अगर शांति और हेल्थ चाहते हैं तो भारत आइए मोदी ने किया दावोस में आवाहन

अगर शांति और हेल्थ चाहते हैं तो भारत आइए मोदी ने किया दावोस में आवाहन

दावोस -भारत के प्रधानमंत्री ने विश्व को भारत के ताकत का एहसास अपने दावोस भाषण से करा दिया |लोगों को आने वाले चुनौतियों से आगाह किया उन्होंने ग्लोब्लैज़ेशन के बदलते स्वरुप पर भी चिंता व्यक्त की देखिये क्या कहा मोदी ने दावोस में |

  • भारत ने कोई राजनीतिक और भौगोलिक महत्वकांशा नहीं रखी है । हम किसी भी देश के प्राकृतिक संसाधनों का शोषण नहीं करते है|पिछली शताब्दी में जब विश्व दो विश्वयुद्धों के संकट से गुजरा तब अपना कोई निजी स्वार्थ न होते हुए भी, कोई आर्थिक या territorial हित हुए भी भारत शांति और मानवता के उच्च आदर्शों की सुरक्षा के लिए खड़ा हुआ|Globalisation के विरुद्ध इस चिंताजनक स्थिति का हल अलगाव में नहीं है। इसका समाधान परिवर्तन को समझने और उसे स्वीकारने में है, बदलते हुए समय के साथ चुस्त और लचीली नीतियां बनाने में है|
  • तीसरी चुनौती है कि बहुत से समाज और देश ज्यादा से ज्यादा आत्मकेंद्रित होते जा रहे है। ऐसा लगता है कि Globalization अपने नाम के विपरीत सिकुड़ रहा है। इस प्रकार की मनोवृत्तियों और गलत प्राथमिकताओं के दुष्परिणाम को climate change या आतंकवाद के खतरे से कम नहीं आँका जा सकता|
  • लेकिन ऐसे कितने देश या लोग हैं जो विकासशील देशों और समाजों को उपयुक्त technology उपलब्ध करने के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया करने में मदद करना चाहते है|
  • मैं सिर्फ तीन प्रमुख चुनौतियों का जिक्र करूँगा जो मानव सभ्यता के लिए सबसे बड़े खतरे पैदा कर रही हैं। पहला खतरा है Climate Change का। हर कोई कहता है Carbon emission को कम करना चाहिये |
  • 1997 में भी दावोस अपने समय से आगे था, और यह World Economic Forum भविष्य का परिचायक था। आज भी दावोस अपने समय से आगे है |

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