रभाष त्रिपाठी )....हमारे हिन्दू धर्म में षोडष संस्कारों में विवाह एक अति-महत्त्वपूर्ण संस्कार है वहीं सुखद व प्रेमपूर्ण दाम्पत्य ईश्वरीय वरदान के सदृश है। लेकिन प्रारब्ध कर्मानुसार व्यक्ति की जन्मपत्रिका में कुछ ऐसी ग्रहस्थितियाँ निर्मित हो जाती हैं जिसके फलस्वरूप वह दाम्पत्य सुख से वंचित हो जाता है। कलहपूर्ण दाम्पत्य अत्यन्त कष्टप्रद व नारकीय जीवन के समान होता है। वैसे भी हर पुरुष सुंदर पत्नी और स्त्री धनवान पति की कामना करते हैं।
जीवन में किसी का साथ मनुष्य के लिए बेहद आवश्यक हो जाता है। कोई साथ हो या दाम्पत्य साथी अनुकूल हो तो हर तरह की परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है। लेकिन यदि दाम्पत्य जीवन में दोनों में से किसी भी एक व्यक्ति का व्यवहार यदि अनुकूल नहीं रहता है तो रिश्ते में कलह और परेशानियों का दौर लगा रहता है। ज्योतिषशास्त्र में जातक की जन्म कुंडली को देखकर, यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आपके दाम्पत्य जीवन में कलह के योग कब उत्पन्न हो सकते हैं।

आईए जानते हैं कि किन योगों के कारण व्यक्ति दाम्पत्य सुख से वंचित होता है---

ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की जन्मपत्रिका में दाम्पत्य-सुख का विचार सप्तम भाव व सप्तमेश से किया जाता है। इसके अतिरिक्त शुक्र भी दाम्पत्य-सुख का प्रबल कारक होता है क्योंकि शुक्र भोग-विलास व शैय्या सुख का प्रतिनिधि है। पुरूष की जन्मपत्रिका में शुक्र पत्नी का एवं स्त्री की जन्मपत्रिका में गुरू पति का कारक माना गया है। जन्मपत्रिका का द्वादश भाव शैय्या सुख का भाव होता है। अत: इन दाम्पत्य सुख प्रदाता कारकों पर यदि पाप ग्रहों, क्रूर ग्रहों व अलगाववादी ग्रहों का प्रभाव हो तो व्यक्ति आजीवन दाम्पत्य सुख को तरसता रहता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार सूर्य,शनि,राहु अलगाववादी स्वभाव वाले ग्रह हैं वहीं मंगल व केतु मारणात्मक स्वभाव वाले ग्रह। ये सभी दाम्पत्य-सुख के लिए हानिकारक होते हैं।
----कुंडली में सप्तम या सातवाँ घर विवाह और दाम्पत्य जीवन से सम्बन्ध रखता है। यदि इस घर पर पाप ग्रह या नीच ग्रह की दृष्टि रहती है तो वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
----यदि जातक की जन्मकुंडली के सप्तम भाव में सूर्य हो तो उसकी पत्नी शिक्षित, सुशील, सुंदर एवं कार्यो में दक्ष होती है, किंतु ऐसी स्थिति में सप्तम भाव पर यदि किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो दाम्पत्य जीवन में कलह और सुखों का अभाव बन जाता है।

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