चिताओं के बीच यहां क्यों सजती है वेश्याओं की महफिल जानिए
डेस्क-जीवन का सफर बहुत लंबा होता है। अनेक उतार-चढ़ाव, विभिन्न पड़ाव और ना जाने किस-किस परेशानी का सामना कर हमें यह सफर पूरा करना पड़ता है। लेकिन जब यह सफर समाप्त हो जाता है तो शायद उन परेशानियों का कोई मोल नहीं रह जाता, उन उद्देश्यों, उस धन-दौलत का कोई मोह नहीं रह जाता जिसे पाने के लिए इंसान अपना संपूर्ण जीवन लगा देता है। क्योंकि इस दुनिया से कभी कोई कुछ लेकर नहीं जा पाया है। जन्म के समय भले ही उस शिशु की आंखों में हजार सपने होते हैं लेकिन जब किसी का अंत होता है तो उसके हाथ एकदम खाली होते हैं। शायद यही जीवन की एक अटल और कड़वी सच्चाई है।
दिन की भागदौड़ से अलग हटकर जब हम किसी शव को चिता में जलते हुए देखते हैं तो कहीं ना कहीं जीवन से मोह कम सा होने लगता है। क्योंकि अंत में तो सभी को इस उथल-पुथल भरी दुनिया को छोड़कर जाना ही है|
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- काशी का मणिकर्णिका घाट एक ऐसा ही स्थान है|
- जहां पहुंचकर व्यक्ति को अपने जीवन की असलियत पता चलती है।
- वह अपनी दुनिया में लाख मशगूल सही लेकिन जब मणिकर्णिका घाट पर शव को जलाया जाता है|
- तो ये पूरी दुनिया ही बेमानी लगती है।
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भारत की पवित्र नगरी काशी बनारस को हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यहां स्थित मणिकर्णिका घाट के विषय में कहा जाता है कि यहां जलाया गया शव सीधे मोक्ष को प्राप्त होता है, उसकी आत्मा को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति मिलती है। यही वजह है कि अधिकांश लोग यही चाहते हैं कि उनकी मृत्यु के बाद उनका दाह-संस्कार बनारस के मणिकर्णिका घाट पर ही होता है |