ऐसे थे हमारे क्रांतिकारी ,अमर शहीद राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी

ऐसे थे हमारे क्रांतिकारी ,अमर शहीद राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी
  • जनपद में धूमधाम से मनाया जाएगा अमर शहीद राजेंद्रनाथ लाहिड़ी का बलिदान दिवस
  • उत्तर प्रदेश गोंडा जनपद में 1927 में जिला कारागार में दी गई थी उन्हें फांसी
  • लाहिड़ी जी ने हंसते हंसते फांसी का फंदा चूमने से पहले वंदे मातरम् की हुंकार भरते हुए कहा था "मैं मर नहीं रहा हूं बल्कि स्वतंत्र भारत में पुनर्जन्म लेने जा रहा"

गोण्डा (एच पी श्रीवास्तव ) -काकोरी कांड के नायक अमर शहीद राजेंद्र नाथ लाहिड़ी का बलिदान दिवस मनाने के लिए जिला प्रशासन ने सारी तैयारियां पूरी कर ली है 17 दिसंबर सुबह से ही जिला कारागार गोंडा में राजकीय उत्सव का माहौल रहेगा !

उत्तर प्रदेश के गोंडा जनपद में अमर शहीद राजेन्द्र राज लाहिड़ी के बलिदान दिवस का क्या है महत्व

अमर शहीद राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी को उत्तर प्रदेश के गोण्डा जिले में एक क्रान्तिकारी महानायक का स्थान प्राप्त है। प्रति वर्ष 17 दिसम्बर स्थानीय जिला प्रशासन के लिये यह राजकीय महत्व का दिवस होता है। इस दिन जिले के समस्त विद्यालयों एवं प्रशासनिक प्रतिष्ठानों में राजकीय उत्सव का माहौल रहता है। सभी सम्बद्ध प्रतिष्ठानों में शहीद लाहिड़ी के सम्मान में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। इन समस्त सांस्कृतिक आयोजनों का केन्द्र बिन्दु गोण्डा का जिला कारागार होता है। कारागार के फाँसीघर में स्थापित लाहिड़ी की प्रतिमा के समक्ष यज्ञ का आयोजन किया जाता है।

फांसी से पूर्व जब जेलर ने लाहड़ी से पूछा व्यायाम का क्या है प्रायोजन

फाँसी के दिन भी सुबह सुबह लाहिड़ी व्यायाम कर रहे थे। जेलर ने पूछा कि मरने के पहले व्यायाम का क्या प्रयोजन है ? लाहिड़ी ने निर्वेद भाव से उत्तर दिया - "जेलर साब! चूँकि मैं हिन्दू हूँ और पुनर्जन्म में मेरी अटूट आस्था है, अतः अगले जन्म में मैं स्वस्थ शरीर के साथ ही पैदा होना चाहता हूँ ताकि अपने अधूरे कार्यों को पूरा कर देश को स्वतन्त्र करा सकूँ। इसीलिए मैं रोज सुबह व्यायाम करता हूँ। आज मेरे जीवन का सर्वाधिक गौरवशाली दिवस है तो यह क्रम मैं कैसे तोड़ सकता हूँ?" यज्ञ के आयोजन के पार्श्व में लाहिड़ी द्वारा जेलर को दिया गया अन्तिम सन्देश एक शिलापट्ट पर अंकित है - "मैं मरने नहीं जा रहा, अपितु भारत को स्वतन्त्र कराने के लिये पुनर्जन्म लेने जा रहा हूँ।"
इसके अतिरिक्त इन समस्त घटनाओं का उल्लेख भी गोण्डा जिला कारागार के फाँसीगृह में स्थापित लाहिड़ी जीवनवृत्त शिलापट्ट पर अंकित है। धर्म सम्प्रदाय से ऊपर उठकर लाहिड़ी की अन्तिम इच्छा का सम्मान करने की यह परम्परा आज तक कायम है। लाहिड़ी की क्रान्तिकारी महानायक छवि को पुष्ट करती कविता शहीद लाहिड़ी के प्रति भी जिला कारागार के फाँसीगृह में स्थापित एक अन्य शिलापट्ट पर अंकित है।

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