योगा और नमाज में क्या अंतर है जानिए .....देखे ये विडियो
डेस्क-योगा करना शरीर के लिए कितना लाभदायक ये तो सबको मालूम है लेकिन आप जानते है योगा करना और नमाज अदा करने में कुछ समानताएं होती है। जी हां योगा और नमाज में कई मुद्राओं में समानताएं होती है। योगा और नमाज दोनों के साइंटिफिक फायदे है। इस विडियो के जरिए हम आपको योग और नमाज की मुद्राओं में समानाएं और उसके फायदो के बारे में बताएंगें। इस बारे में पढ़ने से पहले इन दोनों का मतलब समझते है योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द युजा से हुई है जिसका मतलब है एक जुटते है। दूसरी तरफ, नमाज़ जिसे सलात कहा जाता है इसकी उत्पत्ति हुई है अरबी शब्द सिला विसाल से, इसका भी मतलब है एक जुटते है । इसका अर्थ है आत्मा का परमात्मा से मिलन या उस सर्व शक्तिमान की संगत में जाना!
इस समानता के अलावा यह बात भी जानिए तहरात का मतलब है शुद्धिकरण और वुजू जो कि नमाज़ से पहले ज़रूरी है। ऐसा ही शब्द है शौच जो कि योगा से पहले ज़रूरी है। वुज़ू नियत से शुरू होता है, यानि करने की घोषणा, वैसे ही योग भी से ही शुरू होता है। नमाज़ और योग में एक समान बात है ऊर्जा कम से कम खर्च करना और इससे ज़्यादा शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक शांति को प्राप्त करना है!
रीड की हड्डी सीधी होती है
नमाज़ करते समय पहली मुद्रा में एक स्टेंड खड़े होकर, कंधों को सीधे रखते हैं और शरीर का वजन दोनों पैरों पर डालते हैं। और गर्दन वापस पीछे की ओर आती है। इस मुद्रा का फायदा ये हैं कि इससे शरीर और दिमाग रिलेक्स होते हैं क्यों कि शरीर का वजन दोनों पैरों पर पड़ता है और रीड की हड्डी सीधी होती है। सांसें प्राकृतिक रूप से आती हैं, व्यक्ति मजबूत महसूस करता है और विचारों पर पूरी तरह नियंत्रण होता है। सजदा पर आँखें गड़ाने से एकाग्रता बढ़ती है। गर्दन के झुकने पर गर्दन की मुख्य धमनियों पर स्थित कैरोटिड साइनस पर दबाव पड़ता है। इससे संचार और श्वसन प्रणाली नियमित होती है। सामान्य रूप से, ऑक्सीज़न के गिरने और कार्बन डाई ऑक्साइड के बढ्ने से हार्ट रेट बढ़ती है और सांसें भरी होती हैं। गले में हलचल होने से थाइराइड का कार्यप्रणाली सुचारु होती है और पाचन तंत्र नियमित होता है। यह सब 40 सेकंड की मुद्रा में होता है!
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