जानिए जन्म कुंडली मे अशुभ (अरिष्ट) चंद्र देव/गृह शांति हेतु कुछ विशेष प्रयोग/उपाय

जानिए जन्म कुंडली मे अशुभ (अरिष्ट) चंद्र देव/गृह शांति हेतु कुछ विशेष प्रयोग/उपाय
ज्योतिष डेस्क - यदि किसी जन्म कुंडली मे यदि चंद्रमा अशुभ भावो 2, 6, 8, या 12 वे भाव में नीच राशिस्थ हो अथवा शत्रु राशि ग्रह से युत या दृष्ट हो तो चंद्रमा जातक/जातिका को धन, परिवार, माता आदि के संबंद में अशुभ फल प्रदान करता है। इस स्थिति में जातको को बुध, शनि, राहु, केतु की महादशा/अंतर्दशा में मध्य अनिष्ट फल प्राप्त होते है। नीचे दिए शास्त्रोक्त उपाय करने से चंद्र अरिष्ट की शांति कर शुभ फल प्रदान करता है।
चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष प्रथम सोमवार से आरम्भ कर 16 अथवा 54 सोमवार विधि पूर्वक व्रत कर शिव-पार्वती का पूजन कर समाप्ति के दिन पांच छोटी कन्याओं को भोजन कराने से अरिष्ट शांति होती है।
02 कुंडली मे चंद्र यदि कर्क या वृष राशि का हो तो भगवती गौरी का पूजन करना शुभ होता है।
03 स्वास्थ्य अथवा त्रिविध तापों की अरिष्ट शांति के लिए यथा सामर्थ्य महामृत्युंजय मंत्र का जाप एवं दशांश हवन और अमोघ शिवकवच का पाठ करना शुभ होता है।
04 यदि चंद्रमा केतु के साथ अथवा चंद्र शनि की युति हो तो श्री गणेश जी की पूजन व गणेश सहस्त्रनाम से उपासना करनी चाहिए।
05 चंद्रमा यदि बुध युक्त एवं स्त्री राशि मे हो तो श्री दुर्गा शप्तशती का पाठ कल्याणकारी रहता है।
06 विवाहादि कार्यो में चंद्र-राहु आदि ग्रहों का अशुभ प्रभाव हो तो शिव पार्वती पूजन एवं पूर्णिमा का व्रत करना चाहिए।
07 सोमवार और पूर्णिमा को प्रातः काल स्नानादि कर चांदी के बर्तन में कच्ची लस्सी दूध गंगाजल युक्त की धारा शिवलिंग पर मंत्र पूर्वक चढ़ाना चाहिए।
08 प्रत्येक सोमवार को बबूल वृक्ष को भी दूध से सींचना लाभदायक रहता है।
09 चंद्र यदि संतान संबंधित अरिष्ट कर रहा हो तो शिवजी की आराधना मंत्र जप हवन करना शुभ होता है।
10 पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय के समय चांदी अथवा तांबे के बर्तन में मधुमिश्रित पकवान यदि चंद्र को अर्पित किए जाए तो इनकी तृप्ति होती है।
11 पूर्णमाशी के दिन चांदी का कड़ा चांदी की चैन प्रतिष्ठा के बाद धारण करनी लाभदायी रहती है।
12 स्त्रियों को मोती की माला सोमवार के दिन जब स्वाति नक्षत्र पड़े प्रतिष्ठा कर गले मे धारण करने से अरिष्ट फलो की शांति होती है।
13 बारह वर्ष तक कि आयु के बालको की स्वास्थ्य रक्षा के लिए चांदी के गोल सिक्के पर चंद्र बीज मंत्र "ॐ श्रां श्री°श्रौ° सः चन्द्रमसे नमः" लिखवाकर इसी मंत्र से अभिमंत्रित कर प्रतिष्ठा पूर्वक गले मे धारण करना शुभ रहता है।
14 मानसिक व शारीरिक व्याधियों की शान्ति के लिए शरद पूर्णिमा की रात बादाम मेवा युक्त खीर चाँद की रौशनी में रखे अगले दिन सुबह भगवान को भोग लाग कर तथा ब्राह्मण को खिलाने के बाद स्वयं सेवन करने से अनेक रोगों की शांति होती है।
15 चंद्र की महादशा में शुक्र अथवा सूर्य की अंतर्दशा में क्रमशः रूद्र्राभिषेक तथा शिव पूजन व श्वेत वस्त्र खीर आदि दान करने से लाभ होता है।
16 क्षीरणी (खिरनी) की जड़ सोमवार रोहिणी नक्षत्र में सफेद धागे में चंद्र मंत्र से अभिमंत्रित करके धारण करने से विशेष शांति होती है।
17 प्रतिदिन सफेद गौ को मीठी रोटी एवं हरा चारा खिलाये।
18 छोटे बच्चों को कुंडली मे चंद्र अशुभ होने पर उन्हें कैल्शियम का सेवन कराए शुभ रहेगा।
19 चंद्र अशुभ ग्रहों राहु-शनि आदि से आक्रांत होकर अशुभ स्थानों ६, ८, १२ वे में हो तो दूध, दही, खोया, पनीर एवं अन्य श्वेत वस्तुओं का व्यवसाय न करें।
20 स्वास्थ्य अथवा मानसिक परेशानी होने पर जातक/जातिका चांदी के पात्र में ही जल का सेवन करें।
21 चंद्र यदि संतान सुख में बाधक हो तो रात्रि काल के समय दूध एवं पानी मे सोने की सलाई गर्म कर बुझाकर पति/पत्नी दोनों को पीना शुभ होगा।
22 यदि कुंडली मे चंद्र-केतु का अशुभ योग ६, ८, या १२ भाव मे हो तो जातको को हरा वस्त्र, केले, साबुत मूंग, हरा पेठा आदि का दान करना चाहिए।
23 चंद्र यदि व्यवसाय में हानि कर रहा हो तो जातक/जातिका को चंद्रग्रहण के समय आटा, चांवल, चीनी, गुड़, सूखा नारियल, सफेद तिल एवं सतनाजा आदि का दान करना चाहिए तथा ग्रहण काल मे चंद्र के बीज मंत्र का यथा सामर्थ्य जप करना लाभकारी होता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री, उज्जैन,
मोब.--09039390067 एवं 7000395415

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