बैंक की कमाई हराम दौलत ऐसे शादी से परहेज करें मुस्लिम

बैंक की कमाई हराम दौलत ऐसे शादी से परहेज करें मुस्लिम

लखनऊ:ऐसे परिवार में शादी से परहेज किया जाए. हराम दौलत से पले-बढ़े लोग आमतौर पर सहज प्रवृत्ति और नैतिक रूप से अच्छे नहीं होते. लिहाजा, ऐसे घरों में रिश्ते से परहेज करना चाहिए. बेहतर है कि किसी पवित्र परिवार में रिश्ता ढूंढा जाए. दारुल इफ्ता ने एक अन्य फतवे में कहा है कि मुस्लिम महिलाओं को अंगों को जाहिर करने वाले डिजाइनर बुरके पहनना सख्त गुनाह है, क्योंकि इससे वे बुरी नजर का शिकार होती हैं.यह जवाब एक मुस्लिम को उस समय मिला जब उसने पुचा था कि की शादी के लिए कुछ ऐसे घरों से रिश्ते आए हैं, जहां लड़की के पिता बैंक में नौकरी करते हैं. चूंकि बैंकिंग तंत्र पूरी तरह से सूद (ब्याज) पर आधारित है, जो कि इस्लाम में हराम है. इस स्थिति में क्या ऐसे घर में शादी करना इस्लामी नजरिए से दुरुस्त होगा?

यही नहीं एक और भी फतवा में कहा गया है कि मुस्लिम महिलाएं डिजायनर बुरका न पहने इसे इस्लाम में हराम बताया गया है क्योंकि इसी बुरी नजर लगती है |

  • देश के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने अपने अलग-अलग फतवों में बैंक की नौकरी से चलने वाले घरों से शादी का रिश्ता जोड़ने से परहेज करने और शरीर के अंगों को जाहिर करने वाले तंग बुरके नहीं पहनने को कहा है.
  • दारुल उलूम के फतवा विभाग ‘दारुल इफ्ता’ ने बैंक की नौकरी करने वाले व्यक्ति के घर में शादी का रिश्ता करने के इस्लामी नुक्ते-नजर से दुरुस्त होने के बारे में पूछे गये सवाल पर बुधवार (03 जनवरी) को फतवा दिया था.
  • हिजाब के नाम पर डिजाइनर और स्लिम फिट बुरका पहनना हराम है और इस्लाम में इसकी सख्त मनाही है. बुरका ढकने के लिये है, ना कि उसे जाहिर करने के लिए.
  • इस्लामी कानून या शरीयत में ब्याज वसूली के लिए रकम देना और लेना शुरू से ही हराम माना जाता रहा है. इसके अलावा इस्लामी सिद्धांतों के मुताबिक हराम समझे जाने वाले कारोबारों में निवेश को भी गलत माना जाता है.
  • इस्लाम के मुताबिक धन का अपना कोई स्वाभाविक मूल्य नहीं होता, इसलिए उसे लाभ के लिए रहन पर दिया या लिया नहीं जा सकता.
  • इसका केवल शरीयत के हिसाब से ही इस्तेमाल किया जा सकता है.
  • भारत में ही कई जगहों पर मुस्लिम द्वारा ही बिना ब्याज के लेन दें के लिए बैंक भी चलाये जाते है जहाँ जमा रकम पर न ही कोई ब्याज दिया जाता है और न ही कोई ब्याज लिया जाता है |
  • ऐसे बैंकों को शरियत के अनुसार माना जाता है और इस्लाम में ऐसे बैंकों की इजाजत भी बताई जाती है |

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