यूनिटेक के 19000 फ्लैट खरीददारों को बचाने के लिए, सरकार उठाने जा रही है यह कदम

यूनिटेक के 19000 फ्लैट खरीददारों को बचाने के लिए, सरकार उठाने जा रही है यह कदम

नई दिल्ली-मकान की आस में यूनिटेक बिल्डर को अपनी पूंजी देने वालों को बचने के लिए सरकार ने कदम उठाया है ।अब इस कंपनी में सरकार डायरेक्टर नियुक्त करेगी जिससे निवेशकों का पैसा सही तरीके utilise किया जा सके ।
एनसीएलटी ने यूनिटेक के सभी 8 निदेशकों को कुप्रबंधन और धन के गबन के आरोपों के बाद बर्खास्त कर दिया और सरकार को कंपनी के बोर्ड में 10 निदेशकों को नामांकित करने के लिए अधिकृत किया।

  • नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) के निर्देश के बाद सरकार कर्जदारों के मुकदमों से घिरी बिल्डिंग कंपनी यूनिटेक के बोर्ड में निदेशकों को नामित करेगी। जानकार सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
  • कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) के सूत्रों ने यहां बताया कि एनसीएलटी के शुक्रवार के आदेश के बाद यूनिटेक के खिलाफ दिवालिया की कार्रवाई को टालने के लिए, जिसके कारण हजारों फ्लैट खरीदारों की रकम डूबने का खतरा हो जाएगा, सरकार इस रियल एस्टेट कंपनी का प्रबंधन अपने हाथों में जल्द से जल्द लेना चाहती है।
  • केंद्र सरकार द्वारा दाखिल याचिका में यूनिटेक का नियंत्रण अपने हाथों में लेने की अनुमति मांगी गई थी। इसके बाद एनसीएलटी ने शुक्रवार को कंपनी के बोर्ड को निरस्त कर दिया तथा एमसीए को बोर्ड में 10 निदेशक नियुक्त करने का निर्देश दिया।
  • सरकार ने करीब 20,000 घर खरीदारों और 51,000 जमाकर्ताओं जिनका कंपनी पर कुल 700 करोड़ रुपये बकाया है, के हितों की रक्षा के लिए कंपनी का प्रबंधन अपने हाथों में लेने के लिए एनसीएलटी के पास याचिका दायर की थी। एनसीएलटी ने सरकार को आदेश दिया है कि वह 20 दिसंबर को होनेवाली अगली सुनवाई के दिन निदेशकों के नामों की अनुशंसा करे।
  • सरकार ने तर्क दिया कि यूनिटेक दिवालियापन का मामला चलाए जाने के लिए उपयुक्त है, लेकिन हजारों घर खरीदारों और छोटे जमाकर्ताओं के हितों को देखते हुए यह सरकार के लिए उचित होगा कि वह कंपनी का प्रबंधन अपने हाथों में ले ले।

अतिरिक्त महान्यायवादी संजय जैन ने एनसीएलटी की सुनवाई में कहा, "हम इस कंपनी को दिवालिया होने से बचाना चाहते हैं, नहीं तो 19,000 फ्लैट खरीदारों को नुकसान होगा।" उन्होंने कहा, "हम आश्वस्त हैं कि इस कंपनी की गतिविधियां कंपनीज अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप नहीं रही है।"

Share this story