बाबा वीरेन्द्र देव दीक्षित की नापाक हरकतों का खुला राज़

बाबा वीरेन्द्र देव दीक्षित की नापाक हरकतों का खुला राज़

डेस्क- शनिवार की सुबह फर्रुखाबाद और कंपिल में बने ​बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के आश्रमों में करीब 2 घंटे तक तलाशी ली गयी जिसके साथ ही मीडिया को भी अंदर घुसने से मना कर दिया गया फर्रुखाबाद के सिकत्तरबाग में 1 लड़की और कंपिल से 40 लड़कियों को पूछताछ के लिए पुलिस ले गई है।पुलिस के अनुसार लड़कियों के घरवालों का बयान लेने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी इन 41 लड़कियों में केवल 2 ही लड़कियां कंपिल की रहने वाली हैं बाकी सभी दूसरे प्रदेशों से आकर यहां रह रही हैं।

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बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित से जुड़े आश्रमों में शुक्रवार को भी पुलिस ने फिर छापा मारा था। आश्रम में मौजूद आधा दर्जन महिलाओं और युवतियों से पूछा गया कितने दिन से रह रही हैं। उनके परिजनों से भी फोन पर बात की। क्षेत्राधिकारी ने बताया कि दिल्ली स्थित बाबा के आश्रम में मिलीं महिलाओं में दो बांदा की भी हैं। इन्हें बांदा आश्रम से ही दिल्ली भेजा गया था। इसी की जांच पड़ताल के लिए पूछताछ की गई है।


पुलिस अभी और जांच करेगी बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित के सर्वोदय नगर में चल रहे आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में पुलिस ने 20 नवंबर को छापा मारकर संचालक हेमंत राय व रेखा राय से पूछताछ की थी। अगले दिन कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई थी कि आश्रम में कुछ महिलाओं को अवैध तरीके से रोका गया है पुलिस अभी इसकी जाँच कर रही है सिविल लाइंस चौकी प्रभारी को पुलिस अधीक्षक ने इस मामले की जांच में ढिलाई बरतने पर निलंबित कर दिया है।


विश्वविद्यालय संचालिका रेखा राय से भी कई सवाल किए उनके पति हेमंत राय के बारे में पूछा। रेखा ने बताया कि वह एक प्राइवेट कंपनी में मैनेजर हैं और उसी के काम से बाहर गए हैं। पुलिस अधिकारियों ने आश्रम के आसपास रहने वालों से भी पूछताछ की। शुक्रवार को पुलिस की जांच के दौरान आश्रम में बांदा निवासी एक युवती की उम्र को लेकर पुलिस और आश्रम संचालिका में देर तक बहस चली। फर्रुखाबाद जिले के कंपिल थाना क्षेत्र के चौधरियान निवासी सोहनलाल दीक्षित के बेटे बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित का विवादों से गहरा नाता है।

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वीरेंद्र देव दीक्षित के खिलाफ अलग-अलग थाने में यौन उत्पीड़न, पुलिस से मुठभेड़ समेत अन्य संगीन धाराओं में कई मुकदमे दर्ज हैं। कंपिल के अलावा शहर फर्रुखाबाद में सिकत्तरबाग मोहल्ले में इनका आश्रम है। बहन की शादी होने के बाद 1975 में वीरेंद्र देव का अपने पिता से विवाद हो गया। वह घर से निकल गए। 1984 में पिता की मृत्यु के बाद लौटे तो कंपिल में पैतृक जमीन पर आश्रम खोल दिया। यह आश्रम पहली बार 30 मार्च 1998 को चर्चा में आया।

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